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चुनौतियों को समझना ही शिक्षा का मूल

Jan 31, 2015

science college durg, shekhar dutt, csvtuदुर्ग। छत्तीसगढ़ के पूर्व राज्यपाल शेखर दत्ता ने कहा है कि प्रगति की दिशा में वही समाज अग्रसर होगा जो नई चुनौतियों को स्वीकार करता है। समाज में प्रत्येक व्यक्ति का इस प्रकार बौद्धिक विकास होना चाहिए कि वह समाज की समस्याओं और चुनौतियों को समझ सके। शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य चुनौतियों को समझना तथा उनके अनुरूप सृजन करना है। श्री दत्त यहां शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय में छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय भिलाई के तत्वावधान में 21वीं सदी के शिक्षा परिदृश्य में शिक्षण विधि और ज्ञानार्जन विषय पर व्याख्यान दे रहे थे। >>>
उन्होंने कहा कि शिक्षण सृजनात्मक कार्यकलाप है। 21वीं सदी में परिदृश्य बदल चुका है इसलिए उसकी चुनौतियां भिन्न हैं। आज दुनिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि पर्यावरण की सुरक्षा के साथ संसाधनों का सदुपयोग किस तरह से किया जाए। हमें नई पीढ़ी को ऐसा ज्ञान और कौशल प्रदान करना है कि प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करते हुए दीर्घकालीन विकास का मार्ग प्रशस्त किया जा सके। श्री दत्त ने भिलाई इस्पात संयंत्र को संसाधनों के समुचित उपयोग का उत्कृष्ट उदाहरण बताते हुए कहा कि यह इस्पात के उत्पादन का कारखाना भर नहीं है, बल्कि राष्ट्र निर्माण का केन्द्र भी है। यहां के परिवेश में स्वाभाविक तौर पर जिज्ञासु प्रवृत्ति मिलती है जो जानने, सीखने और आगे बढऩे के लिए अत्यंत आवश्यक है।
science college durg, csvtuउन्होंने कहा कि पांच हजार साल के इतिहास में भारत आज ऐसे मुकाम पर है कि वह ज्ञान के क्षेत्र में विश्व को नेतृत्व दे सकता है। वह गुरू पद का गौरव प्राप्त करने में सक्षम है। नई पीढ़ी को इस तरह प्रेरित किया जाना चाहिए कि वह मिट्टी को सोना बना दे। आज भारत सूचना प्रौद्योगिकी में अग्रणी देश है। यहां इतनी जैव विविधता और विकास की संभावना है कि बायोटेक्नोलॉजी में हम विश्व गुरू बन सकते हैं। हम विज्ञान और तकनीकी की शक्तियों का प्रयोग कर 21वीं सदी की समस्याओं का समाधान प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन तकनीकी के दुष्प्रभावों के प्रति भी हमें सावधान रहना होगा।
उन्होंने विज्ञान और तकनीकी से संबंधित विभिन्न उदाहरणों की चर्चा करते हुए कहा कि नये विचारों का हमेशा स्वागत किया जाना चाहिए, क्योंकि उनके बिना नया सृजन नहीं होता। यह भी आवश्यक है कि हमें उपलब्ध संसाधनों का हर प्रकार से उपयोग करना चाहिए अन्यथा वे उसी तरह से व्यर्थ हो जाते हैं जिस प्रकार आदिम युग से अब तक प्रयोग में न आने के कारण मानव के चौपाये से दुपाया बनने के बाद अपेंडिक्स के रूप में उसका एक अंग निष्क्रिय होकर अवशिष्ट रह गया है। अगर दिमाग का इस्तेमाल न किया जाये तो वह भी अवशिष्ट रह जाएगा।
श्री दत्त ने कहा कि आज शिक्षण संस्थाओं को समाज के विकास के लिए सक्रिय योगदान देना चाहिए। शिक्षण संस्थाओं को लक्ष्य निर्धारित कर विभिन्न विषयों में राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय और प्रादेशिक स्तर के ज्ञान संसाधन विकसित करने चाहिए। इसके लिए आपस में संवाद करें, संस्था के पूर्व छात्रों तथा स्थानीय उद्यमियों की सहायता लें और वैश्विक ऊंचाई हासिल करने का प्रयत्न करें। दुर्ग-भिलाई के शिक्षण संस्थाओं से उन्होंने अपील की कि सेवा निवृत्त अध्यापकों और भिलाई इस्पात संयंत्र के विशेषज्ञों के ज्ञान और अनुभव का इस्तेमाल कर छात्रों में ज्ञान और कौशल विकसित करने का भरसक प्रयास किया जाना चाहिए।
छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय भिलाई के कुलपति प्रो. एससी शर्मा ने श्री दत्त का स्वागत करते हुए उनके प्रेरिक व्यक्तित्व को रेखांकित किया तथा उन्हें गुरुतुल्य निरूपित किया। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी में शिक्षण के साधन के रूप में टेक्नोलॉजी क्रमश: लोकप्रिय होती जा रही है किन्तु टेक्नोलॉजी कितनी ही क्यों न विकसित हो जाये, ज्ञानार्जन के लिए गुरू की आवश्यकता सदैव बनी रहेगी। उन्होंने आदि शंकराचार्य के दार्शनिक विचारों को उद्धृत करते हुए कहा कि आत्मा सर्वश्रेष्ठ गुरू है, जो आजीवन रास्ता दिखाता है। गुरू राष्ट्र का मार्ग प्रशस्त करता है।
प्रारंभ में विश्वविद्यालय के कुल सचिव डॉ जीआर साहू ने स्वागत भाषण दिया। मंचस्थ अतिथियों का स्वागत महाविद्यालय के प्राध्यापकों, डॉ शीला अग्रवाल, डॉ अनुपमा अस्थाना, डॉ नीरजा रानी पाठक, डॉ एके खान ने किया। कार्यक्रम में शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कार स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य तथा राज्य उच्च शिक्षा परिषद के सदस्य डॉ एनपी दीक्षित ने भी विचार व्यक्त किया। महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य तथा राज्य उच्च शिक्षा परिषद के सदस्य डॉ एनपी दीक्षित ने भी विचार व्यक्त किए। महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं अंकिता पटेल, तनुश्री सेनगुप्ता, तुषार डे ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। प्राचार्य डॉ सुशील चन्द्र तिवारी ने धन्यवाद ज्ञापन किया। संचालन डॉ प्रशांत श्रीवास्तव ने किया। इस अवसर पर सरगुजा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. सुनील वर्मा, स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय के अधिकारीगण, विभिन्न इंजीनियरिंग महाविद्यालयों के प्राचार्य, प्राध्यापक एवं छात्र तथा महाविद्यालय के प्राध्यापक एवं छात्रगण उपस्थित थे।
श्री दत्त ने इस अवसर पर महाविद्यालय में चल रही मृत्तिका शिल्प (टेराकोटा) कार्यशाला के अलावा विभिन्न विभागों का भी अवलोकन किया तथा शोध गतिविधियों की जानकारी ली।

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