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नर्सिंग होम कानून तोड़ा तो होगी जेल

Mar 31, 2015

sandhan, aastha, phrn chhattisgarhभिलाई। अस्पताल निजी हो या सरकारी, क्लिनिक हो या जांच केन्द्र, यदि किसी ने भी नर्सिंग होम एक्ट का उल्लंघन किया तो उसे तीन साल की जेल तथा 50 हजार रुपए का अर्थदंड लग सकता है। यह कानून एलोपैथी, आयुर्वेदिक, होम्योपैथी, यूनानी सहित सभी उपचार व जांच केन्द्रों पर प्रभावशील रहेगा। यह जानकारी पब्लिक हेल्थ रिसोर्स नेटवर्क द्वारा आॅक्सफेम व संधान संस्थान के सहयोग से काफी हाउस, सेक्टर-10 में छत्तीसगढ़ राज्य के नर्सिंग होम कानून के अंतर्गत मरीजों के अधिकारों पर एक कार्यशाला में दी गई। इस कार्यशाला में जिले के गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों के अलावा वकील, प्रोफेसर व अन्य बुद्धिजीवी शामिल हुए। read more
पब्लिक हेल्थ रिसोर्स नेटवर्क की राज्य समन्वयक सुलक्षना नंदी ने नर्सिंग होम एक्ट के प्रावधानों पर प्रकाश डाला। उन्होंने छत्तीसगढ़ के इस एक्ट को अन्य राज्यों के एक्ट की तुलना में बेहतर बतलाते हुए कहा कि राज्य में संचालित सभी निजी व शासकीय अस्पताल, नर्सिंग होम, क्लिनिक व जांच केंद्र इस कानून के दायरे में आते हैं तथा उन्हें कलेक्टर से लाइसेंस लेना अनिवार्य होगा। इन चिकित्सा संस्थाओं को निर्धारित मापदंडों का पालन करना होगा। एलोपैथी, आयुर्वेदिक, होम्योपैथी, यूनानी सहित सभी उपचार व जांच केन्द्रों पर यह कानून प्रभावशील रहेगा। इस कानून के क्रियान्वन की जिम्मेदारी जिले के मुख्य चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी की अध्यक्षता में गठित सात सदस्यीय जिला समिति का है। जिला कलेक्टर इस कानून के अंतर्गत पयर्वेक्षी अधिकारी है।
नेटवर्क की सहयोगी दीपिका जोशी ने बताया कि अस्पताल में उपचार व जांच संबधित प्रक्रियाओं व लाभ तथा जोखिमों को जानने के अधिकार के साथ साथ मरीजों को क्लीनिकल अभिलेखों की प्राप्ति का अधिकार भी इस कानून में दिया गया है। भर्ती मरीज की सम्पूर्ण सुरक्षा व इलाज की जिम्मेदारी अस्पताल की ही है तथा इलाज की सभी प्रक्रियाओं के दौरान गरिमा व गोपनीयता का अधिकार मरीज को है। कानून का उल्लंघन करने वाले चिकित्सा संस्थानों पर 50 हजार रुपयों तक का अर्थ दंड व 3 वर्ष तक के कारावास का प्रावधान भी है।
उपस्थित गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों ने इस कानून की सराहना करते हुए इसके सफल क्रियान्वन में अपना सहयोग देने की सहमती व्यक्त की। दुर्ग जिले में संजय देशमुख के संयोजन में एक कार्य दल का गठन किया गया जिसमे सुरेश कापसे, मनोज ठाकरे, संतोष रावत, राकेश मिश्रा, इस्माइल खान, शानू मोहनन, डा अन्जना श्रीवास्तव शामिल किये गए। बालोद जिले हेतु पद्मश्री शमशाद बेगम तथा बेमेतरा जिले हेतु निलेश चौबे को कार्य दल गठन के लिए संयोजकीय दायित्व सौंपा गया। इस अवसर पर वाटर-ऐड की राज्य समन्वयक मंशा जोस, वर्ड विजन के हेमंत बसोई, शिखर तिवारी, प्रकाश गेडाम, डा प्रमोद नामदेव, डा सुचित्रा शर्मा, नरेन्द्र राठौर, दीपक रंजन दास सहित बहुत से सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहे। संधान के सचिव प्रो डी एन शर्मा ने आभार व्यक्त करते हुए कायर्शाला के निष्कर्षों को बतलाया।
उल्लंघन पर सजा
1. प्रथम बार कानून का उल्लंघन करने पर 20,000/- का अर्थदंड
2. पात्रता एवं मानक संबंधी शर्तों के उल्लंघन पर 20,000/- जुर्माना
3. किसी भी प्रकार की जानकारी नहीं दे पाने पर 5,000/- जुर्माना
4. दूसरी बार अपराध करने पर 3 वर्ष तक कारावास, 50000/- जुर्माना
5. जानबूझकर मरीज की उपेक्षा करने पर 6 माह से 3 वर्ष तक कारावास
मरीजों/परिजनों के अधिकार
1. बीमारी/इलाज/आपरेशन का प्रकार, संभावित परिणामों की जानकारी
2. संभावित व्यय एवं जटिलताओं के बारे में जानकारी
3. भर्ती और उपचार के दौरान तथा डिस्चार्ज के बाद क्लीनिकल रिकार्ड
4. डिस्चार्ज या मृत्यु के बाद मेडिकल रिकार्डों की छायाप्रति
5. डिस्चार्ज के समय डिस्चार्ज सारांश
6. इलाज की सभी प्रक्रियाओं के दौरान गरिमा व गोपनीयता
7. एनेस्थीसिया, रक्त और रक्त उत्पाद के जोखिम की जानकारी
8. परीक्षण के दौरान महिला को गोपनीयता का अधिकार
9. रिपोर्टों की गोपनीयता का अधिकार
10. एचआईवी पीड़ित का बिना भेदभाव के उपचार
11. मरीज की मृत्यु पर शव को रखे जाने में गरिमा का अधिकार
12. मरीज को अन्य अस्पताल में शिफ्ट करने का अधिकार
13. भर्ती मरीजों की पूर्ण सुरक्षा एवं इलाज की जिम्मेदारी चिकित्सक पर
कौन कराएगा पालन
1. अध्यक्ष – मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी
2. सदस्य – जिलाधीश द्वारा नामांकित
3. सदस्य – आयुक्त/सीएमओ, स्थानीय निकाय
4. सदस्य – सीईओ जिला पंचायत
5. सदस्य – छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मण्डल का प्रतिनिधि
6. सदस्य – जिला आयुर्वेद अधिकारी
7. सदस्य सचिव – सिविल सर्जन, जिला अस्पताल
अपीलीय अधिकारी
पर्यवेक्षी प्राधिकारी द्वारा जारी आदेशों के विरुद्ध अपीलों पर विचार करने हेतु अपीलीय प्राधिकारी निम्न प्रकार नियुक्त होगा
1. संचालक, स्वास्थ्य सेवाएं : मेडिकल कालेज अस्पतालों को छोड़कर सभी एलोपैथी क्लीनिक स्थापनाओं के संबंध में
2. संचालक, चिकित्सा शिक्षा : मेडिकल कालेज अस्पतालों के संबंध में
3. संचालक, आयुष : आयुर्वेद, योग यूनानी, सिद्ध एवं होम्योपैथी चिकित्सा पद्धतियों से संंबंधित क्लीनिकल स्थापनाओं के संबंध में।

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