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घटिया शैक्षणिक सामग्री का बढ़ रहा उपयोग

Apr 28, 2015
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दुर्ग। उच्च शिक्षा में शिक्षण एवं मूल्यांकन के विभिन्न प्राचीन एवं नवीनतम पध्दतियों पर आज शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय दुर्ग में दुर्ग जिले के 50 से अधिक शासकीय महाविद्यालयों के प्राचार्यों एवं आईक्यूएसी प्रभारी प्राध्यापकों ने गहन विचार विमर्ष किया। राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) के अंतर्गत उच्च शिक्षा विभाग, छत्तीसगढ़ शासन के निर्देशन में आयोजित दुर्ग जिले के क्वालिटी सर्किल की चतुर्थ बैठक में मुख्य अतिथि के रूप में अपने विचार व्यक्त करते हुए छत्तीसगढ़ राज्य उच्च शिक्षा परिषद के सदस्य शिक्षाविद प्रो. एन.पी. दीक्षित ने कहा कि प्राध्यापक समय की पाबंदी, निरंतर अध्ययन एवं विद्यार्थियों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को आत्मसात करें। जब हम विषय का गहराई से अध्ययन कर कक्षाओं में जायेंगे तभी विद्यार्थी भी कक्षा एवं विषय में रूचि लेंगे। read moreबाजार में उपलब्ध निम्नस्तरीय शैक्षणिक सामग्री के छात्रों द्वारा बड़ी संख्या में उपयोग किये जाने पर भी डॉ. दीक्षित ने चिंता प्रकट की। प्राचीन काल के गं्रथों एवं बाल्मीकि तथा वशिष्ठ मुनि से संबंधित उद्धरणों का भी प्रो. दीक्षित ने उल्लेख किया।
इससे पूर्व टीचिंग, लर्निंग एवं इवेल्यूेशन पर पावर पाइंट प्रस्तुति देते हुए साइंस कालेज के आईक्यूएसी सदस्य प्रोफेसर प्रशांत श्रीवास्तव ने नैक, यूजीसी एवं मानव संसाधन विकास मंत्रालय की अपेक्षाओं का गहराई से विश्लेषण किया। डॉ. श्रीवास्तव ने बड़ी संख्या में उपस्थित प्राचार्यों, प्राध्यापकों को जानकारी दी कि शिक्षण सत्र के प्रारंभ में ही विद्यार्थियों को परीक्षा प्रणाली, आतंरिक मूल्यांकन, वार्षिक परीक्षा एवं अन्य जानकारियां प्रदान करना आवश्यक है। यूजीसी ने विद्यार्थियों एवं प्राध्यापकों द्वारा ग्रंथालय के निरंतर घटते उपयोग पर भी कड़ी आपत्ति जाहिर की है।
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. सुशील चन्द्र तिवारी ने अपने स्वागत भाषण में रूसा एवं क्वालिटी सर्किल की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए कार्यशाला के आयोजन को प्रासंगिक बताया। डॉ. तिवारी ने कहा कि छोटे-छोटे महाविद्यालय कम खर्च में भी उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान कर सकते हैं। इसके लिए हमें केवल ईमानदारी से दिशा युक्त प्रयास करना होगा।
साइंस कालेज की आईक्यूएसी की समन्वयक डॉ नीरजा रानी पाठक ने बताया कि क्वालिटी सर्किल की बैठक एवं रूसा द्वारा प्रायोजित कार्यशाला उच्च शिक्षा में गुणवत्ता की दिशा में केन्द्र एवं राज्य सरकार का संयुक्त प्रयास कहा जा सकता है। डॉ. पाठक ने जानकारी दी कि अगामी 9 मई को कैपिसटी बिल्डिंग पर आधारित एक दिवसीय कार्यशाला रूसा के सहयोग से साइंस कालेज, दुर्ग में आयोजित की जायेगी। अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉ. प्रज्ञा कुलकर्णी ने किया।
कायर्षाला का आरंभ माता सरस्वती की पूजन एवं डॉ. के पद्मावती द्वारा प्रस्तुत सरस्वती श्लोकों के द्वारा हुआ। मुख्य अतिथि का पुष्प गुच्छ से स्वागत प्राचार्य डॉ. सुशीलचन्द्र तिवारी एवं कल्याण कालेज के प्राचार्य एलआर वर्मा ने किया। कार्यशाला के द्वितीय सत्र में विभिन्न महाविद्यालयों के प्राचार्यों एवं प्राध्यापकों को चार विभिन्न समूहों में विभक्त कर सामूहिक विचार मंथन का समय दिया गया। उक्त समूहों में से एक प्राचार्य को समूह लीडर बनाकर उस समूह द्वारा किए गए विचार मंथन की प्रस्तुति हेतु कहा गया। इन समूह लीडरों में डॉ महेश चंद्र शर्मा प्राचार्य वैशाली नगर, डॉ डीआर भावनानी सुराना कालेज दुर्ग, डॉ वाय आर कटरे प्राध्यापक कल्याण कालेज, डॉ जेहरा हसन प्राचार्य भिलाई महिला महाविद्यालय शामिल थे। समूहों में रिपोर्टर के रूप में प्रमुख भूमिका में डॉ सुचित्रा शर्मा, डॉ सपना शर्मा, डॉ ज्योति धारकर, डॉ शाहीन गनी, डॉ प्रज्ञा कुलकर्णी, डॉ के पद्मावती, डॉ अंजली अवधिया ने अहम भूमिका अदा की।
कार्यशाला के निष्कर्ष के रूप में प्राध्यापकों ने विद्यार्थियों की नियनिमतता पर ध्यान देने, सतत् मूल्यांकन, सरप्राइज टेस्ट, ग्रंथालय जाने हेतु विद्यार्थियों को प्रेरित करने, शिक्षकों के खाली पद भरने, विद्यार्थियों को विषय संबंधी अच्छी पुस्तकों के ज्ञान, प्रायोगिक कक्षाओं का गंभीरता पूर्वक संचालन, कम्प्यूटर साक्षरता, बहुविकल्पीय प्रश्नों का समावेश, शिक्षण पद्धति में रचनात्मक सुधार आदि मुद्दों पर सहमति व्यक्त की। कार्यशाला के निष्कर्ष का संक्षेपीकरण प्रस्तुत करते हुए प्रो. जय प्रकाश साव ने कहा कि शिक्षा पद्धति का मुख्य उद्देश्य अच्छे नागरिक निर्मित करना है। हमारी शिक्षा सफल एवं सार्थक होनी चाहिए। वर्तमान समय में हमें शिक्षा की गुणवत्ता हेतु नये विकल्पों को तलाशना होगा, क्योंकि बाजार एवं पूंजीवाद शिक्षा के स्वरूप को तय कर रहा है।
रूसा द्वारा प्रायोजित इस कार्यशाला के सफल आयोजन में डॉ शीला अग्रवाल, डॉ राजेन्द्र चौबे, डॉ ए के खान, डॉ अरविन्द शुक्ला, डॉ अनिल कश्यप, डॉ एस आर ठाकुर, डॉ अभिनेष सुराना, डॉ जय प्रकाश साव, डॉ अनुपमा अस्थाना, डॉ एमए सिद्दीकी, डॉ पद्मावती, डॉ कांति चौबे एवं मुख्य लिपिक राधेलाल यादव का उल्लेखनीय योगदान रहा।

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