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छत्तीसगढ़ में भूकम्प का खतरा नहीं

Apr 26, 2015

earthquakeदुर्ग। भूकंप की दृष्टि से छत्तीसगढ़ प्रदेश सुरक्षित जोन में आता है। भूवैज्ञानिक ने संरचनाओं एवं किसी क्षेत्र की चट्टानों की प्रकृति के आधार पर भारत को 5 जोन में विभक्त किया है। इनमें प्रथम जोन में भूकंप की संभावना सबसे कम तथा पांचवे जोन में सर्वाधिक होती है। नेपाल एवं उसके आसपास तराई का क्षेत्र पांचवें जोन में आता है। अत: इन जगहों पर भूकंप की संभावना सर्वाधिक है। दिल्ली, उत्तरप्रदेश के कुछ हिस्से चौथे जोन में आते हैं। हमारा छत्तीसगढ़ प्रदेश प्रथम जोन में आता है अत: भूकंपीय घटनाओं की संभावना अन्य जगहों से अपेक्षाकृत कम है। read more
ये जानकारी शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कार स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय, दुर्ग के भूगर्भशास्त्र के प्राध्यापक डॉ. प्रशांत श्रीवास्तव ने दी। डॉ श्रीवास्तव ने बताया कि जहां तक नेपाल के पोखरा में भूकंप के आने का प्रश्न है तो इसका मुख्य कारण भूगर्भशास्त्रियों की राय में भारतीय प्रायद्वीपीय भाग जिसे इंडियन प्लेट भी कहते हैं, इस प्लेट का उत्तर पूर्व में स्थित तिब्बतीय प्लेट से टकराना है। दोनों भूभाग की प्लेटें होने के कारण टकराव लगातार बढ़ रहा है और यही कारण है कि इस क्षेत्र में हिमालय पर्वत की उत्पत्ति हुई है। हिमालय की ऊंचाई आज भी बढ़ रही है। नेपाल में आया 7.9 तीव्रता का भूकंप इसके लगभग 100 गुना परिधीय क्षेत्र अर्थात 7900 किमी परिधि क्षेत्र को प्रभावित करेंगे। यही वजह है कि उत्तर भारत के कई इलाकों में भूकंप के तीव्र झटके महसूस किये गये। छत्तीसगढ़ अंचल चूंकि 700 किमी से भी ज्यादा दूर हैं। अत: यहां कुछ सेकण्ड के लिए भिलाई, रायपुर, कोरबा, बिलासपुर, दुर्ग आदि क्षेत्रों में भूकंप के हल्के झटके महसूस किये गये। दुर्ग साइंस कालेज के प्राचार्य डॉ सुशीलचंद्र तिवारी ने बताया कि विश्वविद्यालयीन परीक्षाओं के दौरान महाविद्यालय ग्रंथालय के प्रथम तल पर स्थित हाल में एकाएक कुर्सियां एवं टेबल हिलने लगे। इसी प्रकार महाविद्यालय के भूगर्भशास्त्र विभाग में स्नातकोत्तर छात्रों के सेमीनार प्रजेन्टेशन के दौरान कांच की आलमारियां एकाएक खड़खड़ाने लगीं जिससे विद्यार्थी एवं प्राध्यापक अचंभित हो गए।
भूगर्भशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ श्रीनिवास देशमुख ने बताया कि भूकंप मुख्यत: एक स्थान पर ऊर्जा के बड़ी मात्रा में निष्कासन के फलस्वरूप आता है। पृथ्वी के अंदर संचित ऊर्जा प्रचंड विस्फोट के रूप में बाहर निकलती है। यह तरंगों के माध्यम से भूमि में कंपन उत्पन्न करती है। यही कारण है कि बड़ी तीव्रता वाले भूकंप के पश्चात भी कई दिनों तक उसके आफ्टर शॉक आते रहते हैं। यह शेष बची ऊर्जा के धीरे-धीरे निष्कासन को दर्शाता है। नागरिकों को इन आफ्टर शॉक से घबराना नहीं चाहिए। यह सामान्य प्रक्रिया है। भूकंप के कारण समुद्र में ऊंची लहरें उठना, सुनामी, संचार यातायात व्यवस्था में गड़बड़ी तथा कई स्थानों पर आग लग जाती है। जब कभी भी हमें भूकंप का एहसास हो तो हमें बिल्डिंग के बाहर खुले मैदान में निकल जाना चाहिए अथवा कमरे में रहने पर टेबल अथवा पलंग के नीचे स्वयं को सुरक्षित करना चाहिए। सीढ़ियां, लिफ्ट, बंद सिनेमा हाल, मॉल आदि स्थानों से तुरंत हट कर खुले स्थान पर जाना चाहिए।

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