भिलाई। अपने परिजनों से दूर जंगलों में डेरा डाले जवानों को जितना खतरा सांप बिच्छू या गोलियों से है, उतना ही खतरा मलेरिया, डेंगू, टायफाइड या पीलिया से है। पीलिया का एक प्रकार ऐसा भी है जो सेक्स पार्टनर के सम्पर्क में आने से हो सकता है। उक्त जानकारी अपोलो बीएसआर अस्पताल द्वारा एसटीएफ के जवानों के लिए आयोजित स्वास्थ्य प्रशिक्षण शिविर को संबोधित करते हुए डॉ जय तिवारी, एमडी. मेडिसिन ने दी। उन्होंने कहा कि हेपाटाइटिस-बी रोगी महिला के सम्पर्क में आने से भी हो सकता है। शेष प्रकार के हेपाटाइटिस से बचने के लिए भोजन एवं पानी की शुद्धता का ख्याल रखना चाहिए। Read More
वहीं मेडिसिन स्पेशलिस्ट डॉ सतीष चंद्र मिश्रा ने कहा कि जहरखुरानी के शिकार लोगों को अस्पताल पहुंचाने से पहले क्या क्या करना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार का अम्लीय पदार्थ, एसिड, हार्पिक आदि पी गए मरीज को उलटी कराने की कोशिश कभी नहीं करनी चाहिए। इससे उसे नुकसान ही होता है। वहीं ज्यादा शराब पी गए या अन्य विषाक्त चीजों का सेवन करने वालों को तत्काल उलटी कराने की कोशिश करनी चाहिए। साथ ही उन्हें तत्काल अस्पताल पहुंचाने की कोशिश करनी चाहिए।
अपोलो बीएसआर के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ दिलीप रत्नानी ने भारतीयों में बढ़ रहे हृदय रोग के खतरे को रेखांकित करते हुए खान-पान, रहन सहन में सामंजस्य बिठाने की बात कही। उन्होंने कहा कि भारतीय चाहे दुनिया के किसी भी कोने में क्यों न रह रहे हों, उन्हें हृदयरोग का खतरा औरों के मुकाबले अधिक होता है। उन्होंने बताया कि अब दुबले पतले और कम उम्र के लोगों को भी दिल के दौरे पड़ रहे हैं इसलिए सभी को सावधानी बरतनी चाहिए।
लैप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ हिमांशु गुप्ता ने गोली के जख्म के प्रबंधन की चर्चा करते हुए कहा कि सबसे पहले तो यह सुनिश्चित करना चाहिए कि गोली शरीर को भेदकर निकल गई है या अभी अन्दर ही है। इसके बाद रक्तप्रवाह को रोकने का प्रयत्न किया जाना चाहिए। इसके लिए साफ सुथरे कपड़े का इस्तेमाल किया जा सकता है। रोगी को कम से कम हरकतों के साथ अस्पताल पहुंचाना चाहिए।
वहीं लैप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ अमित बैंगानी ने भोथरी चीजों से लगी अंदरूनी चोटों की चर्चा करते हुए कहा कि ऐसे रोगी की एबीसी जांच करनी चाहिए। रोगी के नाक मुंह में कहीं कीचड़ तो नहीं भरा हुआ, वह सही ढंग से सांस ले रहा है या नहीं तथा उसके शरीर में रक्तसंचार हो रहा है या नहीं इसकी जांच करनी चाहिए। रोगी को एकदम सीधा लिटाकर बिना ज्यादा हिलाए डुलाए अस्पताल ले जाना चाहिए। यदि रोगी पर बेहोशी छा रही है तो समतल स्थान पर लिटाकर उसके पैरों को ऊपर की ओर उठाना चाहिए।
न्यूरो सर्जन डॉ नरेश कृष्णानी ने कहा कि सिर, गर्दन या रीढ़ की हड्डी पर चोट लगी हो तो रोगी को एकदम सीधे लिटाना चाहिए। उपलब्ध होने पर उसे सर्वाइकल कॉलर लगाकर गर्दन को सीधा रखना चाहिए। उसे इसी अवस्था में बिना ज्यादा हिलाए डुलाए अस्पताल ले जाना चाहिए।
आरंभ में अपोलो बीएसआर अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ एपी सावंत ने इस कार्यक्रम की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अपोलो बीएसआर ग्रुप स्वास्थ्य के प्रति सचेतनता लाने के लिए इस तरह के आयोजन करता रहता है। उन्होंने बताया कि तीन अस्पतालों एवं 32 डायग्नोस्टिक सेन्टर्स के साथ अपोलो बीएसआर ग्रुप छत्तीसगढ़ के साथ ही आसपास के राज्यों की सेवा कर रहा है। उन्होंने उपस्थित एसटीएफ जवानों से इस दो दिवसीय आयोजन का भरपूर लाभ लेने की अपील की।
कार्यक्रम का खूबसूरत संचालन मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ पार्थ गोस्वामी ने किया। उन्होंने कविताओं के माध्यम से देश भक्ति एवं समर्पण का संदेश भी दिया।