भिलाई। महज 15 दिन पहले अपने पेट से बकरी के गले का घुंघरू पट्टी निकलवाने के बाद राजहरा निवासी कृष्णा एक बार फिर अपोलो बीएसआर पहुंचा। इस बार उसकी हालत पहले से कहीं ज्यादा खराब थी क्योंकि उसने शराब के पव्वे का ढक्कन निगल लिया था जो उसके गले में फंस गया था। लैप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ अमित बैंगानी ने बताया कि युवक को 24 घंटे बाद जब अपोलो बीएसआर लाया गया तो उसकी हालत बेहद खराब थी। उसने 24 घंटे से कुछ खाया-पीया नहीं था। उसका गला सूजा हुआ था और भय से उसका रंग उड़ा हुआ था। Read More
पूछताछ करने पर पता चला कि उसने कोई ढक्कन निगल लिया है। एक्स-रे करने पर पता चला कि ढक्कन आहार नली की एक दीवार पर आड़ा धंसा हुआ है जिससे श्वांस नली में भी अवरोध उत्पन्न हो रहा था। अब समस्या यह थी कि गले के ऊतकों को बचाते हुए किस तरह से ढक्कन को बाहर निकाला जाए। इसके लिए अपोलो बीएसआर की पूरी एंडोस्कोपी टीम सीनियर टेक्नीशियन वेंकट रेड्डी एवं एनेस्थेटिस्ट डॉ राकेश सोलंकी के नेतृत्व में उनके साथ लग गई। टीम काफी मेहनत के बाद एन्डोस्कोपी मशीन एवं कई अन्य उपकरणों की मदद से ढक्कन को निकाल लिया।
डॉ बैंगानी ने बताया कि ढक्कन के आसपास इतनी सूजन थी कि उसे उपकरणओं से पकडऩे में भी दिक्कत हो रही थी। इसके लिए मरीज को पूरी तरह से बेहोश कर प्रोसीजर करना पड़ा।
कृष्णा की मां रीमा बाई ने बताया कि कृष्णा पहले ठीक था। आठवीं तक की पढ़ाई भी उसने ठीक-ठाक ढंग से पूरी कर ली थी किन्तु पिछले एक वर्ष से उसकी हरकतें कुछ अजीब हो गई थीं। वह एकाएक गुस्से में आ जाता और कभी टीवी फोड़ देता तो कभी रिमोट को उठाकर फेंक देता। भोजन को थाली से निकालकर जमीन पर डाल लेता और फिर जमीन से उठाकर खाता। कृष्णा की बहन ने बताया कि कभी-कभी उसने अपने भाई को नाले से कीचड़ निकालकर खाते देखा है। उसने यह भी बताया कि कृष्णा अकसर जबरदस्ती सूरज की ओर देखने लगता और तब तक एकटक देखता रहता जब तक आंखों से झर-झर आंसू न बहने लगें। रीमा बाई ने बताया कि कृष्णा को रेलवे अस्पताल के डाक्टर को दिखाया था। उन्होंने दवा भी दी थी जिसे खाने के बाद
कृष्णा घंटों बेसुध सोया रहता था। अब वह कृष्णा का पूरा इलाज कराना चाहती है।
डॉ अमित बैंगानी ने बताया कि कृष्णा अभी स्वास्थ्य लाभ कर रहा है और तरल पदार्थ ले पा रहा है। गले की सूजन कम हो गई है। इसके बाद उसे न्यूरो तथा साइकियाट्रिस्ट को रिफर किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि कृष्णा इसी माह के दूसरे सप्ताह में यहां लाया गया था। तब उसने बकरी के गले की घुंघरू पट्टी निगल ली थी।