भिलाई। इंजीनियरिंग कालेजों की तीन चौथाई से अधिक सीटों का कोई लेवाल नहीं है। मजे की बात यह है कि 11811 सीटों में से केवल 3873 सीटों के लिए ही आॅनलाइन काउंसलिंग में प्राथमिकताएं दर्ज की गई हैं। काउंसलिंग के द्वितीय चरण के बाद भी 48 तकनीकी संस्थानों की 8571 सीटें खाली हैं। प्रदेश के कुछ इंजीनियरिंग कालेजों को छोड़ दिया जाए तो शेष कालेजों की हालत बेहद चिंताजनक है। छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय के पास भी इसका न तो कोई जवाब है और न ही स्थिति सुधारने की कोई योजना। Read Moreकुल सचिव गेलुस राम साहू कहते हैं कि अधिकांश कालेजों का परफारमेंस अच्छा नहीं है। उच्चतर तकनीकी शिक्षा के लिए सुविधाएं नहीं है। यूनिवर्सिटी का अपना कैंपस बनने तक रिसर्च गतिविधियों में किसी सुधार की कोई उम्मीद नहीं है। अभी हमारे पास पीजी के लिए न तो फैकल्टीज हैं और न ही रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए योग्य प्रोफेसरों की कोई टीम।
एक वर्ष में भी कुछ नहीं सुधरा
पिछले वर्ष प्रदेश के तकनीकी संस्थानों में उपलब्ध 16500 सीटों में से 7000 सीटों पर दाखिले नहीं हुए थे। इस वर्ष एक कालेज बढ़ गया है पर सीटें कम हुई हैं। द्वितीय चरण की काउंसलिंग के बाद 15669 में से 8571 सीटें खाली हैं। हालांकि निजी कालेजों के एडमिशन काउंसलर बताते हैं कि द्वितीय चरण की काउंसलिंग के बाद जब विभिन्न स्ट्रीम्स के लिए मापदंड कुछ कम हो जाएंगे तो और एडमिशन्स होंगे। इसके बाद डोनेशन सीट्स में भी आकर्षक छूट दी जाएगी तथा ज्यादा से ज्यादा सीटों को भरने का प्रयास किया जाएगा। पिछले वर्ष की खाली सीटों की मार तो चार साल झेलनी ही है, यदि इस बार भी बैच पूरे नहीं बने तो लगभग दो दर्जन इंजीनियरिंग कालेजों का दीवालिया निकल जाएगा।