भिलाई। इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश हेतु इच्छुक स्टूडेंट्स में ब्रांच के चयन हेतु दुविधा बनी हुई है। स्टूडेंट्स के लिये सर्वोत्तम विकल्प के रूप में मदर ब्रांच – इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग का क्रेज बढ़ा है। इसकी मुख्य वजह भारत की बढ़ती आबादी के साथ बिजली की खपत में हो रही वृद्धि तथा ग्लोबल वार्मिंग की वजह से उत्पन्न हो रहे बिजली संकट के कारण इसके उत्पादन के क्षेत्र में पावर सेक्टर में आया बूम। ग्लोबल मंदी के दौरान भी इन ब्रांचों के स्टूडेंट्स के लिये जॉब सेक्टर के दरवाजे सदैव खुले रहे हैं। Read More
बिजली की उपयोगिता किसी से छुपी नहीं है। मानव जीवन की मूल-भूत आवश्यकताओं में आज के युग में बिजली को भी जोड़ दिया गया है। इसका संबंध हमारी रोजमर्रा की दिनचर्या से इस तरह जुड़ गया है कि मिनट-दो मिनट के लिये भी पावर फेल हो जाये तो हम एक अधूरापन महसूस करने लगते हैं। गौर करने वाली बात यह है कि ग्लोबल मंदी के दौरान भी इन ब्रांचों के स्टूडेंट्स के लिये जॉब सेक्टर के दरवाजे सदैव खुले रहे हैं। इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग व इलेक्ट्रिकल इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग के स्टूडेंट्स का कोर ब्रांच में भविष्य सुरक्षित रहता ही है साथ ही साथ इंटर डिसिप्लिनरी सब्जेक्ट्स में आगे पढ़ने और बढ़ने के पर्याप्त अवसर रहते हैं। यही वजह है कि इंजीनियरिंग की यह ब्रांच गागर में सागर कहलाती है। इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के स्टूडेंट्स इलेक्ट्रिकल विभाग के मूल विषयों का अध्ययन तो करते ही हैं साथ ही उनके पाठ्यक्रम में इलेक्ट्रॉनिक्स, कम्प्यूटर साइंस, मैनेजमेंट आदि के विषयों का भी समावेश होता है। वतर्मान में उद्योगों में भी ऐसे ही इंजीनियरिंग ग्रेजुएट की तलाश रहती है जो कि बहुआयामी प्रतिभा संपन्न हो। इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में इलेक्ट्रिक के जनरेशन, ट्रांसमिशन, डिस्ट्रीब्यूशन, स्विच-गेयर प्रोटेक्शन, मेजरमेन्ट, कंट्रोल, हाई-वोल्टेज इंजीनियरिंग आदि विषयों के साथ इलेक्ट्रो-मेगनेटिक फील्ड, नेटवर्क एनालिसिस, बायो-मेडिकल इंजीनियरिंग, एनालॉग-डिजिटल, कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग, पावर इलेक्ट्रॉनिक्स आदि विषय भी इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के पाठ्यक्रम में समाहित हैं। यदि देखा जाये तो मूलत: पावर जनरेशन का कार्य इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के अंतर्गत तथा पावर डिस्ट्रीब्यूशन के कार्य में इलेक्ट्रिकल इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग का महत्वपूर्ण योगदान होता है। इन सभी से संबंधित उद्योगों में पर्याप्त रोजगार के अवसर होते हैं।
एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर के लिये बीई/बीटेक में चार वर्षीय (8 सेमेस्टर) इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग कोर्स प्रवेश हेतु उपलब्ध है। जबकि इसी क्षेत्र में उच्च शिक्षा हेतु दो वर्षीय (4 सेमेस्टर) एमई/एमटेक कोर्सेस उपलब्ध हैं।
एक्सपर्ट व्यू
इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग ब्रांच आधुनिक इंजीनियरिंग ब्रांचों की जननी है। बिजली की बड़ी-बड़ी मशीनों के पीछे भी इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के छोटे-छोटे सरल सिद्धांत होते हैं। इन्हीं मूल सिद्धांतों को सजगता से आत्मसात करने के इच्छुक युवा इस क्षेत्र में अपने कैरियर का निर्माण कर सकते हैं। लगातार हो रहे औद्योगीकरण के चलते सरकारी तथा निजी क्षेत्र में इन ब्रांचों के स्टूडेंट्स हेतु रोजगार के अच्छे अवसर हैं। उच्च शिक्षा प्राप्त कर युवा अध्यापन के क्षेत्र में भी अपना कैरियर बना सकते हैं।
– डॉ. सौरभ रूंगटा
डायरेक्टर (टेक्निकल), संतोष रूंगटा ग्रुप आॅफ इंस्टीट्यूशन्स
भिलाई-रायपुर
हमारे छत्तीसगढ़ राज्य में पारंपरिक और गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के दोहन से विद्युत उत्पादन की असीम संभावनायें हैं तथा राज्य में विद्युत उत्पादन हेतु कई पावर प्लांट लगे हैं। ऐसी स्थिति में छत्तीसगढ़ के स्टूडेंट्स को घर के घर में रोजगार की पर्याप्त संभावनायें हैं। राज्य से बाहर या विदेश जाकर कैरियर बनाने के इच्छुक युवाओं के लिये तो पावर कंपनियॉं बाहें फैलाये बैठी हैं। हमारे समूह द्वारा संचालित कॉलेजों के कैम्पस प्लेसमेंट में इस वर्ष विभिन्न कंपनियों द्वारा इन ब्रांचों के स्टूडेंट्स के चयन में विशेष रूझान दिखाया जिससे इसकी उद्योगों में उपयोगिता का सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है।
सोनल रूंगटा,
डायरेक्टर (एफ एण्ड ए), संतोष रूंगटा ग्रुप आॅफ इंस्टीट्यूशन्स,
भिलाई-रायपुर