रायपुर। एम्प्लाइज स्टेट इंश्योरेंस कारपोरेशन (ईएसआईसी) कार्डधारियों के लिए निजी अस्पतालों की सुविधा एक बार फिर शुरू कर दी गई है। कैंसर, किडनी और दिल की बीमारियों के अलावा अग्नि दुर्घटना या एक्सिडेंट के मामलों में वे निजी क्षेत्र के बड़े अस्पतालों में कैशलेस ट्रीटमेंट प्राप्त कर सकेंगे। इन अस्पतालों में एडमिशन के लिए उन्हें सिर्फ अपना ईएसआई कार्ड दिखाना होगा। इसके लिए तीन दर्जन बड़े अस्पतालों से करार किया गया है। Read More
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने 1 अप्रैल से सिस्टम में बदलाव कर प्राइवेट अस्पतालों में इलाज बैन कर दिया था। प्राइवेट अस्पतालों में कैशलेस स्कीम बंद करने से ईएसआई के कार्ड धारियों में हाहाकार जैसी स्थिति थी। किडनी और कैंसर के मरीजों के लिए दवाई के लाले पड़ गए थे। सरकार के इस फैसले की कड़ी आलोचना की गई थी। ईएसआई से अनुबंधित अस्पतालों की बिलिंग और अनुबंध का अधिकार 1 अप्रैल से केंद्र सरकार ने राज्य शासन को दे दिया था। शासन ने इसे श्रम विभाग के हवाले कर दिया। 1 अप्रैल से प्राइवेट अस्पतालों में इलाज बैन कर दिया गया था। सभी कार्ड धारियों के लिए यह निर्देश जारी किया गया था कि वे ईएसआई के अस्पताल और डिस्पेंसरी में ही इलाज करवाएं। ईएसआई की डिस्पेंसरी और अस्पताल में सभी तरह के इलाज की सुविधा नहीं है। इसी वजह से नया सिस्टम लागू होने से सवा लाख से ज्यादा परिवार मुश्किल में पड़ गए थे।
हर महीने 8 करोड़ होते हैं जमा
कर्मचारियों के वेतन से ईएसआई योजना के तहत काटी गई रकम से हर महीने 8 करोड़ जमा होते हैं। प्राइवेट अस्पतालों में पाबंदी लगने तक हर महीने औसतन 3 करोड़ तक का इलाज किया जाता था। पाबंदी लगने के बाद पिछले तीन महीनों में इसकी आधी रकम भी इलाज पर खर्च नहीं की गई है।
यह है ईएसआई की स्कीम
कर्मचारी राज्य बीमा योजना यानी ईएसआई की स्कीम के दायरे में 15 हजार तक का वेतन पाने वाले कर्मचारी आते हैं। फैक्ट्री और बड़े संस्थानों के कर्मचारियों का बीमा करवाया जाता है। कर्मचारियों के वेतन से न्यूनतम डेढ़ सौ से सवा दो सौ हर महीने काटकर ईएसआई के खाते में जमा किया जाता है। इन्हीं पैसों से योजना में शामिल मरीजों का इलाज किया जाता है। यह योजना इसलिए फायदेमंद है क्योंकि इसमें इलाज के खर्च की कोई सीमा नहीं है।