बेंगलुरू। क्या अंडे की भी जाति होती है। शायद होती हो क्योंकि नि:संतान दंपति अब दान में मिले अंडे की धर्म-जाति भी पूछ रहे हैं। और तो और वे यह भी पता लगा रहे हैं कि जिसका अंडा है वह शाकाहारी है या मांसाहारी। इसके अलावा उनकी प्राथमिकता सूची में कुछ और चीजें भी शामिल हैं – दानदाता की उम्र, त्वचा और आंखों का रंग, कद, वजन और शिक्षा। Read More
मिलान फर्टिलिटी सेन्टर की डॉ कामिनी एक राव बताती हैं कि नि:संतान दंपति स्वयं शाकाहारी हों या मांसाहारी, वे अंडा शाकाहारी माता से चाहते हैं। ब्राह्मण या जैन स्त्री के अंडों की मांग सबसे ज्यादा है। अच्छा कद, गोरा रंग और इंटेलीजेंट पढ़ी लिखी डोनर जैसी शर्तें भी आम हैं।
नोवा आईवीआई फर्टिलिटी सेंटर की डॉ अविवा पिंटो राड्रिग्स कहती हैं कि पहले लोग डोनर की जाति और ब्लड ग्रुप के बारे में सबसे ज्यादा पूछताछ करते थे किन्तु अब वे सबसे पहले यह जानना चाहते हैं कि डोनर शाकाहारी है या मांसाहारी।
गुणशीला आईवीएफ फर्टिलिटी सेंटर की डॉ देवकी गुणशीला बताती हैं कि मुझे यह सब बेवकूफाना लगता है। लोग डोनर की जाति और भोजन के बारे में पूछताछ करते हैं। हम केवल ऐसे डोनरों की सूची रखते हैं जो स्वस्थ हैं, एक या दो बच्चों को जन्मदे चुके हैं। इससे अधिक जानना हमें जरूरी नहीं लगता।
क्या मिलता है डोनर को : डोनर की उम्र 21 से 35 वर्ष के बीच होनी चाहिए। ऐसे डोनर्स को प्रत्येक डिम्ब का 25 से 35 हजार रुपए मिलता है।
क्या कहता है रूलबुक : अंडा या स्पर्म दान करने वाले को एचआईवी, हेपेटाइटिस बी या सी का संक्रमण नहीं होना चाहिए। दानदाता को एसटीडी (रतिज रोग) संक्रमण नहीं होना चाहिए। दानदाता को डायबिटीज या हाईपरटेंशन से मुक्त होना चाहिए। दानदाता का ब्लड ग्रुप और आरएच फैक्टर रिकार्ड करना होगा। इसके अलावा दानदाता की ऊंचाई, वजन, शैक्षणिक अर्हता, त्वचा एवं आंखों का रंग, आनुवांशिक रोग की फैमिली हिस्ट्री को रिकार्ड करना चाहिए। उम्र 21 से 35 वर्ष के बीच होना चाहिए।