भिलाई। कहते हैं मानसून के महीनों में चमर्रोग कुछ ज्यादा ही परेशान करते हैं। इसकी वजह भी है। वर्षाकाल में नमी के कारण बैक्टीरिया तथा फंगस के पनपने के अनुकूल माहौल होता है। इसलिए इस मौसम में त्वचा एवं बालों को शुष्क रखने की पूरी पूरी कोशिश करनी चाहिए। अपोलो बीएसआर के डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ भरत चावड़ा ने बताया कि बारिश के मौसम में तैलीय त्वचा वाले लोग सबसे अधिक परेशान होते हैं। ऐसी त्वचा वाले लोगों को सलाह दी जाती है कि वे ऐसे साबुन का इस्तेमाल करें जो त्वचा से तेल सोख ले और उसे शुष्क रखे। चेहरा धोने के लिए गुनगुने पानी का इस्तेमाल करना भी अच्छा रहता है। Read More
वर्षा ऋतु में इस बात का भी खास ध्यान रखना चाहिए कि सभी वस्त्र पूरी तरह सूखे हों तथा उनमें जरा सी भी नमी न हो। बेहतर हो कि सूती कपड़ों का इस्तेमाल किया जाए। इसके साथ ही कपड़े थोड़े ढीले-ढाले हों ताकि त्वचा को पर्याप्त हवा मिल सके। यदि धूप न निकल रही हो तो कपड़ों को ड्रायर से निकालने के बाद प्रेस करवा लें। बिस्तर के चादर, तकिये के गिलाफ के साथ भी ऐसा ही करें। बच्चों के कपड़ों का तो इस मौसम में विशेष ध्यान रखना चाहिए।
नम वस्त्रों से खतरे : वस्त्रों में जरा सी भी नमी होने पर बैक्टीरिया, फंगस आदि के पनपने का खतरा रहता है। बहुत सारे ऐसे फंगल इंफेक्शन हैं जो नम वस्त्रों के कारण ही होते हैं तथा फैलते हैं।
बालों का झड़ना : बारिश के दौरान लोगों को, खासकर स्त्रियों को, अपने बालों की देखभाल करने में काफी मुश्किल होती है। इस मौसम में बाल झड़ते भी हैं। बारिश के दिनों में नहाने के बाद बाल काफी देर तक गीला रहने के कारण इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। यह समस्या लंबे बाल रखने वाले पुरुषों को भी हो सकती है। बारिश के पानी में भीग जाने के बाद स्थिति और खराब हो जाती है। ऐसे में लंबे बाल रखने वालों के लिए यह सबसे अच्छा है कि वे बालों को दोबारा बांधने से पहले सूखने के लिए पर्याप्त समय दें। जल्दी कहीं जाना हो तो हेयर ड्रायर का प्रयोग किया जा सकता है। हालांकि इसका इस्तेमाल सावधानी से करना चाहिए।
बच्चों के डायपर : इस मौसम में शिशुओं के डायपर का विशेष ध्यान रखना चाहिए तथा उन्हें बदलते रहना चाहिए। डायपर में गीलापन रहने पर बच्चे को नैपी डर्माटिटिस हो सकता है।
खूब पिएं पानी : डॉ भरत चावड़ा बताते हैं कि हालांकि बारिश के महीनों में ज्यादा प्यास नहीं लगती पर इस मौसम में भी पर्याप्त मात्रा में पानी पीते रहना चाहिए। कीट दंश : बारिश के महीनों में कई प्रकार के कीट पतंगे निकल आते हैं। ये वस्त्रों के जरिए या सीधे शरीर के सम्पर्क में आ सकते हैं। इस मौसम में मच्छरों का उत्पात भी बढ़ जाता है। कीट पतंगों से सुरक्षित रहने की कोशिश करनी चाहिए। यदि कीड़ा काट दे और वहां सूजन या जलन हो तो चिकित्सक का परामर्श लेना चाहिए।