दुर्ग । राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा घुमंतु तथा संकटग्रस्त बच्चों को समाज की मुख्यधारा से जोडऩे के लिए शिक्षा का अवसर पर प्रदान करने के उद्देश्य से स्ट्रीट टू स्कूल अभियान चलाने के लिए सभी राज्यों से अनुरोध किया गया है। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा राज्य स्तर पर 17 जून 2015 को बैठक आयोजित किया गया था. बैठक में इन बच्चों को चिन्हांकित कर उनके परिवार की सहायता से आवासीय विद्यालय/बालगृहों में प्रवेश दिलाए जाने कहा गया है। Read Moreजिला प्रशासन/श्रम विभाग द्वारा गठित डिस्ट्रिक्ट टॉस्क फोर्स, जिला बाल संरक्षण इकाई द्वारा गठित समिति से समन्वय स्थापित कर श्रमिक बच्चे/घुमंतु बच्चे/कचरा बिनने वाले बच्चे तथा अन्य संकटग्रस्त बच्चे के क्षेत्रों का पहचान करेंगे। सर्वेक्षण कार्य में श्रम विभाग, स्कूल शिक्षा विभाग, जिला बाल संरक्षण इकाई, महिला एवं बाल विकास विभाग तथा चाइल्ड लाईन आपस में समन्वय स्थापित कर कार्य करेंगे। रेलवे स्टेशन का विशेष रूप से नियमित भ्रमण कर बच्चों का चिन्हांकन किया जाएगा।
बच्चों को ढूंढने के लिए 31 जुलाई 2015 तक सभी जिलों में विशेष अभियान चलाया जाएगा। अभियान में बरामद किए गए बच्चों का सूचीकरण कर प्रत्येक बरामद बच्चों को संबंधित अधिकारी, जिले की बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत करेगा। बाल कल्याण समिति के आदेश पर बच्चों का उपयुक्त पुर्नवास सुनिश्चित कर शाला में प्रवेश दिलाया जाएगा। प्रवेश कराए जा चुके बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा, शिक्षा सामग्री, आवासीय सुविधा मुहैय्या कराया जाएगा। बरामद बच्चों का आधार कार्ड बनाया जाएगा तथा उसके देख-रेख हेतु विशेष प्लान बनाया जाएगा।