दुर्ग। वार्ड नं. 48 सिविल लाईन दक्षिण उत्कलनगर के अनेक निराश्रितों को पिछले 11 माह से वृद्धावस्था एवं सामाजिक सुरक्षा पेंशन नहीं दिया जा रहा है। इस बारे में निराश्रितों को नगर निगम से हर माह यह कहकर टरकाया जाता रहा है कि अगले माह पेंशन दिया जाएगा। पिछले 11 माह से जब उन्हें पेंशन नहीं मिली तो उन्होंने कांग्रेस के संभागीय प्रवक्ता एवं पूर्व पार्षद देवकुमार जंघेल और वार्ड पार्षद महेश्वरी ठाकुर व से इसकी शिकायत की। Read More
गुरुवार को देवकुमार जंघेल व महेश्वरी ठाकुर के नेतृत्व में ऐसी सभी वंचित निराश्रित लोगों ने नगर निगम के दफ्तर में धावा बोला। जहां कम्प्यूटर से उनके प्रकरणों की जांच करवाई गई तो यह पाया गया कि कई निराश्रितों के अंगूठे का निशान मेल नहीं खाता है। इसकी वजह से उनकी पेंशन रोक दी गई है। गौरतलब है कि उम्र बढऩे के साथ अंगूठे के निशान घिस जाते हैं। इसी आधार पर उनकी पेंशन रोक दी गई थी। नगर निगम के अधिकारियों ने बताया कि कुछ पेंशनधारियों के मूल आवेदन में हस्ताक्षर ही नहीं हैं। जबकि पिछले 6-7 साल से उन्हें नियमित पेंशन दी जा रही है। कुछ लोगों की पेंशन इसलिए रोक दी गई है कि पति और पत्नी दोनों को पेंशन नहीं दी जाएगी। जबकि शासन का ऐसा कोई आदेश नहीं है। वहीं कुछ प्रकरणों में यह कहकर आपत्ति लगा दी गई है कि हितग्राही की उम्र पेंशन की पात्रता के लायक नहीं है। जबकि उन्हें पिछले कई सालों से पेंशन मिल रही थी। इसी तरह कुछ लोगों की पेंशन इस आपत्ति के साथ रोक दी गई है कि गरीबी रेखा के सर्वे सूची में उनका नाम नहीं है तो कई हितग्राहियों को इसलिए पेंशन से वंचित कर दिया गया है कि उनके पास आधार कार्ड और बैंक एकाउंट नहीं हैं।
इस मुद्दे को लेकर पूर्व पार्षद देवकुमार जंघेल व पार्षद महेश्वरी ठाकुर ने नगर निगम के अधिकारियों को जमकर खरी-खोटी सुनाई और कहा कि नगर निगम नए-नए नियम कानून लगाना बंद करे जब पिछले 6-7 सालों से इन पेंशनधारियों को नियमित रुप से पेंशन दी जा रही है तो अब उसमें इस तरह का अडंगा लगाना और उनसे जन्म प्रमाण पत्र, बैक एकाउंट नंबर और अन्य प्रमाण पत्र मांगना अनुचित है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इन्हें शीघ्र ही पेंशन नहीं दी गई तो सभी पेंशनधारियों के साथ वे नगर निगम मुख्यालय के सामने धरना देने पर बाध्य होंगे। उल्लेखनीय है कि दुर्ग शहर के कई अन्य वार्डों में भी निराश्रित पेंशनधारियों को पिछले 11 माह से पेंशन से वंचित कर दिया गया है। जिससे निराश्रित पेंशनधारियों के सामने भूखों मरने और भीख मांगने की नौबत आ गई है।