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तुलसी साहित्य श्रेष्ठ नागरिक बनाने में समर्थ – शिवनाथ

Aug 27, 2015

shivnath shuklaभिलाई। सामाजिक एवं मानवीय मूल्यों के रचनाकार विश्वकवि गोस्वामी तुलसीदास एवं व्यंग्य साहित्य के पुरोधा हरिशंकर परसाई की कालजयी रचनायें आज भी हमारा मार्गदर्शन करती हैं। उनका शाश्वत साहित्य आने वाली पीढ़ियों को भी रास्ता दिखाता रहेगा। युवावर्ग को तो आज इसका विशेष लाभ लेते हुये माता-पिता और सभी बड़ों का सम्मान करना सीखना चाहिये। तुलसी साहित्य के पठन, पाठन और आचरण से विद्यार्थी श्रेष्ठ नागरिक बन सकते हैं। ये विचार हैं युवा कथाकार, वरिष्ठ लेखक एवं पत्रकार शिवनाथ शुक्ल के। वे विगत दिनों गोस्वामी तुलसीदास और महान व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई के संयुक्त जयन्ती समारोह में मुख्यअतिथि की आसन्दी से बोल रहे थे।  Read More
शासकीय नवीन महाविद्यालय खुर्सीपार में आयोजित प्रबुद्ध सभा में श्री शुक्ल ने चरित्रनिर्माण विषयक गोस्वामी जी के मानस के साथ विनयपत्रिका और गीतावली के पद्यों पुरते निकसीं रघुवीर वधू की सस्वर और सटीक प्रस्तुति देकर उपस्थित शिक्षकों और विद्यार्थियों का मन मोह लिया। उन्होंने मानस में व्यक्त भारतीय संस्कृति से प्रभावित रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानन्द एवं मैथिलीशरण गुप्त की यशोधरा का उल्लेख किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये महाविद्यालय के प्राचार्य (अतिरिक्त प्रभार) डॉ. महेशचन्द्र शर्मा ने कहा कि उनकी विश्वविख्यात रचना रामचरित मानस तो वेद-पुराणों का न केवल सार है, अपितु इनके परम ज्ञाता भी तुलसी काव्य का अति सम्मान करते हैं।
उन्होंने सन्त और असन्तों का भेद भी बताया। उनकी यही कसौटी हमें आज के असंख्य ढोंगी संतों से बचाती है। मूँड़ मुड़ाइ भये संन्यासी, आज खूब चरितार्थ होती दिख रही है। साहित्य मनीषी आचार्य डॉ. महेश शर्मा ने आगे कहा कि ऐसे पाखण्डियों की तुलसीदास जी ने अच्छी खबर ली है।
जासु राज प्रिय प्रजा दुखारी।
सो नृप अबसि नरक अधिकारी।।
कहकर उन्होनें राजनैतिक पाखण्ड को भी उजागर किया है। अपनी शैली में बहुत कुछ ऐसा ही हरिशंकर परसाई ने अपनी रचनाओं में किया है। डॉ. शर्मा ने बेलजीयम में तुलसीदास के अध्येता दादा कामिल बुल्के पर कविता सुना कर सबको मन्त्रमुग्ध कर दिया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि शिवनाथ शुक्ल का प्राचार्य डॉ. शर्मा ने शॉल-श्रीफल से सम्मान भी किया। प्रारम्भ में कु. श्वेता, कु. विमला एवं कु. झामिन साहू ने भी तुलसी पर विचार रखे और वाहवाही लूटी। मौके पर शोधार्थी बसन्त दास एवं कथाकार राजेन्द्र नाग समेत शिक्षक वृन्द एवं बड़ी संख्या में विद्यार्थी मौजूद थे। संचालन हिन्दी विभागाध्यक्ष एवं संयोजिका डॉ. शीला शर्मा ने तथा आभार ज्ञापन डॉ. सुनीता झा ने किया।

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