• Thu. Mar 28th, 2024

Sunday Campus

Health & Education Together Build a Nation

आधुनिक सोच से दें तनाव को मात

Oct 11, 2015

science college durgदुर्ग। भिलाई इस्पात संयंत्र के पं. जवाहर लाल नेहरू चिकित्सालय एवं अनुसंधान केन्द्र के मनोविज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ एके विश्वास ने कहा कि हम प्रति मिनट जो महसूस करते हैं वही स्ट्रेस है। किसी भी वस्तु की मात्रा अधिक होने पर वह नुकसान करने लगता है। स्ट्रेस के साथ भी ऐसा ही है। स्ट्रेस से मुक्त रहने का सबसे अच्छा तरीका अपनी सोच को विकसित करना है। डॉ विश्वास साइंस कालेज में विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। महाविद्यालय परिवार को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि विद्यार्थी स्वयं अपना मूल्यांकन कर लक्ष्य निर्धारित करें। तभी उन्हें सफलता मिलेगी। कार्य का आनंद मिलेगा और इसीसे ऊर्जा भी मिलेगी। क्षमता से बड़ा या नापसंद विषय चुनने से तनाव बढ़ेगा और परफारमेन्स खराब होगा। Read More
इस कार्यक्रम का आयोजन महाविद्यालय के मनोविज्ञान एवं समाजशास्त्र विभाग द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था। व्यख्यान का विषय था ‘मानसिक स्वास्थ्य-वर्तमान समय की सबसे बड़ी चुनौती’।
डॉ. विश्वास ने विद्यार्थियों को सलाह दी कि किसी भी परिस्थिति में अपना आत्मविश्वास कम न होने दें। मानसिक तनाव हमारे स्वभाव एवं कार्य प्रणाली दोनों को प्रभावित करता है। डॉ. विश्वास ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य एवं मानसिक अस्वस्थता दोनों एक दूसरे के पूरक है।
उन्होंने कहा, हमें विचार एवं सोच से आधुनिक होने की आवश्यकता है। रचनात्मकता से पूर्ण किये गये कार्यों से ही हम वास्तविक रूप से आधुनिक हो सकते है। विद्यार्थियों के सवालों का जवाब देते हुए डॉ. विश्वास ने कहा कि हमारे दिमाग का मुख्य कार्य सोचना, याददाश्त, बुद्धि तथा अवधारणा स्थापित करना होता है। हमारी मानसिक अस्वस्थता के लिए जैविक, मनोवैज्ञानिक, सामाजिक कारण प्रमुख रूप से जिम्मेदार होते हैं। किसी भी चीज का निर्धारित मात्रा अथवा क्षमता से अधिक उपयोग नुकसान देह होता है।
डॉ विश्वास ने कहा, चिकित्सकीय भाषा में हमारा शरीर प्रति मिनट जो महसूस करता है वही स्ट्रेस है। डॉ. विश्वास ने प्राचीन काल से जारी गुरू, शिष्य परंपरा को वर्तमान समय में भी प्रासंगिक बताया। उन्होंने गलत परंपराओं से दूर रहने की भी सलाह दी।
व्याख्यान के दूसरे चरण में विद्यार्थियों ने डॉ. विश्वास से कई सवाल किए। प्रश्न पूछने वाले विद्यार्थियों में एम.एससी प्रथम सेमेस्टर प्राणीशास्त्र के विनय कृष्णा, बी. एससी प्रथम वर्ष की सीमा दुबे, एमएससी प्रथम सेमेस्टर के लालू प्रसाद, बी.सी.ए. प्रथम वर्ष की कु. दीपिका तथा सुशील कुमार, बी.एससी प्रथम वर्ष की सोनल साहू तथा बी.एससी तृतीय वर्ष के मनोज कुमार आदि शामिल थे। विद्यार्थियों ने मानसिक तनाव से बचने, सामाजिक दबाव का मुकाबला करने, लक्ष्य प्राप्ति हेतु किये जाने वाले उपाय, सिक्स्थ सेंस (छठी इंद्रीय) तथा वेशभूषा पर आधारित प्रश्न पूछे।
प्राचार्य डॉ सुशील चन्द्र तिवारी ने बताया कि महाविद्यालय प्रशासन द्वारा मनोविज्ञान परामर्श केन्द्र के अलावा भी विद्यार्थियों के व्यक्तित्व विकास हेतु अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। कार्यक्रम का संचालन समाज शास्त्र की डॉ सपना शर्मा ने किया। धन्यवाद ज्ञापन करते हए डॉ राजेन्द्र चौबे ने विद्यार्थियों से संकोच छोड़कर समस्याओं के समाधान हेतु प्रयास करने का आह्वान किया।
दस फीसदी बच्चे तनावग्रस्त
मनोविज्ञान विभाग की डॉ शाहीन गनी ने महाविद्यालय में स्थापित मनोविज्ञान परामर्श केन्द्र की उपयोगिता दर्शाते हुए जानकारी दी कि विगत तीन माह में बीस विद्यार्थियों ने इस केन्द्र में अपनी समस्याओं का निराकरण किया है। डॉ गनी ने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य का संबंध केवल बीमारी से नहीं है। यदि हम पूर्ण दक्षता के साथ कोई कार्य नहीं कर पा रहे हैं, तो यह भी चिंता का विषय है। मानसिक दबाव के कारण आज हर चौथा व्यक्ति एवं हर दसवां बच्चा मानसिक रोग का शिकार हो रहा है।

Leave a Reply