भिलाई। भारतीय विज्ञान एवं वैज्ञानिकों की एक लम्बी और समृद्ध परम्परा है। गुरुत्वाकर्षण सिद्धान्त और शून्य के साथ अणु एवं परमाणु की खोजों में भी भारत के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। यूरोप और अमेरिका के वैज्ञानिकों ने भी इस क्षेत्र में बड़े-बड़े अनुसन्धान किये हैं। किन्तु आज सबसे बड़ी चिन्ता है जलवायु के घातक परिवर्तन, पर्यावरण प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याओं की है। न्यूटन, ग्राहमबेल, एडीशन, रदरफोर्ड एवं मैडम क्यूरी आदि की खोजों के कारण ही हमें आज एक से बढ़कर साधन और संसाधन प्राप्त हो सके हैं। Read More
शासकीय महविद्यालय वैशालीनगर में विज्ञान परिषद् के उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता करते हुये प्राचार्य डॉ. महेशचन्द्र शर्मा ने ये विचार रखे। डॉ. शर्मा ने उक्त वैज्ञानिकों के अलावा डॉल्टन, मैकमिलन, गैलीलियो, फैराडे एवं डॉर्विन जैसे महान वैज्ञानिकों एवं उनकी विश्वविख्यात खोजों को ‘साइंस चालीसा’ के रूप में प्रस्तुत कर सभी उपस्थितों को सुखद आश्चर्य का अनुभव कराया। विज्ञान की छात्रा कु. अनवर निशा ने वायु, जल और पृथ्वी के प्रदूषणों के साथ कार्बन डाइ आॅक्साइड की बढ़ी हुयी मात्रा, समस्या और समाधान पर महत्वपूर्ण आलेख पढ़ा। कु. पूजा सिंह ने पॉवर प्रजेण्टेशन के माध्यम से प्रभावशाली जानकारी दी। उन्होनें वायुमण्डल में विषैली गैसों के फैलने, जमीन के कटाव, सूखे से उत्पन्न दुर्दशा, वृक्षों की कटाई और इन सबके कारण बढ़ते तापमान पर विस्तार से चिंता व्यक्त की। छात्र रोशन ने ओजोन परत के क्षरण और कु. संध्या देवांगन ने लुप्त होते वन्य जीवों पर चिन्ता जताई। विज्ञान परिषद् की अध्यक्षा कु. गरिमा सिंह, सचिव कु. संध्या देवांगन एवं कु. पुष्पा को मनोनीत किया गया है। विज्ञान परिषद् की प्रभारी एवं कार्यक्रम संयोजिका श्रीमती डॉ. आरती दीवान ने संचालन करते हुये वनों के विस्तार, पर्यावरण संरक्षण एवं जल के अपव्यय को रोकने हेतु सुझाव दिये। मौके पर श्रीमती डॉ. नीता डेनियल, श्रीमती डॉ. स्मृति अग्रवाल डॉ. एस.के. बोहरे, डॉ. कैलाष शर्मा, डॉ. श्रीमती रविन्दर छाबड़ा, डॉ. श्रीमती अल्पा श्रीवास्तव, डॉ. श्वेता गायकवाड़, सुश्री दीपा साहू, सुश्री नफीस अखतरी एवं सुश्री करिश्मा बानो समेत बड़ी संख्या में शिक्षक एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।