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रिमोट सेसिंग-जीआईएस क्षेत्र में अपार संभावनाएं

Mar 26, 2016

remote-sensing-workshopसाइंस कालेज दुर्ग में तीन दिवसीय कार्यशाला आयोजित

दुर्ग। रिमोट सेंसिंग और जीआईएस (भौगोलिक सूचना प्रणाली) में अध्ययनरत् विद्यार्थियों हेतु वर्तमान समय में रोजगार की अपार संभावनाएं है। ये उद्गार छत्तीसगढ़ काउंसिल ऑफ साइंस एण्ड टेक्नालॉजी रायपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रशांत कवीश्वर ने शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय दुर्ग में व्यक्त किये। Read More
डॉ. कवीश्वर महाविद्यालय के भूविज्ञान एवं भूगोल विभाग द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित रिमोट सेंसिंग एवं जीआईएस के अनुप्रयोग पर केन्द्रित कार्यशाला में आमंत्रित व्याख्यान दे रहे थे।
डॉ. कवीश्वर ने कहा कि विभिन्न प्रयोगशालाओं, अनुसंधान केन्द्रों, विश्वविद्यालयों एवं अन्य शैक्षणिक संस्थानों में रिमोट सेसिंग एवं जीआईएस प्रणाली के अनुप्रयोग संबंधी अनेक कार्य हो रहे है। विद्याथी तन्मयता से इन विषयों का अध्ययन कर उच्च रोजगार हासिल कर सकते हैं।
कार्यशाला के आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. सुशील चंद्र तिवारी ने कहा कि भूविज्ञान एवं भूगोल विभाग का यह संयुक्त आयोजन महाविद्यालय के अन्य विभागों के लिये अनुकरणीय है। अंतर्विषयक आयोजनों से विद्यार्थियों के आत्मविश्वास में वृद्धि के साथ-साथ नवीनतम तकनीकों की जानकारी मिलती है। भूगोल की विभागाध्यक्ष डॉ. रंजना शर्मा ने रिमोट सेसिंग व जीआईएस के अनुप्रयोग पर केन्द्रित कार्यषाला को विद्यार्थियों के लिए लाभप्रद बताते हुए कहा कि प्रायोगिक विषयों में नवीनतम जानकारी विद्यार्थियों को उपलब्ध करवाना ही कार्यशाला का प्रमुख उद्देश्य था।
भूविज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ. श्रीनिवास देशमुख ने बताया कि यूजीसी की सीपीई योजना के अंतर्गत आयोजित गतिविधियों के अंतर्गत अगामी सत्र में भी भूविज्ञान व भूगोल विषय के विद्यार्थियों हेतु विषय पर आधारित अनेक कार्यक्रमों, जैसे कार्यशाला, प्रदर्शनी, मॉडल पोस्टर आदि के आयोजन का प्रस्ताव है।
कार्यशाला में छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद रायपुर के वैज्ञानिकों डॉ. नवीन त्रिपाठी एवं अभिषेक देवांगन ने त्रिदिवसीय कार्यशाला में प्रतिभागी विद्यार्थियों को रिमोट सेसिंग से संबंधित फोटोग्रामेट्री, रिमोट सेसिंग का महत्व एवं विज्ञान की विभिन्न शाखाओं में उनका अनुप्रयोग एवं जीआईएस की महत्ता पर आधारित सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक जानकारी दी। विद्यार्थियों ने प्रश्न पूछकर अपनी जिज्ञासाओं का समाधान भी किया।
कार्यशाला के अंत में धन्यवाद ज्ञापन भूगोल विभाग की डॉ. सुषमा यादव एवं भूविज्ञान विभाग के डॉ. प्रशांत श्रीवास्तव ने दिया। कार्यशाला के आयोजन में चन्द्रभान बंजारे, सीताराम देवांगन, चंदन सिंह राठौर, पुष्प कुमार देशलहरे, राजेश श्रीवास्तव का उल्लेखनीय योगदान रहा।

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