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शिव के आदेश पर हुआ था रुद्र महायज्ञ

Mar 27, 2016
दक्ष प्रजापति को मिला था नया जीवन, यज्ञशाला की प्रदक्षिणा से पूर्ण होती हैं मनोकामनाएं

jatashankar-upadhyaya-rudraभिलाई। रुद्र महायज्ञ का आयोजन राजा दक्ष प्रजापति को नया जीवन प्रदान करने के लिए शिव के आदेश पर किया गया था। अपने अपमान तथा माता सती के अग्निप्रवेश से कुपित शिव ने दक्ष यज्ञ को भंग करने के साथ ही दक्ष का वध करवा दिया था। Read More
काशी से पधारे पं. जटाशंकर उपाध्याय, पं. अरुण उपाध्याय, पं. राजा शास्त्री, पं. गिरीजेश उपाध्याय, पं. चंद्रभूषण उपाध्याय ने विभिन्न शास्त्रों के हवाले से यह जानकारी देते हुए बताया कि दक्ष प्रजापति अपनी पुत्री सती के पति शिव को कभी स्वीकार नहीं कर पाए थे। इसलिए जब उन्होंने यज्ञ का आयोजन किया तो उसमें शिव का अंश नहीं रखा। जब इसकी जानकारी सती को हुई तो वे बिना बुलावा अपने पीहर आई और यज्ञ कुंड में अग्नि प्रवेश कर लिया। निमंत्रण नहीं मिलने के अपमान और सती के अग्निप्रवेश से कुपित शिव ने अपनी जटा से वीरभद्र नामक गण को उत्पन्न किया और उसे दक्षयज्ञ भंग करने के लिए बेजा। वीरभद्र ने न केवल यज्ञ में आए देवताओं, ऋषियों और राजाओं को भयभीत कर भगा दिया बल्कि यज्ञ भंग करने के साथ ही दक्ष प्रजापति का सिर धड़ से अलग कर दिया। तब शिव प्रकट हुए और सती के शव को लेकर ताण्डव करने लगे। ताण्डव से पूरी धरती के नष्ट होने की आशंका से विष्णु ने चक्र से सती के शव के टुकड़े टुकड़े कर दिए। ये टुकड़े और माता के आभूषण जहां-जहां गिरे वहां-वहां शक्तिपीठों की स्थापना की गई।
इस बीच दक्ष को अपनी भूल का अहसास हो गया। शिव ने दक्ष के पुनर्जीवन के लिए रुद्र महायज्ञ का आदेश दिया। शिव के आदेश पर गण सबसे पहले दृष्टिगोचर होने वाले प्राणी का सिर ले आए। यह सिर एक बकरे का था। शिव ने दक्ष के धड़ पर बकरे का सिर लगा दिया। रुद्र महायज्ञ सम्पन्न हुआ। सती ने अपने अगले जन्म में हिमराज के यहां पार्वती के रूप में जन्म लिया और शिव को पुन: स्वामी के रूप में प्राप्त कर लिया।
पं. उपाध्याय ने बताया कि शिव आदेश से सम्पन्न होने के कारण रुद्र महायज्ञ की महिमा अपरम्पार है। इस यज्ञ में आहुतियां देने वाले श्रद्धालु की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। कलियुग में नाम स्मरण-संकीर्तण मात्र से मनोकामना पूर्ण होने का विधान है। अत: मूक श्रोता बनकर इस यज्ञ के मंत्रोच्चारों को सुनने तथा यज्ञस्थल की प्रदक्षिणा करने से भी मनोकामना पूर्ण होती है। विशिष्ट मनोकामना के लिए पार्थिव शिवलिंगों का निर्माण किया जा सकता है। देवी पार्वती ने भी शिव को संतुष्ट करने के लिए ऐसा ही किया था।
सवा करोड़ पार्थिव शिवलिंग
श्री हनुमंत वानरी सेना सेवा समिति द्वारा सेक्टर-2 सड़क-1 के ग्राउण्ड आयोजित रुद्र महायज्ञ में पार्थिव शिवलिंग का निर्माण प्रारंभ।

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