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भावी पीढ़ी को दें संरक्षित पर्यावरण का तोहफा

Apr 23, 2016

environment-science-college-durgदुर्ग। पृथ्वी के विभिन्न घटक जैसे भूमि, जल, आकाश, पर्यावरण आदि का संरक्षण वर्तमान समय की नितांत आवष्यकता है। प्रत्येक नागरिक को अपने-अपने स्तर पर इस संबंध में प्रयास करना चाहिए। ये उद्गार शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय, दुर्ग में विश्व पृथ्वी दिवस के अवसर पर महाविद्यालय में भूगर्भशास्त्र विभाग द्वारा आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों के दौरान बड़ी संख्या में विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने व्यक्त किये। Read More
जल संरक्षण पर विचार व्यक्त करते हुए साइंस कालेज, बिलासपुर के डॉ. डी.के. श्रीवास्तव ने कहा कि हमें अपनी भावी पीढिय़ों को सुरक्षित पर्यावरण उपहार के रूप में प्रदान करना चाहिए। राज्य शासन द्वारा निर्धारित पृथ्वी संरक्षण संबंधी शपथ डॉ. अनुपमा अस्थाना ने दिलायी। डॉ. अस्थाना ने उपस्थित छात्रों से एक पौधा जरूर लगाने तथा उस की देखरेख का दायित्व उठाने का आह्वान किया।
आमंत्रित व्याख्यान देते हुए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी, रायपुर के भूगर्भशास्त्र के विभागाध्यक्ष डॉ. प्रभात दीवान ने दैनिक जीवन के विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण एवं मृदा संरक्षण की महत्वपूर्ण जानकारी दी। शासकीय महाविद्यालय, कांकेर के प्राध्यापक, प्रो. प्रदीप सिंह गौर ने कहा कि बूंद-बूंद से घड़ा भरता है। विद्यार्थियों का एक छोटा सा प्रयास पृथ्वी संरक्षण हेतु मील का पत्थर सिध्द हो सकता हैै। हमें अपने स्वार्थ की खातिर ही सही पर्यावरण संरक्षण हेतु सदैव प्रयासरत रहना चाहिए। आईक्यूएसी के संयोजक डॉ. जय प्रकाश साव ने विभिन्न वेदों में उल्लेखित प्रसंगों के माध्यम से बताया कि जब कभी भी मनुष्य ने दिशा हीन विकास का प्रयास किया है। इसका सीधा असर पृथ्वी एवं पर्यावरण पर पड़ा है। इस अवसर पर स्नातक एवं स्नातकोत्तर विद्यार्थियों हेतु पृथ्वी संरक्षण पर आधारित पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया तथा विजेता विद्यार्थियों को पुरस्कृत भी किया गया। भूविज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. श्रीनिवास देशमुख ने पृथ्वी दिवस के आयोजन की प्रासंगिकता पर विचार व्यक्त करते हुए उपस्थित अतिथियों को पौंधे भेंटकर पर्यावरण का संदेश दिया।
संरक्षण के संदेश के साथ स्वागत किया। डॉ. देशमुख ने प्राकृतिक संसाधनों जैसे: जल, वन, भूमि, खनिज आदि के अत्याधिक दोहन के फलस्वरूप पृथ्वी एवं पर्यावरण पर पडऩे वाले दुष्प्रभावों का विस्तृत विश्लेषण किया। मानव के विकास एवं उसके पर्यावरण पर पडऩे वाले प्रभावों पर के्रन्द्रित विडियो फिल्म का भी डॉ. देशमुख ने प्रदर्शन किया।
कार्यक्रम के संचालक डॉ. पशांत श्रीवास्तव ने कहा कि पृथ्वी के किसी भी घटक का यदि हम अपने स्वार्थ हेतु अत्याधिक दोहन करेंगे तो दूसरा घटक उससे प्रभावित होता है और उससे पर्यावरण असंतुलन की स्थिति निर्मित होती है, जो समूचे मानव समाज के लिए घातक सिध्द होती है। अत: हमें अपनी क्षमता के अनुरूप पर्यावरण संरक्षण हेतु प्रयास करना चाहिए। छत्तीसगढ़ अंचल में वर्तमान में व्याप्त जल की समस्या पर विस्तृत जानकारी देते हुए डॉ. प्रशान्त श्रीवास्तव ने कहा कि जल के समुचित प्रबंधन न होने के कारण आज 30 फीट से लेकर 200 फीट तक जल स्तर में गिरावट आई है। यह चितंनीय है। हमें जल के संरक्षण एवं समुचित उपयोग हेतु सदैव सजग रहना चाहिए।
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. सुशील चन्द्र तिवारी ने भूगर्भशास्त्र विभाग द्वारा पृथ्वी दिवस समारोह के आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए बताया कि इस प्रकार के आयोजन से न केवल विद्यार्थियों के ज्ञान में वृध्दि होती है, अपितु विद्यार्थियों के मन में पर्यावरण संरक्षण के प्रति भावना भी जागृत होती है। भूगर्भशास्त्र के अतिथि प्राध्यापक चन्द्रभान बंजारे एवं सीताराम देवांगन द्वारा धन्यवाद ज्ञापन किया गया।
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