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अपचारी बच्चों को वोकेशनल ट्रेनिंग

Jul 30, 2016

bal-sudhar-grih-durgदुर्ग। बाल संप्रेक्षण गृह दुर्ग के अपचारी बालकों को विभिन्न व्यवसायिक कौशल जैसे कम्प्यूटर टाइपिंग, कम्प्यूटर में वर्ड, एक्सेल और पावर प्वाइंट, सिलाई, क्राफ्ट मेकिंग जैसे बैग बनाना आदि का प्रशिक्षण देने का कार्य प्रारंभ किया गया है। इसी तरह इन बच्चों को नैतिक शिक्षा, आध्यात्मिक ज्ञान, योग, खेल, सांस्कृतिक एवं मनोरंजन गतिविधियों के माध्यम से उनके चरित्र निर्माण करने के नये सिरे से प्रयास प्रारंभ किए गए। प्रयास है कि यहां रहने वाले हर एक बच्चे कि काउंसलिंग की जाए और उनके सामाजिक, पारिवारिक तथा अन्य परिवेश को समझकर तथा उनकी रूचियों और इच्छाओं को जानकर उनके भविष्य को सुधारने और संवारने का कार्य किया जाए।
वर्तमान में बाल संप्रेक्षण गृह के सभी बच्चे सुबह साढ़े छह बजे से एक घंटे का योग करते हैं। सुबह उनकी कम्प्यूटर क्लास और अन्य गतिविधियां होती है। शाम को नैतिक शिक्षा, आट्र्स और क्राफ्ट मेकिंग तथा डांस की क्लास लगाई जा रही है। दोपहर का समय उनके आराम का रहता है तथा सप्ताह में दो दिन उनके परिजन दोपहर को बच्चों अपने से मुलाकात कर सकते हैं। पिछले दिनों हुई एक घटना के बाद कलेक्टर श्रीमती आर. शंगीता ने यहां सातो दिन अलग-अलग राजस्व अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है। ये अधिकारी यहां प्रतिदिन आते हैं और यहां का निरीक्षण करने के साथ-साथ यहां की व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने का प्रयास करते हैं। हाल ही में यहां की सुरक्षा को बढ़ाने, छत में ग्रिल लगाने, बाउंड्रीवॉल ऊंचा करने, पेयजल टंकी की व्यवस्था को सुधारने, शौचालय में सुधार करने, उद्यान को विकसित करने, खेल-कूद और टी वी आदि के माध्यम से मनोरंजन के साधन को बढ़ाने जैसे कार्यों को प्रारंभ किया गया है तथा गति दी गई हैं।
बाल संपे्रक्षण गृह में त्रिसंध्या साहू और रत्ना पाध्ये ने यहां रहने वाले सभी बच्चों के काउंसलिंग का कार्य प्रारंभ किया है। वे न केवल इन बच्चों के पुराने परिवेश और संगति को समझ रही हैं बल्कि वे इन बच्चों की रूचि और उनमें छुपी प्रतिभा को समझकर उन्हें जिंदगी की सही दिशा दिखा रही हैं, उन्हें अनुशासित होकर अच्छा जीवन जीने और समाज की मुख्यधारा से जोडऩे का प्रयास कर रही हैं। संस्थागत सरंक्षण अधिकारी द्वारा भी इसी तरह बच्चों की लगातार काउंसलिंग की जाती है। इन बच्चों को नैतिक शिक्षा के माध्यम से अच्छा जीवन जीने की कला, आचरण में सुधार लाने की जरूरत और बेहतर आचरण के सही तौर-तरीके, बड़ों और अपने से छोटों से व्यवहार करने के तरीके के साथ-साथ उनके सामान्य ज्ञान को बढ़ाने का भी प्रयास किया जा रहा है। गोपाल साहू यहां प्रतिदिन सुबह बच्चों को योग का प्रशिक्षण दे रहे हैं। इसी तरह राजेश सिन्हा बच्चों को कम्प्यूटर की शिक्षा और लोकमणि साहू टेलरिंग की शिक्षा दे रहे हैं। ये बच्चे योग करने, कम्प्यूटर सीखने, क्राफ्ट बनाना सीखने और डांस करने में काफी रूचि ले रहे हैं। वर्तमान में करीब 25 बच्चे कम्प्यूटर सीख रहे हैं, इनमें से अनेक प्रतिभाशाली बच्चे भी हैं जिन्होंने न केवल कम्प्यूटर की बुनियादी बातें सीख ली हैं बल्कि हिन्दी टायपिंग भी सीख ली हैं। यह भी प्रयास किया जा रहा है कि यहां के बच्चे न केवल आगे पढ़े बल्कि परीक्षाओं में भी बैठे और अपनी अधूरी शिक्षा को पूरी करें। यहां पैरा मेडिकल स्टॉफ की स्थापना की गई है तथा इसके लिए श्री चंद्रकांत वर्मा को नियुक्त किया गया है।
हाल में ही यहां आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर द्वारा बताई गई आर्ट ऑफ लिविंग की योग और ध्यान भी बच्चों को बताया गया। जिला चिकित्सालय दुर्ग की डॉ. सुगम सावंत के नेतृत्व में यहां मनोचिकित्सा शिविर लगाया गया, जिसमें बच्चों के मनोभावों, परिस्थितियों, समस्याओं, उलझनों और आकांक्षाओं को समझकर उन्हें मार्गदर्शन दिया गया। मुख्यमंत्री कौशल विकास प्राधिकरण के डॉ. मुखोपाध्याय द्वारा यहां के बच्चों को कौशल विकास के विविध क्षेत्रों की जानकारी दी गई। यह भी प्रयास है कि इन बच्चों को इस संस्था में एक ऐसा प्रेरक और सकारात्मक वातावरण मिले, जिससे वे अपने पुराने अपराधिक एवं अंधकारमयी जिंदगी को भूलकर एक साफ-सुधरी और अच्छी जिंदगी की शुरूआत करें।

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