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नशे का खिलाफ सामूहिक युद्ध छेड़ें – जस्टिस दिवाकर

Aug 3, 2016

नालसा पर राज्य की प्रथम कार्यशाला आयोजित
justice-diwakarदुर्ग। नशा पीडि़तों एवं नशा उन्मूलन के लिए विधिक सेवाएंÓ (नालसा) योजना 2015 विषय पर आई.सी.ए.आई. भवन, सिविक सेंटर में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के संयुक्त तत्वाधान में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का शुभारंभ छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एवं कार्यपालक अध्यक्ष छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण न्यायमूर्ति श्री प्रीतिंकर दिवाकर के मुख्य आतिथ्य एवं न्यायाधीश छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय न्यायमूर्ति श्री मनीन्द्र मोहन श्रीवास्तव की अध्यक्षता में तथा न्यायाधीश छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय एवं अध्यक्ष उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति न्यायमूर्ति श्री गौतम भादुरी की गरिमामय उपस्थिति में दीप प्रज्जवलित कर किया गया।
nasha-muktiउल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा देश की सात प्रमुख सामाजिक समस्याओं और सारोकारों से जुड़े विषयों पर योजना बनाई गई है। इसके अंतर्गत नशा के उन्मूलन पर आधारित यह राज्य स्तर की पहली कार्यशाला थी। कार्यशाला में विधि एवं विधायी विभाग के प्रमुख सचिव सामंत रे, महिला एवं बाल विकास विभाग तथा समाज कल्याण विभाग के सचिव सोनमणी वोरा, कमिश्नर दुर्ग एवं रायपुर संभाग ब्रजेश चंद्र मिश्रा सहित न्यायधीशगणों, अधिवक्ताओं, प्रशासन एवं पुलिस के अधिकारियों, स्वयंसेवी संगठनों के सदस्यों, विधिक सहायता से जुड़े पैरालीगल वॉलेंटियर्स, विद्यार्थीगण, मध्यस्थगण, गायत्री परिवार के सदस्यगण के साथ-साथ समाज के विभिन्न वर्गों के गणमान्य नागरिकों ने भी भाग लिया।
शुभारंभ सत्र को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर ने कहा कि नशा या ड्रग समाज की एक अत्यंत गंभीर और जटिल समस्या है। इसने हमारे निर्दोष बच्चों, युवाओं, किशारों और महिलाओं के ऊपर अपना भयानक शिकंजा कस लिया है। हर व्यक्ति को अपने दिल पर हाथ रखकर यह देखने और खुद से प्रश्न करने की जरूरत है कि उसने नशा के उन्मूलन या नशा के फैलाव को रोकने और इससे अपने किसी परिचितों या पड़ोसी को नशे की समस्या से मुक्ति दिलाने के लिए क्या किया है? उन्होंने कहा यह एक गंभीर समस्या है और अब हम मूक दर्शक की भांति नही रह सकते। नशा मुक्ति या उन्मूलन का कार्य केवल कागजों में नहीं हो सकता, नशा मुक्ति के लिए हर व्यक्ति का ह्दय झंकृत होना चाहिए।
श्री दिवाकर ने कहा कि भिलाई एक एजुकेशन हब है। यहां के आकर्षण से बाहर से आने वाले नागरिकों और विद्यार्थियों की संख्या काफी ज्यादा है। बाहर से आने वाले विद्यार्थी अपने अभिभावकों से दूर रहकर तथा पालकों के कम नियंत्रण में रहकर स्वच्छंदता महसूस करते हैं। वे गीली मिट्टी की तरह होते हैं और किसी भी रूप को ले सकते हैं। इसी तरह नशा समाज के निम्न तथा गरीब तबकों को भी आकर्षित करता है। रेल्वे स्टेशनों के पास नशा पान करने वालों की संख्या अधिक देखी जाती है। शुरू में सिगरेट या शराब के रूप में यह आदत ड्रग सेवन का रूप ले लेती है। कई बार ऐसी भी स्थिति देखी जाती है कि शिक्षक के सामने विद्यार्थी सिगरेट पीते हैं और बाप-बेटे साथ बैठकर नशा करते हैं। उन्होंने कहा कि इन सबका कुप्रभाव स्पष्ट रूप से नजर आ रहा है और अब केवल आलोचना करने से स्थिति में सुधार नहीं होगा। इसके लिए शासन के साथ-साथ हम सभी को एवं हर एक व्यक्ति को अपने-अपने स्तर पर छोटा-छोटा प्रयास करना होगा तभी हमें नशा उन्मूलन की दिशा में सफलता मिलेगी।
न्यायमूर्ति मनीन्द्र मोहन श्रीवास्तव ने कहा कि नशा और ड्रग एक गंभीर चुनौती है और इसका निदान भी बड़े स्तर पर किया जाना आवश्यक है लेकिन इस उद्देश्य की पूर्ति केवल योजना बनाने, स्कीम बनाने या पुर्नवास केन्द्र बनाने से नहीं हो सकती। इसके लिए पूरे समाज को संवेदनशील बनना होगा। समाज के एक संवेदनशील नागरिक के रूप में हम सभी की भूमिका महत्वपूर्ण है। नशा उन्मूलन के लिए पुलिस और प्रशासन नागरिकों के सहयोग से ही सफल हो सकता है। समाज को संवेदनशील और जागरूक बनाने की दृष्टि से ऐसी कार्यशालाएं प्रदेश की हर जिले में लगाई जाएगी।
न्यायमूर्ति श्री गौतम भादुड़ी ने कहा कि नशा या ड्रग से प्रभावित व्यक्ति प्रारंभ में खुद नशे का शिकार बनता है। बाद में वहीं व्यक्ति नशे का सप्लायर बनकर दूसरों को भी प्रभावित करने लगता है। एक आंकड़ों के अनुसार देश की 18 प्रतिशत नागरिक नशे के आदी हैं छत्तीसगढ़ में भी इस नशे की शुरूआत हो गई है। इस आंकड़े को कम करते हुए शून्य प्रतिशत पर लाये जाने की जरूरत है। इसके लिए जरूरी है कि इस समस्या के जड़ को पकड़ा जाए, इसके उत्पादन और सप्लाई को रोका जाए तथा नशा के उन्मूलन के लिए संयुक्त प्रयास किए जाए।
विधि एवं विधायी विभाग के प्रमुख सचिव श्री ए.के. सामंत रे ने Óनशा पीडि़तों एवं नशा उन्मूलन के लिए विधिक सेवाएंÓ (नालसा) योजना 2015 की जानकारी दी। उन्होंने नशा मुक्ति के लिए जन जागरूकता बढ़ाने पर जोर दिया और इसके लिए विभिन्न विभागों के समन्वय पर जोर दिया। सचिव महिला एवं बाल विकास तथा समाज कल्याण श्री सोनमणी वोरा ने कहा कि Óनशा पीडि़तों एवं नशा उन्मूलन के लिए विधिक सेवाएंÓ (नालसा) योजना 2015 आज के परिवेश में अत्यंत महत्वपूर्ण एवं प्रासंगिक हो गई है। नशा मुक्ति के चार प्रमुख घटक है। नशा एवं नशापान के विरोध में वातावरण बनाना, नशा के दुष्प्रभावों के प्रति जन-जागरूकता लाना, नशा से प्रभावित व्यक्ति के उपचार की व्यवस्था और उनके सामुदायिक पुर्नवास का कार्य। उन्होंने कहा कि इस कार्य में सकारात्मक वातावरण के साथ-साथ समर्पित प्रयास की जरूरत है। नशा मुक्ति के लिए 30 जनवरी, 31 मई, 2-8 अक्टूबर आदि को विभिन्न दिवस के रूप में जन जागरूकता बढ़ाने का कार्य किया जाता है। उन्होंने कहा कि उनका विभाग नशा मुक्ति के लिए हर संभव प्रयास करेगा और योगदान देगा।
कार्यशाला के प्रारंभिक सत्र में जिला एवं सत्र न्यायधीश तथा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री नीलम चंद सांखला ने स्वागत उद्बोधन व्यक्त करते हुए कहा कि हर्ष की बात है कि राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा राज्य की पहली कार्यशाला का आयोजना दुर्ग जिले के भिलाई में करने का निर्णय लिया गया। उन्होंने कहा कि नशा एक ऐसी बुरी आदत है जो दबे पांव घर कर लेती है और बाद में यह आदत उस व्यक्ति, उसके घर परिवार, समाज देश और अंत में पूरी दुनिया को बर्बाद कर देती है। इस कार्यशाला में अगर हमें नशा मुक्ति की नई राह दिखती है और उसके प्रयासों को मजबूती और गति मिलती है तो यह भी सफलता की दिशा में एक कदम होगा। उन्होंने कहा इस कार्यशाला में प्राप्त होने वाले सलाह और निष्कर्षों से पूरे प्रदेश में लाभान्वित करने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि यह दुख की बात है कि अब लड़कियां भी नशे की गिरफ्त में आ रही है। उन्होंने मेडिकल स्टोर्स के संचालकों से अपील की कि अगर कोई व्यक्ति अल्कोहल युक्त दवाई बार-बार मांगता है तो वे इसकी सूचना दें। शुभारंभ सत्र के अंत में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव श्री अविनाश तिवारी ने आभार व्यक्त किया।
दिया नशा प्रभावित युवक का मार्मिक उदाहरण
न्यायमूर्ति मनीन्द्र मोहन श्रीवास्तव ने नशा मुक्ति की कार्यशाला में एक अत्यंत दर्दनाक और मार्मिक उदाहरण देते हुए बताया कि उनके एक परिचित का अत्यंत प्रतिभाशाली और होनहार बेटा किस तरह नशे की चपेट में आ गया। उसके पिता नें डॉक्टरों की सलाह ली, उसे पुर्नवास केन्द्र भी भेजा लेकिन वह कुंठाग्रस्त हो गया और अंत में उसने आत्महत्या कर ली। उन्होंने कहा हमारे पूरे समाज, बच्चों, किशोरों, युवाओं, असंगठित क्षेत्र के लोगों, सभी वर्ग के लोगों को नशे से दूर रखने की हर हालत में जरूरत है।

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