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मुक्त दिमाग में ही आएगी वैज्ञानिक सोच : दीक्षित

Aug 21, 2016

innovativeभिलाई। भारत सरकार के विज्ञान व प्रौद्यौगिकी विभाग अंतर्गत विज्ञान प्रसार व छत्तीसगढ़ विज्ञान मंच द्वारा स्कूल शिक्षा विभाग के सहयोग से स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय में आयोजित भौतिकी में नवाचारी प्रयोग विषयक चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का समापन कार्यक्रम दुर्ग विश्व विद्यालय के कुलपति डा एन पी दीक्षित के मुख्य आतिथ्य में संपन्न हुआ।
प्रदेश के आदिवासी अंचल के दंतेवाड़ा, कांकेर, राजनांदगांव व बालोद जिलों की भौतिकी विषय के 40 शिक्षकों के लिए संपन्न इस कार्यशाला के प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए डॉ दीक्षित ने कहा कि गुरुत्वाकर्षण, चुम्बकीय बलों, ध्वनि तरंगों जैसे प्रकृति की अदृश्य प्रक्रियाओं-घटनाओं को भौतिक विज्ञान में समझा जाता है। उन्होंने आगे कहा, अपनी आँखों व दिमाग को खुला रखने से ही प्राकृतिक रहस्यों के सत्य को समझने में सफलता मिलती है। अत: बच्चों में अवलोकन की सजग दृष्टी विकसित करने तथा भौतिक परिवर्तनों, घटनाओं व प्रक्रियाओं को कक्षा में अर्जित ज्ञान से जोड़ कर समझाने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए श्री स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय की प्राचार्य डा हंसा शुक्ला ने बच्चों में भौतिक विज्ञान के ज्ञान के साथ साथ वैज्ञानिक सूझ-बूझ विकसित करने में अपनी भूमिका निभाने का आग्रह शिक्षकों से किया। महाराष्ट्र (लातूर) से आये विद्वान वक्ता डा अजय महाजन ने प्रतिभागी शिक्षकों से भौतिक विज्ञान के सिद्दांतों व अवधारणाओं को समझाने के लिए सरलतम भाषा, सामान्य उदाहरणों तथा नवाचारी रोचक गतिविधियों एवं प्रादर्शों का इस्तेमाल करने को कहा।
आरम्भ में छत्तीसगढ़ विज्ञान मंच के कार्यकारी अध्यक्ष प्रो डी एन शर्मा ने चार दिवसीय कार्यशाला में किये गए प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भौतिक विज्ञान के सिखाने-सिखाने की प्रक्रिया को प्रभावी बनाने की क्षमता के विकास में ऐसे प्रशिक्षण कार्यकम उपयोगी साबित हो रहे हैं. प्रतिभागी शिक्षक सुश्री मेहरुनिशा (बालोद), गोकुल निषाद (राजनांदगांव), दिनेश तिवारी (सूरजपुर), अजय भोई (महासमुंद) पवन सिन्हा (बालोद) व कीर्ति पटेल (कांकेर) ने प्रशिक्षण के अपने अनुभव साझा किए। छत्तीसगढ़ विज्ञान मंच की सचिव डा भव्या भार्गव ने आभार व्यक्त किया। सुश्री मानसी जोशी, चंद्रप्रकाश व लखपति का सराहनीय सहयोग इस आयोजन में रहा।

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