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छत्तीसगढ़ में नहीं होती कन्या भ्रूण हत्या

Oct 1, 2016

महिला सशक्तिकरण का परिचायक है दुर्ग जिला-डॉ. रमन सिंह : मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के वक्तव्य के मुख्य अंश :- गुलामी के दौर में बिगड़ी समाज में महिलाओं की स्थिति. वैदिक काल में भी महिलाएं खुद रणभूमि में पहुंच जाती थीं, आज फाइटर प्लेन उड़ा रहीं. महिला स्व सहायता समूह की बदौलत एक साल पहले ही ओडीएफ हो जाएगा छत्तीसगढ़. महिलाओं के लिए आरक्षण 50 फीसदी पर जीतकर आ रही 60 फीसदी महिलाएं. शिशु मृत्यु दर कम करने में भी महिलाओं की बड़ी भूमिका. दहेज प्रताडऩा में महिलाओं की बराबर भूमिका. प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना से महिलाओं को चूल्हा फूंकने, दमा और कैंसर से मिली निजात. कभी नहीं भूलेंगे वह पल जब एक अनपढ़ ग्रामीण महिला ने कहा- थैंक यू वैरी मच डाक्टर साहब.

vividha vividha-raksha-singhदुर्ग। मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने कहा कि भारत में नारियों को बराबरी का नहीं बल्कि उच्च दर्जा हासिल था। वैदिक काल में महिलाएं युद्ध भूमि में चली जाया करती थीं। गुलामी के दौर में महिलाओं की स्थिति में परिवर्तन आया किन्तु आजादी के 70 साल बाद आज फिर महिलाएं लड़ाकू विमान उड़ा रही हैं। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में कन्या भ्रूण हत्या नहीं होती। इसलिए यहां स्त्री पुरुष अनुपात बेहतर है। दंतेवाड़ा-बीजापुर में तो यह लगभग बराबर है।
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने प्रजापति ब्रम्हाकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित नारी सम्मान विविधा के एक दिवसीय संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। मुख्य अतिथि की आसंदी से उन्होंने कहा कि राज्य की सभी दिशाओं में शक्तिपीठ स्थापित है। उत्तर में रतनपुर महामाया, दक्षिण में दन्तेश्वरी, पूर्व में मां बम्लेश्वरी और पश्चिम में मां चन्द्रहासिनी की स्थापना हुई है। यह भगवान राम की माता कौशिल्या की जन्म भूमि है। छत्तीसगढ़ में नारियों का अहम स्थान रहा है। यहां की महिलाएं जागरूक है और समाज के प्रति जवाबदारी का निर्वहन उनके कंधों पर है।
दुर्ग जिले का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि यह जिला पूरे प्रदेश में महिला सशक्तिकरण का परिचायक है। जिला पंचायत की अध्यक्ष, कलेक्टर, जिला पंचायत की सीईओ से लेकर नगरीय निकाय एवं अन्य प्रशासनिक अमला में महिलाएं है। महिला एवं बाल विकास मंत्री भी दुर्ग जिले का प्रतिनिधित्व करती है। ये सभी मिलकर महिला जागृति और सशक्तिकरण के लिए अच्छे तालमेल और प्रयास के साथ कार्य कर रही है। छत्तीसगढ़ में नारी शक्ति और महिलाओं को महतारी कहा जाता है। महिलाओं की शक्ति राज्य को विकसित करने की प्रेरणा देती है और उन्हें आगे बढ़ाने में भी सहायक है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि महिलाओं की प्रतिशत की दृष्टि से छत्तीसगढ़ एक उत्कृष्ट राज्य है। बस्तर अंचल में लिंगानुपात में बालिकाओं की संख्या अधिक है। स्कूलों, महाविद्यालयों तथा उच्च शिक्षा में लड़कों की तुलना में लड़कियों का प्रवेश अधिक संख्या में हो रहा है। परीक्षा परिणाम में बेटियां अव्वल स्थान प्राप्त कर रही है। बेटियां टॉप टेन में आने के साथ ही गोल्ड मेडल प्राप्त कर रही है। आज बेटियां केवल घरों तक ही सीमित नहीं है। दुनिया के हर क्षेत्र में वे अपना परचम लहरा रही है और अब वे युद्ध के क्षेत्र में फाइटर प्लेन तक चला रही हैं। यह परिवर्तन आज सभी क्षेत्रों में देखने को मिल रहा है।
उन्होंने आगे कहा कि भारत में आदि काल व वैदिक काल से नारियों का सम्मान होते आ रहा है। बीच में कुछ परिस्थितियों और कुप्रथाओं के चलते नारियों के सम्मान में कमी आई थी लेकिन समाज में जागृति आने के परिणामस्वरूप नारियों का सम्मान फिर से होने लगा है। उन्होंने कहा कि समाज के अलग-अलग क्षेत्र में अलग-अलग तरह की समस्याएं होती है, अभियान चलाकर महिला फोरम के द्वारा ऐसी समस्याएं दूर करने का कार्य किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने महिला शिक्षा को समाज के विकास के लिए जरूरी बताते हुए कहा कि बेटियां शिक्षित होगी तो पूरा समाज शिक्षित होगा और राज्य व देश का विकास होगा। राज्य में अनेक योजनाएं संचालित कर महिलाओं को स्वावलम्बी बनाने का कार्य किया जा रहा है। पंचायत में 50 प्रतिशत स्थान महिलाओं के लिए आरक्षित करने से आज वे स्थानीय जनप्रतिनिधि के रूप में प्रतिनिधित्व कर राज्य के विकास में सार्थक प्रयास कर रही हैं। सरस्वती सायकल योजना, नि:शुल्क पुस्तक एवं गणवेश वितरण, महिला कोष के माध्यम से कम ब्याज दर पर ऋण की स्वीकृति, महिला स्व-सहायता समूह द्वारा राशन दुकानों, मध्यान्ह भोजन, गणवेश सिलाई का संचालन बखूबी किया जा रहा है। बेटी जन्म दर को बढ़ावा देने और उनके स्तर को उज्जवल बनाने के लिए बेटी के जन्म होने पर पांच हजार रूपए जमा किए जा जाते हैं, यह राशि 18 वर्ष के आयु पूर्ण होने पर एक लाख रूपए के रूप में बेटियों को मिलती है। प्रधानमंत्री उज्जवला योजना से देश की पांच करोड़ बहनों को स्वस्थ और सुखद जीवन जीने में मदद मिलेगी। योजना अंतर्गत राज्य के 25 लाख महिलाओं को मात्र 200 रूपए की प्रीमियम दर पर गैस का कनेक्शन दिया जा रहा है। महिलाओं को स्वस्थ प्रसव के लिए उनके घर तक महतारी एक्सप्रेस एम्बुलेंस की व्यवस्था की गई है।
महिला समन्वय समिति की अखिल भारतीय संयोजक गीता ताई ने विश्वविद्यालय द्वारा गतिविधियों एवं महिलाओं के उत्थान एवं सम्मान के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी।
आरंभ में नीता बाजपेयी ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि कार्यक्षेत्र में महिलाओं को आ रही परेशानी के समाधान हेतु यह कार्यक्रम आयोजित किया गया है। आप सब इसके गवाह है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही सुश्री गीता ताई ने नारी शक्ति-राष्ट्रशक्ति का नारा लगवाते हुए कहा की महिला सभी संगठनों में सक्रिय रहती है जो इसको संगठित करती है वह है महिला समन्वय। हर क्षेत्र में महिलाओं की सहभागिता के लिए उसका विकास होना आवश्यक है। छत्तीसगढ़ शासन एवं समाज की ओर से प्रयास चल रहा है। महिला आज शक्ति प्रदर्शन करते हुए घर से बाहर निकल रही है। समाज में 99 प्रतिशत पुरूष अच्छे है, केवल 1 प्रतिशत ही गडबडी करते है। नारी को विशाल मातृत्व का भाव लेकर सभी के लिए कार्य करना है।
कार्यक्रम को श्रीमती अर्चना राणा सिंह, श्रीमती सौम्या चौरसिया, श्रीमती अमृता शौरी, श्रीमती मंजुलता यादव, डॉ. अर्चना चौहान, श्रीमती मौसमी, श्रीमती उर्मिला ओझा, श्रीमती लीना मोहन, श्रीमती शीला शर्मा, श्रीमती यामिनी ताम्रकार ने भी संबोधित किया। बी.के. माधुरी बहन जी के द्वारा चार मिनट का मेडिटेशन करवाया गया।
कार्यक्रम में राजस्व मंत्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय, महिला एवं बाल विकास मंत्री रमशीला साहू, विधायक विद्यारतन भसीन, जिला पंचायत की अध्यक्ष माया बेलचंदन, महापौर देवेन्द्र यादव, बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष हर्षिता पाण्डेय, जिलाधीश श्रीमती आर. संगीता, प्रांत संघ प्रमुख बिसराराम यादव, ब्रह्मकुमारी आशा दीदी, श्री गंगाजली शिक्षण समिति के अध्यक्ष आई.पी. मिश्रा एवं उपाध्यक्ष श्रीमती जया मिश्रा, श्री शंकराचार्य महाविद्यालय की प्राचार्या एवं कार्यक्रम की संयोजिका डॉ. रक्षा सिंह, अति. निदेशक डॉ. जे. दुर्गा प्रसाद राव, डॉ. अर्चना झा, डॉ. जयश्री वाकणकर, श्रीमती शिल्पा कुलकणी, एम.जे. कॉलेज की डायरेक्टर श्रीलेखा वेरूलकर, श्रीमती अर्चना त्रिपाठी, श्रीमती प्रीति यादव, श्रीमती शानू मोहनन, श्रीमती अनिता सिंह, श्रीमती मंगला जोशी, श्री रतन यादव, माईलस्टोन स्कूल की डायरेक्टर ममता शुक्ला, ओए के अध्यक्ष एन.के. बंछोर, चैम्बर ऑफ कामर्स के अध्यक्ष श्री भीमसेन सेतपाल, सीएम के ओ.एस.डी. श्री विक्रम सिसौदिया, श्री विवेक सक्सेना श्री शंकराचार्य महाविद्यालय के समस्त शैक्षणिक एवं गैर-शैक्षणिक कर्मचारी एवं विभिन्न क्षेत्रों की महिलाएं बड़ी संख्या में उपस्थित थी। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती संध्या मदन मोहन एवं डॉ. सीमा जायसवाल ने किया।
संगोष्ठी में प्रश्न सरिता, अनिता पाण्डेय, तन्वी, जूनियर वाकणकर, आदि ने विविध सवाल उठाए। बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष शताब्दी पाण्डेय, महिला आयोग की अध्यक्ष हर्षिता पाण्डेय ने मंच से उठाए गए मुद्दों को शासन तक पहुंचाने की जिम्मेदारी ली।
कार्यक्रम में परी सिंह ने शिव शक्ति पर आधारित नृत्य प्रस्तुत किया। नारी सम्मान को समर्पित विविधा तुम बस कदम बढ़ाओ सोनाली सेन के द्वारा गीत प्रस्तुत किया गया। श्री शंकराचार्य महाविद्यालय के छात्र छात्राओं द्वारा चुड़ा मणी की वसीयत नाटक का मंचन, छात्राओं द्वारा छत्तीसगढ़ी नृत्य एवं खुशी जैन के द्वारा गणेश वंदना प्रस्तुत किया गया।

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