भिलाई । जन संस्कृति मंच द्वारा कल्याण स्नातकोत्तर महाविद्यालय के सभागार में कवयित्री आभा दुबे के कविता संग्रह हथेलियों पर हस्ताक्षर पर समीक्षा गोष्ठी का आयोजन सम्पन्न हुआ। मुख्य अतिथि आलोचक रविभूषण थे तथा अध्यक्षता साहित्यकार रवि श्रीवास्तव ने की। आरम्भ में कवयित्री ने अपनी प्रतिनिधि कविताओं बगीचा और जंगल, जादू, चोटों का संगीत जैसी प्रतिनिधि कविताओं का पाठ किया। चर्चा आरम्भ करते हुए अपने आलेख पाठ में डॉ.एन.पापा राव ने कई कविताओं के अपने अलग-अलग महत्व को रेखांकित किया। कवयित्री मीता दास ने कहा कि आभा दुबे में अच्छे और संवेदनशील कवयित्री के सारे गुण मौजूद है। घनश्याम त्रिपाठी एवं बुद्धि लाल पाल ने स्त्री विमर्श की कविताओं के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि इनकी भाषा में ताप और ओज है जो उन्होंने जीवन से जुड़कर प्राप्त किया है। प्रसिद्ध आलोचक डॉ. सियाराम शर्मा ने कहा कि संग्रह की कविताओं में मुख्यत प्रतिरोध का स्वर है तथा रचनात्मक है, दार्शनिक की दृष्टि है। कविताओं का स्वर उग्र या उदग्र नहीं है। डॉ. पुनीत राय ने कहा कि कवियित्री में स्त्री विमर्श की शीर्ष लेखिकाओं जैसी रचनाएं है। संग्रह की प्रेम कविताएं जीवन-जगत में घट रहे प्रेम को सुदृढ़ करती है। राठौर ने कहा कि साहित्य संसार में अपनी कविताओं के जरिए आभा दुबे ने मजबूत दस्तक दी है, वह बहुत विनम्रता से अपनी बात दर्ज करती है। मुख्य अतिथि रविभूषण ने कहा कि संग्रह की कविताएं रुपांतरण तथा तर्क और मान्यताएं बहुत अच्छी है। इनके कविता संग्रह में प्रेम, जीवन और प्रतिरोध को व्यक्त करने वाली कविताएं है। इन्होंने कहा कि कवियित्री में स्त्री विमर्श से जुडऩे वाली तथा इस कठिन समय में हस्तक्षेप करने वाली रचनात्मकता भी है। इन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से नहीं मिटने वाले हस्ताक्षर किए हैं जो कि इतिहास में दर्ज होंगे। अध्यक्षीय उद्बोधन में रवि श्रीवास्तव ने कहा कि पहले संग्रह में ही अच्छी कविताएं सबका ध्यान आकर्षित करती है तथा भविष्य में और अच्छी कविताओं की संभावना बनाती है। संचालन अंजन कुमार तथा आभार व्यक्त कवियित्री पूनम साहू ने किया। गोष्ठी में अंचल के वरिष्ठ साहित्यकार एवं छात्र बड़ी संख्या में उपस्थित थे। गोष्ठी के दौरान ही जन संस्कृति मंच, भिलाई इकाई की नई पदाधिकारी एवं कार्यकारिणी का गठन सर्वसम्मति से किया गया, जिसके अनुसार संरक्षक सियाराम शर्मा, कैलाश बनवासी, वासुकी प्रसाद उन्मत्त, अध्यक्ष मीता दास, उपाध्यक्ष घनश्याम त्रिपाठी, सचिव अंजन कुमार, सह सचिव एन.पापा राव, अशोक तिवारी, कोषाध्यक्ष विद्याभूषण, नाटक फिल्म प्रभारी जय प्रकाश नायर, हरजिंदर सिंह मोटिया, गुलाम हैदर, चित्रकला सर्वज्ञ नायर, मीडिया मो. जाकिर हुसैन, अंशुल तिवारी, विधि प्रभाग आरती चंदा, तथा कार्यकारिणी सदस्य अनिता करडेकर, प्रभा सरस विद्या गुप्ता, दुलाल समाददार, विनोद शर्मा, आभा दुबे, अंबरीश त्रिपाठी, अल्पना त्रिपाठी, अभिषेक पटेल, एवं प्रतीक शर्मा बनाए गए हैं।