भिलाई। आस्था बहुउद्देश्यीय कल्याण संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष प्रकाश गेडाम की प्रेरणा से विगत दिनों 25 दधीचियों ने मरणोपरांत देहदान की घोषणा की। श्री गेडाम ने कहा कि प्राण निकल जाने के बाद हमारा शरीर उतना ही अनुपयोगी हो जाता है जितना तोते के उड़ जाने के बाद पिंजरा। पिंजरे की तो फिर भी कीमत होती है पर मृतदेह से तो लोग तत्काल अपना रिश्ता तोड़ लेते हैं। शव को तत्काल ठिकाने लगाने की योजना बनने लगती है। कोई दफ्ना देता है तो कोई जला देता है। पर यही शव जब मेडिकल कालेज के विद्यार्थियों को मिलता है तो वे इससे अपने कौशल का विकास कर सकते हैं।
श्री गेडाम ने कहा कि सम्पूर्ण मानवता की सेवा के उद्देश्य से ही वे देहदान की वकालत करते हैं। इसी से प्रेरित होकर 25 दधीचियों ने एक साथ देहदान की वसीयत कर एक इतिहास रच दिया है। देहदान की घोषणा करने वाले इन महान लोगों में ग्राम खर्रा के गरीब दास, ग्राम तर्रा के रविशंकर, ग्राम खुड़मुड़ी की श्रीमती फुलेश्वरी चक्रधारी, बठेना के गैंदलाल धुरंधर, निपानी के ताजीराम साहू, सावनी के विसहन राम धीवर, झीट के भुवन लाल सिन्हा, रामबाई सिन्हा, अशोक कुमार सिन्हा, देमार के लक्ष्मण कुमार साहू, आर्य नगर कोहका की श्रीमती लक्ष्मी देवांगन, राम कुमार, वीआईपी नगर रिसाली के जीआर गुप्ता, शिवाजी नगर के चतुरदास वर्मा, आशीष नगर निवासी प्रख्यात कलाकार रजनीश झांझी, बैकुंठधाम निवासी ललित उपाध्याय, खम्हरिया तरीघाट के गैंदराम पटेल, सोहन लाल सिन्हा, खुड़मुड़ी के गैंदराम चक्रधारी, महुवा के पुनारद पटेल, कापसी के लक्ष्मण पटेल, अवधराम पटेल, दुर्ग के दिलीप गेलानी व ग्राम पचपेड़ी के डॉ अंकटराम मढ़रिया शामिल हैं।