भिलाई। गणतंत्र दिवस की संध्या पर धमधा रोड स्थित जलाराम महेन्द्र वाटिका ने किसी राजस्थानी गांव का स्वरूप धारण कर लिया। विशाल लॉन में दीवान लगे हुए थे जिसपर लोग गावतकियों के सहारे बैठ या लेटकर ठेठ राजस्थानी लोग गीत एवं नृत्य का आनंद ले रहे थे। वहीं भोजनशाला ठेठ राजस्थानी पारम्परिक व्यंजनों की महक से सराबोर था। लायंस क्लब भिलाई ग्रेटर के इस अभिनव आयोजन का यह दूसरा वर्ष था। नखराली ढाणी के नाम से होने वाले इस आयोजन में वह सबकुछ था जो राजस्थान को राजस्थान बनाता है। राजस्थान माने राजा का स्थान। राजसी वेशभूषा, राजसी भोजन और राजसी ठाट-बाट का यहां पूरा अहसास हो रहा था। चारों तरफ रंग बिरंगे कपड़ों में घूमती राजस्थानी महिलाएं, पगड़ी बांधे हुए पुरुष, गेडी पर चलता व्यक्ति, ऊंटों की सवारी, हवा में तैरती राजस्थानी लोक धुनों की स्वरलहरियां।
प्रवेश द्वार पर खूबसूरत राजस्थानी तरीके से ही तिलक लगाकर मेहमान का स्वागत किया जा रहा था। प्रवेश करते ही बाएं लोकसंगीत के सुर बिखेरती टोली के दर्शन हुए। उससे सटकर वीआईपी भोजनकक्ष। थोड़ा और आगे लगा था चूल्हा जहां बन रहे थे स्वादिष्ट पकवान। घी में तर गेहूं और मक्के की रोटियां, सरसों का साग, पनीर और भी न जाने क्या-क्या।
दाहिनी और लगी थी परिधानों और जेवरों की प्रदर्शनी। इसके ठीक सामने बना था सेल्फी पाइंट जहां राजस्थानी परिधानों में मैनिक्वीन्स खड़ी थीं और रखी थीं रंग बिरंगी छतरियां। लोग इन छतरियों के साथ सेल्फी लेने और फोटो खिंचवाने में मशगूल दिखे।
थोड़ा और आगे था जादूगर का स्टाल। वहां थी बच्चों की भीड़। इसीसे लगकर था फिटनेस इक्विपमेंट्स का स्टाल। इससे आगे कठपुतलियां नाच रही थीं और लोग सपरिवार खड़े होकर आनंद ले रहे थे। बीच के विशाल मैदान में लगे थे ढेरों दीवान। इनपर मखमली बिछौना था और थे गावतकिये। लोग गावतकियों पर टिककर, कोई बैठे तो कोई लेटकर अपने आसपास के माहौल का आनंद ले रहे थे।
मैदान की परली छोर पर सजा था सुन्दर स्टेज। इस विशाल स्टेज पर सुदूर राजस्थान से पधारे लोककलाकार अपनी प्रस्तुतियां दे रहे थे। नए दौर में हालांकि पारम्परिक वाद्ययंत्रों का स्थान अब ऑक्टोपैड, की बोर्ड ने ले लिया है किन्तु घूमर, कालबेलिया वही है।
इसी मंच के पीछे है खुली भोजनशाला। प्रवेश द्वार के पास बने राजसी भोजनशाला में जहां बैठकर जीमने का इंतजाम है वहीं इस भोजनशाला में आधुनिक तरीके से बूफे में भोजन लगा है। गट्टा, बाटी, चूरमा, गेहूं और मक्के की रोटियां, चावल सभी कुछ था यहां। कुछ खास व्यंजन भी थे जिनके बारे में लोगों को पूछताछ करते भी देखा गया।