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सेन समाज में आ रहे सकारात्मक बदलाव

Jan 28, 2017

senacharyaभिलाई। सेन समाज के प्रथम गुरू स्वामी अचलानंद गिरी महाराज ने आज कहा कि सेन समाज में सकारात्मक बदलाव आए हैं, समाज बदल रहा है और उनका भविष्य उज्ज्वल है। उन्होंने कहा कि नशाखोरी, कन्या भ्रूण हत्या निषेध, नारी का सम्मान और शिक्षा के प्रति रुझान से किसी भी समाज की उन्नति होती है और सेन समाज ने इस बात को आत्मसात कर लिया है। rikesh-sen-senacharyaछत्तीसगढ़ के प्रथम सेन कालोनी के भूमिपूजन के लिए यहां पधारे आचार्य सेनाचार्य स्वामी श्रीकंचनपथ से चर्चा कर रहे थे। वे छत्तीसगढ़ के प्रथम सेन कॉलोनी के लिए भूमिपूजन करेंगे। स्वामीजी राधिकानगर में जिले के प्रथम और राज्य के तीसरे सेन महाराज मंदिर के लिए भूमिपूजन करेंगे।
महाराज ने कहा कि सेन समाज अशिक्षा की चपेट में रहा है। समय के साथ उनमें अपने व्यवसाय को लेकर हीन भावना समा गई और लोग अपना परिचय छिपाने लगे। कुछ लोगों ने नए उपनाम धारण कर लिये और समाज से कटने लगे। इसका नतीजा यह निकला कि इनके पेशे को औरों ने अपना लिया क्योंकि उसकी जरूरत तो थी है और वह नित नए स्वरूप धारण कर रही थी। समाज में कुरीतियां भी थीं और नशाखोरी अपने चरम पर थी।
उन्होंने बताया कि 12 साल की उम्र में उन्होंने ब्रह्मचर्य व्रत धारण कर लिया। संत रामानंद के शिष्यत्व में 1992 में वे सेन समाज के प्रथम गुरू बनाए गए और गादी पर आसीन हुए। उन्होंने गुरू आदेश पर समाज की विचारधारा में मूलभूत परिवर्तन लाने की शुरुआत की। नशाखोरी, कन्या भ्रूण हत्या, नारी का अपमान और शिक्षा से दूरी बनाए रखना समाज की बड़ी कमजोरियां थीं। उन्होंने इसी दिशा में काम करना प्रारंभ किया और उन्हें प्रसन्नता है कि देश में सकारात्मक परिवर्तन आ रहा है।
गुरू महाराज ने कहा कि सेन समाज की अच्छी खासी आमदनी थी पर दिन भर का कमाया पैसा शाम को वह शराब में बहा देता था। इससे उनकी माली हालत में कभी सुधार नहीं हो पाया। गिने चुने लोग अच्छी शिक्षा पाकर बहुत आगे निकल गए और समाज से किनारा कर लिया। बिहार में कर्पूरी ठाकुर हुए जिन्होंने राजनीति के क्षेत्र में सशक्त हस्ताक्षर किए किन्तु वृहत सेन समाज इससे अछूता रहा। इसलिए उन्होंने सेन समाज को संगठन का महत्व समझाना शुरू किया और साथ ही नशाखोरी के खिलाफ जोरदार अभियान छेड़ा। इसके परिणाम भी आ रहे हैं। लोग एकल और सामूहिक रूप से शराब को त्याग रहे हैं।
उन्होंने कहा कि दूसरी बड़ी समस्या दान दहेज के कुचक्र के चलते बेटियों की कोख में हत्या का था। उन्होंने समाज को बेटियों की अहमियत समझाई और दान दहेज की कुप्रथा से बचने को कहा। इसके भी नतीजे आ रहे हैं। आज बेटों और बेटियों के बीच का अनुपात सुधर रहा है। उन्होंने समाज से कह दिया है कि जहां नारी की इज्जत नहीं होती वहां सुख और समृद्धि कभी नहीं आती।
तीसरी बड़ी कमी समाज में शिक्षा का अभाव था। लोग शिक्षा से कन्नी काटते थे। इसके लिए भी जनजागरण किया गया। स्कूल और कालेजोंकी नींव रखी गई। आज समाज के बेटे और बेटियां दोनों साथ साथ स्कूल कालेज जा रहे हैं और उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। समाज के कुछ बच्चे आईएएस, आईपीएस भी हो गए हैं। समाज से डाक्टर और इंजीनियर भी निकल रहे हैं। इसे और गति देने की आवश्यकता है।
महाराज ने कहा कि सेन समाज के लोग अनेक कारणों से अपना परिचय छिपाते थे। इसलिए वे कभी संगठित भी नहीं हुए और अपने प्राप्य को हासिल नहीं कर पाए। आज स्थिति बदल रही है। बहुत सारे लोग कर्पूरी ठाकुर बनने की ओर अग्रसर हैं। राजस्थान और हरियाणा में समाज के बच्चे जनप्रतिनिधि के रूप में विधानसभा तथा लोकसभा में बैठ रहे हैं।
कोई काम छोटा या बड़ा नहीं
गुरु महाराज ने कहा कि काम को छोटा या बड़ा मानने वाले कभी तरक्की नहीं करते। लोग जिन्हें मेहत्तर कहते थे वो उनसे बेहतर हैं। बिना साफ सफाई के समाज का स्वास्थ्य ही खतरे में पड़ जाता है। इस कलियुग में स्वास्थ्य ही असली पूंजी है। यदि अपना स्वास्थ्य अच्छा नहीं होगा तो हम किसी की सेवा करने का भी सामथ्र्य खो बैठेंगे। उन्होंने कहा कि सेन समाज ने अपना काम छोड़ दिया तो और लोग इसमें आ गए और इस पेशे को नई ऊंचाइयां दीं। अब इसके कालेज और विश्वविद्यालय होने लगे हैं। कई जगह डिप्लोमा कोर्स चल रहे हैं। सभी समाज के बच्चों हजारों रुपए खर्च करके इन विद्या सीख रहे हैं और आगे बढ़़ रहे हैं। आज इस पेशे में लाखों की कमाई है। यदि समाज ने अपने काम को छोटा समझ कर छोड़ नहीं दिया होता और उसे आगे बढ़ाया होता तो उन्हें कोई नहीं पछाड़ सकता था।
मानव सेवा ही ईश्वर की सेवा
गुरू महाराज ने कहा कि मानव सेवा ही ईश्वर की सेवा है क्योंकि ईश्वर इसी स्वरूप में हमारे सामने आते हैं। हम इंसान के रूप में जन्म लेते हैं इसलिए वही हमारा पहला धर्म है। इस धर्म को पूरा करने के बाद ही अन्य धर्मों में दीक्षा की बारी आती है। इसलिए संत हमेशा कहते हैं कि वे सबके हैं। 700 साल पहले रामा पीर हुए जिनकी हिन्दू हो या मुसलमान, सबने भक्ति की। वे स्वयं भी रामापीर के ही मुरीद हैं। रामानंद जी उनके दीक्षा गुरू थे जिन्होंने उन्हें आगे बढऩे की प्रेरणा दी और सुपथ दिखलाया।
बहुत जुझारू है रिकेश
स्वामीजी ने भिलाई नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष की तारीफ करते हुए कहा कि वह बहुत जुझारू है। विपरीत परिस्थितियों से लडऩा उसे खूब आता है। वह लोगों के लिए जीता है, लोगों के लिए काम करता है। ऐसे व्यक्ति के सिर पर ईश्वर का हाथ होता है और उसे कोई रोक नहीं सकता। उन्होंने कहा कि सभी प्रांतों में जाते हैं पर यहां आकर वे बेहद प्रसन्न हैं। यहां का समाज उन्नत और विकासशील है। उनमें विकार नहीं हैं और वे सभी अपना अपना काम पूरी निष्ठा और ईमानदारी से कर रहे हैं। यहां समाज संगठित है और इसीका परिणाम है कि आज यहां सेन महाराज का पहला मंदिर बनने जा रहा है, सेन समाज के लिए कालोनी की नींव रखी जा रही है।
सबसे बड़ा है भाव
सेनाचार्य स्वामी ने कहा कि भाव बड़ा होगा तभी कार्य सफल होंगे। शिक्षा-दीक्षा अपनी जगह है पर भाव के बिना ज्ञान संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि जब भाव जागता है तो रामायण लिखी जाती है, कबीर की कलम बोल पड़ती है, रहीम जीवन का दर्शन करा जाते हैं। एक बार भाव जाग गया तो बुद्धि और विवेक आ जाता है और फिर विद्या को आना ही होता है।
सबसे पहले नशा छोड़ो
समाज के नाम अपने संदेश जारी करते हुए सेन महाराज ने कहा कि सबसे पहले नशाखोरी को तिलांजलि देनी होगी। नशे में विवेक का लोप हो जाता है और लोग अर्थ का अनर्थ कर बैठते हैं। यदि नशा छोड़ दिया तो विवेक जाग जाएगा और शेष विकार भी अपने आप दूर होने लगेंगे। उन्होंने कहा कि स्त्री का प्रत्येक स्थान पर, प्रत्येक रूप में सम्मान होना चाहिए। जहां नारी का सम्मान होगा वह स्थान स्वर्ग जैसा हो जाएगा।

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