जबलपुर। मध्य प्रदेश के विभिन्न नगरीय निकायों नगर निगम, नगर पालिका व नगर पंचायतों में एल्डरमैन की मनमानी तरीके से प्रावधानों के विपरीत हुई नियुक्तियां क्यों न रद्द कर दी जाएं? हाईकोर्ट ने इस सवाल के साथ राज्य शासन, मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन व भोपाल और नरसिंहपुर कलेक्टर को नोटिस जारी कर जवाब-तलब कर लिया है। इसके लिए चार सप्ताह का समय दिया गया है। सोमवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन व जस्टिस श्रीमती अंजुलि पालो की युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता नरसिंहपुर निवासी सामाजिक कार्यकर्ता विनायक परिहार की ओर से अधिवक्ता डॉ.सत्यम अग्रवाल ने पक्ष रखा।उन्होंने दलील दी कि मध्यप्रदेश नगर निगम अधिनियम-1956 की धारा- 9 (1)(सी) और नगर पालिका अधिनियम-1961 की धारा-19 (1)(सी) के अनुसार एल्डरमैनों को नगरपालिका प्रशासन के संबंध में विशद अनुभव होना चाहिए।
इसके बावजूद वर्तमान में विभिन्न नगरीय निकायों में पार्टी विशेष के कार्यकर्ताओं को एल्डरमैन बतौर उपकृत करके विशेषज्ञों की उपेक्षा का रवैया अपनाया जा रहा है। जहां-जहां भाजपा की सत्ता है, वहां भाजपा नेता व कार्यकर्ता ही एल्डरमैन का पद सुशोभित कर रहे हैं। इस सिलसिले में भोपाल व नरसिंहपुर की नगर पालिका व नगर पंचायतें उदाहरण की तरह हैं। हाईकोर्ट ने सभी बिन्दुओं पर गौर करने के बाद जवाब मांगा लिया।