छोटा चीरा, कम तकलीफ, खर्च भी काम, बहुद जल्द अस्पताल से छुट्टी
भिलाई। अपोलो बीएसआर अस्पताल में डेस्टांडू तकनीक से स्पाइन की सर्जरी के अच्छे नतीजे सामने आए हैं। जर्मनी की इस उन्नत तकनीक से न केवल मेरूदण्ड तक बेहतर पहुंच बनती है बल्कि सर्जरी के नतीजे भी बेहतर आते हैं। मरीज को बहुत कम तकलीफ होती है और साधारणतया दूसरे ही दिन उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी जाती है।अपोलो बीएसआर अस्पताल के स्पाइन एंड न्यूरो सर्जन डॉ लवलेश राठौड़ ने बताया कि अपोलो बीएसआर के सर्वसुविधायुक्त माड्यूलर ओटी के कारण ही यह सम्भव हो पाया और नतीजे भी अच्छे आए।
उन्होंने बताया कि मेरूदण्ड के डिस्क में खराबी के कारण कई प्रकार की तकलीफें हो सकती हैं जिसमें अलग अलग अंगों में दर्द प्रमुख है। जब दवा और फिजियोथेरेपी से मरीज को आराम नहीं मिलता तो सर्जरी जरूरी हो जाती है।
डॉ राठौड़ ने बताया कि आम तौर पर यह सर्जरी ओपन की जाती है जिसमें बड़ा चीरा लगता है, रक्तस्राव भी अधिक होता है और मरीज को लगभग एक सप्ताह तक अस्पताल में रहना होता है। एंडोस्कोप से इसी सर्जरी को करने पर मरीज को एक दिन बाद ही अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है। रक्तस्राव और तकलीफ कम होने के साथ ही यह रीढ़ की हड्डी के आसपास की मांसपेशियों को भी सुरक्षित रखता है।
उन्होंने बताया कि डेस्टांडू तकनीक जर्मनी के इसी नाम के एक विशेषज्ञ ने इजाद की है जिसमें एन्डोस्कोप का ही उपयोग किया जाता है। इस तकनीक में रीढ़ तक बेहतर पहुंच बनती है और नतीजे भी बेहतर आते हैं।
‘पिछले कुछ हफ्तों में हमने लगभग चार सर्जरी डेस्टांडू तकनीक से की है। सभी आपरेशन सफल रहे। मरीजों को सर्जरी के लगभग तुरंत बाद दर्द से मुक्ति मिल गई। मरीजों को एक-दो दिन में ही अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। जल्द ही वे अपने काम पर लौट पाएंगे।Ó
– डॉ लवलेश राठौड़