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उदासीनता से निपटना संभव : डॉ घोरमोड़े

Apr 12, 2017

संजय रूंगटा ग्रुप ऑफ इंस्टीटूयूशंस द्वारा संचालित रूंगटा डेंटल कॉलेज भिलाई के पब्लिक हेल्थ डेन्टिस्ट्री विभाग द्वारा विश्व स्वास्थ्य दिवस के उपलक्ष्य में डिप्रेशन पर सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार में मुख्य वक्ता चंदूलाल मेडिकल कॉलेज के मनोरोग विभाग के डॉ. दीपक घोरमोड़े थे। डब्ल्यूएचओ ने इस वर्ष की थीम रखी है डिप्रेशन : लेट्स टॉक, जिसका तात्पर्य है कि डिप्रेशन में चल रहे लोगों से बातचीत करें। डॉ. घोरमोड़े ने बताया कि डिप्रेशन किसी को भी हो सकता है, पर जरूरी है इसे जल्द ही पता लगाना। भिलाई। संजय रूंगटा ग्रुप ऑफ इंस्टीटूयूशंस द्वारा संचालित रूंगटा डेंटल कॉलेज भिलाई के पब्लिक हेल्थ डेन्टिस्ट्री विभाग द्वारा विश्व स्वास्थ्य दिवस के उपलक्ष्य में डिप्रेशन उदासीनता पर सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार में मुख्य वक्ता चंदूलाल मेडिकल कॉलेज के मनोरोग विभाग के डॉ. दीपक घोरमोड़े थे। डब्ल्यूएचओ ने इस वर्ष की थीम रखी है डिप्रेशन : लेट्स टॉक, जिसका तात्पर्य है कि डिप्रेशन में चल रहे लोगों से बातचीत करें। डॉ. घोरमोड़े ने बताया कि डिप्रेशन किसी को भी हो सकता है, पर जरूरी है इसे जल्द ही पता लगाना। उन्होंने बताया कि डिप्रेशन के आरंभिक लक्षण में नींद की कमी, चिड़चिड़ापन, वजन कम होना, भूख न लगना आदि पाये जाते है और अधिक डिप्रेशन होने पर व्यक्ति आत्महत्या की मन:स्थिति में आ जाता है। डॉ.घोरमोड़े के अनुसार डिपेे्रशन बच्चों से लेकर बूढ़ों तक किसी को भी हो सकता है। मौजूदा दशक में बच्चों और नवयुवकों में डिप्रेशन की शिकायत बढ़ती जा रही है। बच्चों में बढ़ती सुसाइल टेडेन्सी भी डिप्रेशन की वजह से है़। अत्यधिक डिप्रेस्ड व्यक्ति मैनिया का शिकार हो सकते है और यही नौजवानों को आतंकवादी गतिविधियों की ओर आकर्षित करता है, क्योकि मेनिया से पीडि़त व्यक्ति की प्रवृत्ति दूसरों को नुकसान पहुॅचाना होता है।
डॉ. घोरमोड़े ने बताया कि आमतौर पर डिप्रेस्ड व्यक्ति में से 50 प्रतिशत मरीजों को सुसाइल टेंडेसी पाई जाती है। डिपे्रषन को कुछ प्रमुख लक्षणों से जाना जा सकता है जिसमें आत्महत्या की प्रवृत्ति को पहचाना जा सकता है: 1. आत्महत्या के बारे में बात करना 2. हानिकारक वस्तु एकत्रित करना 3. आत्महत्या के बारे में लिखना 4. अमूमन से व्यवहार में बदलाव। डॉ.घोरमोड़े ने बताया कि आज डिप्रेषन का बहुत सफल इलाज मौजूद है जो कि अगर सही समय में दिया जाये तो डिप्रेशन से पीडि़त व्यक्ति को उसका लाभ मिल सकता है और वह ठीक हो सकता है। उन्होंने कहा कि डिप्रेशन का कोई भी मरीज ठीक हो सकता है, बस उन्हें थोड़ी मदद की जरूरत होती है।
सेमिनार के उद्घाटन अवसर पर ग्रुप के चेयरमैन संजय रूंगटा, डायरेक्टर रजनी रूंगटा, साकेत रूंगटा, डीन डॉ.सुधीर पवार, वाइस डीन डॉ.जयदीप सूर, आर.एस.आर.रूंगटा इंजीनियरिंग कॉलेज प्राचार्य डॉ.पी.एस.बोकारे, जी.डी.रूंगटा इंजीनियरिंग कॉलेज प्राचार्य डॉ.पी.के.तालापात्रा मौजूद रहे। चेयरमैन संजय रूंगटा ने इस आयोजन पर सभी को बधाई देते हुए कहा कि डिप्रेशन को किसी भी तरह पागलपन से न जोड़ा जाए और डिपे्रशन से पीडि़त की मदद की जाए एवं उचित इलाज दिया जाना चाहिए। आभार प्रदर्शन करते हुए डॉ.यूनुस जी.वाय ने कॉलेज प्रबंधन, डॉ.घोरमोड़े एवं आयोजन समिति को धन्यवाद दिया एवं मंच संचालन डॉ.राम तिवारी ने किया। कार्यक्रम के मुख्य आकर्षण में प्रशिक्षु डॉक्टरों का नाट्य रूपान्तरण रहा।

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