• Sat. Apr 20th, 2024

Sunday Campus

Health & Education Together Build a Nation

जब श्रीराम ने सरयू में ली समाधि

Apr 5, 2017

पृथ्वी को मृत्युलोक भी कहा गया है। यहां जो भी आता है, उसका जाना निश्चित होता है। ऐसा भगवान के साथ भी है। त्रिदेव में से भगवान विष्णु ने 10 अवतार लिए। श्रीराम इस कड़ी में सातवें अवतार थे। उन्होंने लगभग 10 हजार वर्ष तक अयोध्या में राज किया। जब उनके जाने की बारी आई तो काल स्वयं उनसे मिलने पहुंचे। श्रीराम ने इसके बाद राजपाट अपने और भाइयों के सुपुत्रों को सौंप कर सरयू नदी में समाधि ले ली। उनसे पहले लक्ष्मण रूपी शेषनाग ने भी सरयू में ही समाधि ले ली थी।पृथ्वी को मृत्युलोक भी कहा गया है। यहां जो भी आता है, उसका जाना निश्चित होता है। ऐसा भगवान के साथ भी है। त्रिदेव में से भगवान विष्णु ने 10 अवतार लिए। श्रीराम इस कड़ी में सातवें अवतार थे। उन्होंने लगभग 10 हजार वर्ष तक अयोध्या में राज किया। जब उनके जाने की बारी आई तो काल स्वयं उनसे मिलने पहुंचे। श्रीराम ने इसके बाद राजपाट अपने और भाइयों के सुपुत्रों को सौंप कर सरयू नदी में समाधि ले ली। उनसे पहले लक्ष्मण रूपी शेषनाग ने भी सरयू में ही समाधि ले ली थी।पद्मपुराण की एक कथा के अनुसार श्रीराम को इस बात का आभास हो चुका था कि कालदेव उनसे मिलने आने वाले हैं। उन्होंने एक युक्ति बनाई और हनुमान को नाग लोक भेज दिया। उन्होंने अपनी अंगूठी एक ऐसे दरार में डाल दी जो सीधे नाग लोक तक जाती थी। फिर उन्होंने हनुमान को अंगूठी तलाशने को कहा। हनुमान ने अपना आकार छोटा किया और दरार में उतरते चले गए। इस तरह वे नागलोक पहुंच गए जहां नागलोक के राजा वासुकी ने उन्हें अपनी बातों में उलझा लिया।
अब हर समय साये की भांति साथ रहने वाले लक्ष्मण को विमुख करने की बारी थी। इधर काल देव श्रीराम से मिलने अयोध्या पहुंच गए। उन्होंने एक वृद्ध का रूप बनाया और श्रीराम से मिलने पहुंचे। उन्होंने श्रीराम से एकांत में चर्चा करने की इच्छा जताई। श्रीराम ने लक्ष्मण को द्वारपाल की जिम्मेदारी सौंपी और काल के साथ कक्ष में चले गए। तभी अपने क्रोध के लिए विख्यात ऋषि दुर्वासा वहां पहुंच गए और श्रीराम से मिलने की जिद करने लगे।
लक्ष्मण धर्म संकट में पड़ गए। एक तरफ बड़े भाई का आदेश था कि कोई भी उनकी गुप्त चर्चा में व्यवधान न पैदा करे तो दूसरी तरफ ऋषि दुर्वासा मुलाकात न होने पर श्रीराम को श्राप देने के लिए तैयार खड़े थे। लक्ष्मण ने अपना बलिदान देने का फैसला किया। वे उस कक्ष में चले गए जहां श्रीराम चर्चा कर रहे थे। श्रीराम का आदेश था कि जो भी उनकी बैठक में व्यवधान उत्पन्न करेगा, वह मृत्युदंड का भागी होगा। पर वे लक्ष्मण को मृत्युदंड न दे सके। उन्होंने लक्ष्मण को देश निकाला दे दिया।
हर पल अपने भाई के साथ साए की तरह रहने वाले लक्ष्मण के लिए देश निकाले का यह दंड मृत्युदंड से भी भयंकर था। वे सीधे सरयू नदी के पास चले गए और प्राणोत्सर्ग की इच्छा लेकर नदी में समा गए। ऐसा करते ही वे पुन: शेषनाग के स्वरूप में आ गए।
इधर हनुमान और लक्ष्मण के वियोग से व्याकुल श्रीराम ने भी मृत्युलोक को छोडऩे का फैसला कर लिया। उन्होंने राजपाट अपने और अपने भाइयों के पुत्रों को सौंपते हुए सरयू में महासमाधि ले ली। पद्मपुराण के अनुसार श्रीराम के सरयू प्रवेश के कुछ ही क्षण बाद भगवान विष्णु वहां प्रकट हुए और लोगों को दर्शन देकर अंतध्र्यान हो गए।

Leave a Reply