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रेत में मछली छिपाने से मिली निजात

Apr 4, 2017

सरकार ने कैतीन बाई को दिया आईस बॉक्स
दुर्ग। दुर्ग जनपद के ग्राम बासिन निवासी मछुआरा परिवार की कैतीन बाई की एक बड़ी चिंता लोक सुराज अभियान ने दूर कर दी है। गांव-गांव में मछली बेचकर गुजर-बसर करने वाली कैतीन बची हुई मछली को अब सुरक्षित तरीके से रख पाएगी। उसे आईस बॉक्स मिल गया है। दुर्ग। दुर्ग जनपद के ग्राम बासिन निवासी मछुआरा परिवार की कैतीन बाई की एक बड़ी चिंता लोक सुराज अभियान ने दूर कर दी है। गांव-गांव में मछली बेचकर गुजर-बसर करने वाली कैतीन बची हुई मछली को अब सुरक्षित तरीके से रख पाएगी। उसे आईस बॉक्स मिल गया है। लगभग चार हजार रुपए का लाल रंग का आइस बॉक्स लेकर खुशी से घर जाती हुई कैतीन कहती है कि यह छोटी सी चीज जरूर लगती है, लेकिन मेरे लिए ये बड़े काम की है। बची हुई मछली को अब सुरक्षित रखने के लिए मुझे अब उसे रेत में नहीं छिपाना होगा। श्रीमती कैतीन कहती है उनके परिवार में आमदनी का एकमात्र जरिया मछली बेचना है। खेती-खार उनके पास जरा भी नहीं है। उनके पति दुर्ग मण्डी से मछली खरीद कर लाते हैं। रोज लगभग 40 से 50 किलोग्राम मछली वह आस-पास के गांवों में बेचा करती है। 80 रुपए से लेकर 100 रूपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से मछली वे दुर्ग में खरीदते हैं और सवा सौ रूपए से लेकर डेढ़ सौ रूपए तक में बेचा करते हैं। उन्होंने बताया कि इसे अपने गांव बासिन के साथ ही करंजा भिलाई, बीरोभाट, ननक_ी आदि गांवों में बेचने जाती है। कई बार मछली बच जाती है। इसे सुरक्षित रखना बड़ी समस्या थी। मछली के सड़ जाने से उन्हें नुकसान भी उठाना पड़ता था।
कैतीन को मालूम था कि आईसबॉक्स में मछलियों को सुरक्षित रखा जा सकता है लेकिन इसे खरीदने की हैसियत नहीं थी। उन्होंने लोक सुराज अभियान में 26 फरवरी को ऑइस बॉक्स के लिए आवेदन किया। आज यह मांग पूरी हो गई। परिवार में कैतीन और उनके पति केवल दो सदस्य हैं। उन्हें मुख्यमंत्री खाद्यान्न सहायता योजना के अंतर्गत नीला राशन कार्ड भी मिला हुआ है। प्रति यूनिट 7 किलोग्राम के हिसाब से 14 किलोग्राम चॉवल भी उनके लिए बड़ी राहत बना हुआ है।

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