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CSIT में गुरू गरिमा दायित्व बोध कार्यशाला

Apr 11, 2017

सीएसआईटी में गुरू गरिमा दायित्व बोध कार्यशाला दुर्ग। अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार के तत्वाधान में उपजोन भिलाई द्वारा 8 अप्रैल 2017 को छत्रपति शिवाजी इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी दुर्ग में गुरु गरिमा शिविर-दायित्व बोध कार्यशाला का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता शांतिकुंज हरिद्वार के प्रज्ञापुंज वीरेश्वर उपाध्याय रहे। दुर्ग। अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार के तत्वाधान में उपजोन भिलाई द्वारा 8 अप्रैल 2017 को छत्रपति शिवाजी इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी दुर्ग में गुरु गरिमा शिविर-दायित्व बोध कार्यशाला का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता शांतिकुंज हरिद्वार के प्रज्ञापुंज वीरेश्वर उपाध्याय रहे।
सीएसआईटी में गुरू गरिमा दायित्व बोध कार्यशालायह कार्यशाला गायत्री परिवार द्वारा दुर्ग जिले के 500 प्राचार्यो की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ ज्ञान की अधिष्ठात्री माँ सरस्वती की पूजन के साथ हुआ। धीरज लाल टांक ने लार्ड मैकाले द्वारा ब्रिटेन के सांसद में भारत की शिक्षा व्यवस्था के बारे में जो वक्तव्य था उसे पढ़ कर सुनाया और बताया कि हमारी शिक्षा व्यवस्था कैसे अंग्रेजो ने तहस नहस कर के रख दिया।
श्री उपाध्याय ने सभी प्राचार्यों को संबोधित करते हुए कहा की आज हमारे पास उपस्थित अधिकांश चीजों की परिभाषा ही गलत है। आज बड़ा आदमी वह है जिसके पास अधिक धन दौलत है जो आर्थिक रूप से सम्पन्न है। मगर जब हम एक खिलाड़ी को खेल से नापते है, एक कलाकार को कला से नापते है तो फिर इंसान को धन से क्यों नापते हैं, उसे भी इंसानियत से नापें। हमारी नजर में बड़ा आदमी वह होना चाहिए जिसके अंदर इंसानियत हो देवत्व हो, और यह परिवर्तन आएगा।
श्री उपाध्याय ने कहा कि किसी भी देश मे परिवर्तन के लिए क्रांति की जरूरत होती है, जो सही विचार, सही नियति और सकारात्मक संकल्प से ही संभव है। सही विचार के लिए जरूरत है विचार क्रांति की। उन विचारों को समाज मे लागू करने के लिये जरूरत है नैतिक क्रांति की, विचार अच्छे है नियति अच्छी है तब समाज की दशा और दिशा सुधारने के लिए जरूरत है सामाजिक क्रांति की जो समाज की बुराइयो को निकाल कर उसमें अच्छाइयों का प्रवेश कर सके। अगर ये तीनो क्रांतियां एक साथ लागू हो जाती है तो निश्चित ही समाज को एक नयी दिशा मिलेगी।
जिला शिक्षा अधिकारी आशुतोष चावरे ने कहा कि शिक्षक एक कुम्हार की तरह है और छात्र गीली मिट्टी की तरह। शिक्षक जैसा चाहे छात्र का जीवन परिवर्तित कर सकता है। मैं बहुत सौभाग्यशाली हूं कि मुझे शिक्षा जगत का सदस्य बनने का सौभाग्य मिला।
कार्यक्रम में युग निर्माण में अपनी भागीदारी निभा रही दीया टीम द्वारा उनके डिवाइन वर्कशॉप के बारे में जानकारी दी गई। अंत में विभिन्न स्कूल से आये प्राचार्यों ने अपनी अभिव्यक्ति भी दी।
कार्यक्रम में छतीसगढ़ जोन प्रमुख दिलीप पाणिग्रही, उपजोन प्रभारी एस पी सिंह, दिया प्रमुख डॉ पी एल साव, रामस्वरूप साहू, टीकम सिंग चंद्रकार,डॉ योगेंद्र कुमार, इंजी युगल किशोर, इंजी सौरभ कांत, श्रीमती मंगला भराडे, श्रीमती विनीता तिवारी विशेष रूप से उपस्थित थे।

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