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ताम्रध्वज : निर्भीक निरंतरता के तीन वर्ष

May 28, 2017

दुर्ग। छत्तीसगढ़ से कांग्रेस के एकमात्र कांग्रेस सांसद ताम्रध्वज साहू अपनी सोच की स्पष्टता और अभिव्यक्ति की निडरता के लिए भी जाने जाते हैं। सरल सौम्य स्वभाव के ताम्रध्वज सभी वर्ग के लोगों में सहजता से घुलमिल जाते हैं और बेबाकी के साथ अपनी राय भी रखते हैं। अपने संसदीय कार्यकाल के तीन वर्षों में वे अकेले ऐसे सांसद हैं जिन्होंने अपनी निधि के पूरे पांच करोड़ रुपयों से विकास कार्यों की अनुशंसा की और कार्यप्रगति की निरंतर समीक्षा करते रहे।

दुर्ग। छत्तीसगढ़ से कांग्रेस के एकमात्र सांसद ताम्रध्वज साहू अपनी सोच की स्पष्टता और अभिव्यक्ति की निडरता के लिए भी जाने जाते हैं। सरल सौम्य स्वभाव के ताम्रध्वज सभी वर्ग के लोगों में सहजता से घुलमिल जाते हैं और बेबाकी के साथ अपनी राय भी रखते हैं। अपने संसदीय कार्यकाल के तीन वर्षों में वे अकेले ऐसे सांसद हैं जिन्होंने अपनी निधि के पूरे पांच करोड़ रुपयों से विकास कार्यों की अनुशंसा की और कार्यप्रगति की निरंतर समीक्षा करते रहे। लोग उनसे अपने दिल की बात कहने में जरा भी संकोच नहीं करते। राजनीतिक उठापटक से वे स्वयं को पृथक ही रखते हैं और अपने समय का सदुपयोग करने में यकीन करते हैं। वे वैज्ञानिक परम्पराओं और आधुनिक विकास के बीच की कड़ी तलाशते दिखते हैं। उनके वक्तव्यों में बार-बार प्रकृति से सामंजस्य बैठाने का जिक्र आता है। उनकी वाणी भी उनकी सोच की तरह ही स्पष्ट है।तालाब को बोरिंग से भरना बेतुका : चापलूसी और लोकलुभावन बातों के इस दौर में ताम्रध्वज संभवत: छत्तीसगढ़ के अकेले ऐसे सांसद हैं जो साफगोई में यकीन करते हैं। यही कारण है कि जब तालाबों के सौन्दर्यीकरण की महफिल सजती है तो वे बेबाकी से कह देते हैं कि भूजल से तालाबों या कुओं को भरने का कोई तुक नहीं है। वे कहते हैं कि तालाबों का उपयोग वर्षाजल के संग्रहण के लिए होना चाहिए। तालाब में गंदा पानी न जाए इसके लिए सोख्ता बनाकर ऐसा किया जा सकता है। वर्षाजल को बहाने के बाद तालाबों को भूजल से भरना अवैज्ञानिक है।
समझ अधूरी, सोच का अभाव : सांसद ताम्रध्वज कहते हैं कि विधायक और सांसद निधि को लेकर लोगों की समझ अधूरी है और सोच का भी अभाव है। विधायक के पास छोटा क्षेत्र होता है और कई तरह की निधियां होती हैं। राज्य शासन की योजनाएं भी होती हैं। जबकि सांसद के पास एक निश्चित राशि होती है जिससे पूरे लोकसभा क्षेत्र में काम करना होता है। इसलिए वे चाहते थे कि कोई बड़ा-स्थायी प्रकृति का काम हो जिसका लाभ आने वाले कई सालों तक लोगों को मिलता रहे। पर अफसोस की ऐसा कोई भी प्रस्ताव नहीं आ पाया। बावजूद इसके उन्होंने अपनी सांसद निधि की एक एक पाई जन आकांक्षाओं को पूरा करने में खर्च कर दी।
संसद में ताम्रध्वज : ताम्रध्वज साहू ने एक जागरुक सांसद के रुप में दुर्ग लोकसभा क्षेत्र की जन समस्याओं को संसद में पुरजोर ढंग से उठाया। छत्तीसगढ़ से एकमात्र कांग्रेसी सांसद होने के नाते उन्होंने दुर्ग जिले सहित समूचे छत्तीसगढ़ के भी ज्वलंत मुद्दों को संसद में उठाया। छत्तीसगढ़ के 11 में से पांच भाजपा सांसद जहां अपनी निधि से एक पाई खर्च नहीं कर पाए वहीं सांसद ताम्रध्वज साहू ने अपनी सांसद निधि से पूरे पांच करोड़ रुपए स्वीकृति हेतु अनुशंसा कर एक नया इतिहास रच दिया। सांसद निधि से स्वीकृत विकास कार्यों की प्रगति की वे जानकारी भी लेते रहे और निर्माण व विकास कार्य निर्धारित समय सीमा में पूर्ण हों और गुणवत्ता का ध्यान रखा जाए इसके लिए वे संबंधित अधिकारियों को निर्देशित करते रहे। सांसद ताम्रध्वज साहू ने किसानों से लेकर श्रमिकों, सब्जी उत्पादकों, बुनकरों, लोक कलाकारों आदि की समस्याएं उठाई।
बेमेतरा-बिलासपुर रेलमार्ग : नए रेल मार्ग का मुद्दा प्रमुखता के साथ उठाया जिसे तात्कालीन रेल मंत्री सदानंद गौड़ा ने स्वीकृति प्रदान की। इस तरह दुर्ग से व्हाया धमधा, बेमेतरा, नवागढ़, मुंगेली होते बिलासपुर तक नए रेल मार्ग के सर्वेक्षण को मंजूरी मिली। दुर्ग सहित छत्तीसगढ़ के सभी प्रमुख रेलवे स्टेशनों को सर्वसुविधायुक्त बनाने की भी उन्होंने पुरजोर मांग की। भिलाई-दुर्ग के मेट्रो शहर के रुप में विकसित करने और दुर्ग जिले में आईआईटी की स्थापना की भी मांग की। उन्होंने बालोद से व्हाया दुर्ग, बेमेतरा, नवागढ़ से मुंगेली होते हुए बिलासपुर तक नेशनल हाइवे बनाने की भी मांग प्रमुखता के साथ रखी।
बीएसपी में भर्ती का मुद्दा : भिलाई इस्पात संयंत्र के कर्मचारियों और ठेका श्रमिकों की समस्याओं को भी सांसद ताम्रध्वज साहू ने जोरदार ढंग से उठाया। उन्होंने शून्यकाल के दौरान भिलाई इस्पात संयंत्र में स्थानीय लोगों की भर्ती का मुद्दा उठाया। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर भर्ती के नाम से अफसरों की सिफारिश पर होने वाली भर्ती का विरोध करते हुए सार्वजनिक उपक्रमों में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता देने के लिए एक स्पष्ट नीति निर्धारित करने की मांग की।
ग्राम-वनांचलों में अक्षय ऊर्जा : किसानों की समस्याओं की तरफ भी वे लगातार केन्द्र सरकार का ध्यान आकर्षित करते रहे। धान खरीदी, समर्थन मूल्य और किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध कराने के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने छत्तीसगढ़ के वनांचल क्षेत्र में अक्षय उर्जा स्त्रोत से विद्युतीकरण का सुझाव भी दिया।
नल जल, बिजली, बांध : उन्होंने दुर्ग लोकसभा क्षेत्र में पेयजल संकट का मुद्दा उठाते हुए नल-जल योजना को सफल बनाने यह मांग भी उठाई कि प्रत्येक गांव में पेयजल हेतु एक व दो एचपी के मोटर पंप के लिए नि:शुल्क बिजली दी जाए ताकि पेयजल व्यवस्था सुचारु बनी रहे। अभी ग्राम पंचायत द्वारा बिजली बिल न पटा पाने के कारण लाईन काट दी जाती है जिससे ग्रामीण पेयजल से वंचित हो जाते हैं। उन्होंने अतिवृष्टि की स्थिति में शिवनाथ नदी सहित अन्य नदियों में आने वाली बाढ़ से फसलों को होने वाली क्षति का मुद्दा भी प्रमुखता के साथ संसद में उठाया और कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए। उन्होंने गंगरेल को तांदुला जलाशय से जोडऩे की मांग की। छत्तीसगढ़ के लोक कलाकारों को पेंशन एवं अन्य सहायता प्रदान करने, बुनकरों की समस्याओं का समाधान करने और छोटे सब्जी उत्पादकों को शांकभरी योजना के तहत सिंचाई का साधन उपलब्ध कराने सहित और भी कई मामले संसद में उठाए।

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