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हाईकोर्ट ने संसदीय सचिवों के काम करने पर लगाई रोक

Aug 2, 2017

बिलासपुर/रायपुर। हाईकोर्ट ने प्रदेश के संसदीय सचिवों के काम करने पर आगामी आदेश तक रोक लगा दी है। मामले में अंतिम सुनवाई 23 अगस्त को होगी। राज्य शासन ने प्रदेश में 11 संसदीय सचिव नियुक्त कर इन्हें राज्य मंत्री का दर्ज दिया है। संसदीय सचिवों को शासकीय वाहन, निज सचिव, अतिरिक्त वेतन व भत्ते देने का प्रावधान है।बिलासपुर/रायपुर। हाईकोर्ट ने प्रदेश के संसदीय सचिवों के काम करने पर आगामी आदेश तक रोक लगा दी है। मामले में अंतिम सुनवाई 23 अगस्त को होगी। राज्य शासन ने प्रदेश में 11 संसदीय सचिव नियुक्त कर इन्हें राज्य मंत्री का दर्ज दिया है। संसदीय सचिवों को शासकीय वाहन, निज सचिव, अतिरिक्त वेतन व भत्ते देने का प्रावधान है। इस नियुक्ति के खिलाफ पूर्व विधायक मोहम्मद अकबर और राकेश चौबे ने हाईकोर्ट में अलग-अलग याचिका दाखिल की। याचिका में कहा गया कि छत्तीसगढ़ छोटा राज्य है। यहां 90 विधायक हैं। विधायकों की संख्या के आधार पर ही मंत्री रखने का प्रावधान है। ऐसे में संसदीय सचिव नियुक्त करने का कोई औचित्य नहीं है। सरकार अपने विधायकों को उपकृत करने के लिए संसदीय सचिव के पद पर नियुक्त कर सुविधाएं दे रही है। याचिका के साथ सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के संसदीय सचिवों की नियुक्ति निरस्त करने का आदेश प्रस्तुत किया। याचिका के लंबित रहते हुए सुप्रीम कोर्ट ने असम में भी संसदीय सचिवों की नियुक्त निरस्त कर दी। याचिकाकर्ताओं की ओर से सुप्रीम कोर्ट के दोनों न्याय दृष्टांत को प्रस्तुत किया गया। दोनों याचिकाओं पर मंगलवार को चीफ जस्टिस टीबी राधाकृष्णन और जस्टिस शरद कुमार गुप्ता की डीबी में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार संसदीय सचिवों की नियुक्ति निरस्त करने की मांग की। वहीं राज्य शासन की ओर कहा गया कि मामले में उनकी ओर से बहस सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता करेंगे। इस पर कोर्ट ने आगामी आदेश तक संसदीय सचिवों के इस पद पर काम करने पर रोक लगाई है।

आदेश का इन पर पड़ा असर

राज्य में अंबेश जांगड़े, लाभचंद बाफना, लखन देवांगन, मोतीराम चंद्रवंशी, श्रीमती रूपकुमारी चौधरी, शिवशंकर पैकरा, श्रीमती सुनीति सत्यानंद राठिया, तोखन साहू, श्रीमती चंपा देवी पाटले, गोवर्धन सिंह मांझी, राजू सिंह क्षत्रिय को संसदीय सचिव बनाया गया है।

कोर्ट के फैसले का करेंगे पालन : मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने पत्रकारों से चर्चा में कहा है कि हम न्यायालय के अंतरिम आदेश का सम्मान करते हैं और पूरा पालन किया जाएगा। विधानसभा में संसदीय सचिवों के दायित्व पर हाईकोर्ट ने कोई रोक नहीं लगाई है। संसदीय सचिवों का विधानसभा के अंदर जो दायित्व है, उसका निर्वहन करते रहेंगे।

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