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इसी पहाड़ी पर मिला था गणेश को एकदंत का नाम

Aug 27, 2017

इसी पहाड़ी पर मिला था गणेश को एकदंत का नाम दंतेवाड़ा। गणेश चतुर्थी पर विघ्नहर्ता के दर्शन के लिए लोग ढोलकल पहाड़ी पर भी चढ़े। रायपुर और प्रदेश के अन्य हिस्से से पहुंचे पर्यटकों का दल समुद्र तल से 2994 फीट ऊंची चोटी पर पहुंचा। यहीं श्रीगणेश और परशुराम का युद्ध हुआ था जिसमें एक दांत टूट जाने से गणेशजी को एकदंत कहा गया और जहां परशुराम का फरसा गिरा था वह गांव फरसपाल के नाम से प्रसिद्ध हुआ।दंतेवाड़ा। गणेश चतुर्थी पर विघ्नहर्ता के दर्शन के लिए लोग ढोलकल पहाड़ी पर भी चढ़े। रायपुर और प्रदेश के अन्य हिस्से से पहुंचे पर्यटकों का दल समुद्र तल से 2994 फीट ऊंची चोटी पर पहुंचा। यहीं श्रीगणेश और परशुराम का युद्ध हुआ था जिसमें एक दांत टूट जाने से गणेशजी को एकदंत कहा गया और जहां परशुराम का फरसा गिरा था वह गांव फरसपाल के नाम से प्रसिद्ध हुआ। भगवान गणेश को कई नामों से जाना जाता है। इसमें एक नाम एकदंत इसी ढोलकल पहाड़ी पर मिला। किवदंतियों के अनुसार भगवान गणेश और परशुराम का जब युद्ध हुआ था तो गणेशजी ने उन्हें सूंड से उठाकर बैलाडिला के पहाड़ी पर पटक दिया था। इसके बाद परशुराम उठे और फरसा चलाया तो गणेशजी का एक दांत टूट गया। वहीं परशुराम का फरसा पहाड़ के नीचे जा गिरा। कथा के अनुसार जहां फरसा गिरा, उस पहाड़ के नीचे बसे गांव का नाम इसलिए फरसपाल हो गया। वहीं भगवान गणपति को भी एक नया नाम एकदंत से पुकारा जाने लगा।
भक्तों ने जिला मुख्यालय से करीब 12 किमी फरसपाल और फिर वहां से पैदल चार किमी पहाड़ी रास्ते से शिखर पर पहुंच पूजा-अर्चना की। इस अद्भुत गणेश प्रतिमा को नागवंशी राजाओं ने दसवीं शताब्दी में बनवाया था। यहां दो ऊंची चट्टानें हैं। एक में गोल-मटोल ललितासन मुद्रा में गणेश प्रतिमा है। वहीं दूसरे शिखर में सूर्य देव व अन्य भगवानों की मूर्तियां थीं जो करीब एक दशक पहले चोरी हो गई। लोगों का कहना है कि दोनों चट्टानों को देखने से लगता है कि जैसे दो बड़े ढोल रखे गए हैं। वहीं गणेशजी की प्रतिमा भी गोलमटोल ढोलक की तरह है इसलिए यह पहाड़ी ढोलकल के नाम से जानी जाती है।
पांच साल पहले यह गणेश प्रतिमा उस समय प्रकाश में आई जब इसकी खबर प्रकाशित हुई। इसके बाद से यहां पर्यटक और श्रद्धालुओं की भीड़ बढऩे लगी थी। आठ माह पहले जनवरी में ढोलकल गणेश प्रतिमा को अज्ञात लोगों ने चट्टान से नीचे गिराकर क्षतिग्रस्त कर दिया था। जिला प्रशासन ने इसकी खोज खबर ड्रोन कैमरा सहित जवान और स्थानीय ग्रामीणों से कराई। तब प्रतिमा टूटकर कई खंडों में नीचे खाई में मिली जिसे एकत्र कर पुरातत्वविदों के मार्गदर्शन में केमिकल ट्रीटमेंट से पुन: जोड़कर शिखर पर विराजित किया गया था। पर्यटन नक्शे में पाई जगह प्रतिमा के पुनस्र्थापना के बाद ढोलकल पहाड़ ने पर्यटन नक्शे में जगह पा लिया है।
पर्यटन मंडल ने इसके विकास के लिए बजट आहरित किया वहीं जिला प्रशासन पर्यटकों के लिए टूरिस्ट गाइड तैयार कर रहा है। स्थानीय युवक युवतियां जिले के अन्य पर्यटन और दर्शनीय स्थलों के साथ ढोलकल भी लोगों को पहुंचा रहे हैं। गणेश चतुर्थी पर भी बाहर से आने वाले श्रद्धालु इन्हीं लोक टूरिस्ट गाइड के मार्गदर्शन में भगवान तक पहुंचे और पूजा-पाठ किया।

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