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एम्स रायपुर में सीने की हड्डी से बना दिया कान

Aug 25, 2017

एम्स में सीने की हड्डी से बना दिया कान रायपुर। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डेंटिस्ट्री विभाग के अंतर्गत क्रेनिओ मैक्सिलोफैसियल क्लिनिक के डॉक्टर ने 22 वर्षीय एक युवती के सीने की हड्डी से उसके अविकसित कान का निर्माण कर दिया। सर्जरी करने वाली टीम में डॉ. संतोष राव, डॉ. मनीष रघानी, डॉ. समीर पांडेय, डॉ. योगेश जंघेल, डॉ. वैष्णवी श्रीपाठी, डॉ. अजय कुमार, डॉ. स्मिथा रहे। इनके अलावा ओटी तकनीशियन, नर्स की टीम शामिल रही।रायपुर। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डेंटिस्ट्री विभाग के अंतर्गत क्रेनिओ मैक्सिलोफैसियल क्लिनिक के डॉक्टर ने 22 वर्षीय एक युवती के सीने की हड्डी से उसके अविकसित कान का निर्माण कर दिया। सर्जरी करने वाली टीम में डॉ. संतोष राव, डॉ. मनीष रघानी, डॉ. समीर पांडेय, डॉ. योगेश जंघेल, डॉ. वैष्णवी श्रीपाठी, डॉ. अजय कुमार, डॉ. स्मिथा रहे। इनके अलावा ओटी तकनीशियन, नर्स की टीम शामिल रही।युवती का बचपन से ही बायां कान विकसित नहीं हुआ था। ऐसे केस 10 हजार बच्चों में 1-2 ही मिलते हैं। बचपन में सर्जरी संभव नहीं, कम से कम 9 वर्ष की उम्र के बाद जब व्यक्ति का कान वयस्क होता है। मध्यवर्गीय परिवार की इस युवती की एम्स में सफल सर्जरी हो गई।
क्रेनिओ मैक्सिलोफैसियल सर्जन डॉ. संतोष राव ने कान विकसित किया। यह एम्स की पहली सर्जरी है। डॉ. राव ने बताया कि सर्जरी की प्रोसिजर लंबी है, जो 3 स्टेप में पूरी होती है। छाती के पास से हड्डी को निकाला जाता है। उसे कान के अंदर उस जगह पर इंप्लांट किया जाता है, जहां यह विकसित नहीं हुआ रहता। 4 महीने बाद दोबारा सर्जरी कर बाहरी हिस्से को कान का शेप दिया जाता है। अंत में कॉस्मेटिक अल्ट्रेरेशन की प्रक्रिया पूरी की जाती है। डॉ. राव के मुताबिक ऐसे कई केस आए, जिनमें लड़कियों को शादी में परेशानी होती है, दोस्तों के बीच और जॉब मिलने में दिक्कतें होती हैं।
यह सर्जरी महंगी है, इसलिए मरीज निजी अस्पतालों में नहीं जाते हैं। अगर ऐसे मरीज हैं तो वे आएं, उनकी एम्स द्वारा तय दर पर सर्जरी होगी।

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