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इस गांव के हर घर में है नेशनल, स्टेट लेवल की खिलाड़ी

Sep 6, 2017

kabaddi-players-villageग्वालियर। खेल के मैदान में जौहर दिखलाने वाली लड़कियों की कुछ कहानियांं फिल्मी परदे पर नजर आईं हैं लेकिन कुछ हकीकत ऐसी भी हैं जिनके बारे में ज्यादा लोग नहीं जानते। हम आपको ग्वालियर के एक ऐसे गांव ले चलते हैं जहां लड़कियां कबड्डी में शिखर छू रही हैं। इस गांव में 10 लड़कियां नेशनल लेवल प्लेयर है जबकि लगभग हर घर में स्टेट या डिवीजन लेवल की खिलाड़ी हैं। गांव का असर ऐसा है कि आसपास के गांवों में भी कबड्डी को लेकर जबर्दस्त क्रेज बढ़ा और बिजौली, स्यावरी, सुनारपुरा और सोनी गांव में 200 से अधिक कबड्‌डी के स्टार प्लेयर हैं। देश की कबड्‌डी की गर्ल्स और बाॅयज की नेशनल टीम में भी यहां के खिलाड़ी मौजूद हैं।इस गांव  के हर घर में है नेशनल, स्टेट लेवल के खिलाड़ीये कहानी है गांव जखारा की। ग्वालियर से करीब 30 किलोमीटर दूर स्थित इस गांव को कबड्डी के कारण नई पहचान मिली है। यहां जब लड़कियों ने कबड्डी खेलना शुरू किया था तो उस समय उनपर फब्तियां कसी जाती थी, बावजूद इसके लड़कियों ने खेल जारी रखा। खुद ग्राउंड तैयार किया और उस पर प्रेक्टिस करना शुरू की।
बिजौली के जगन्नाथ सिंह परमार खेल में करियर बनाना चाहते थे लेकिन हर खेल में उन्हें आर्थिक परेशानी से जुझना पड़ा। इसके बाद साल 2004 में उन्होंने ठाना कि वे अपने गांव के हर युवा को खिलाड़ी बनाएंगे। इसलिए उन्होंंने कबड्डी जैसा देसी खेल चुना जिसमें ज्यादा पैसों की जरूरत नहीं होती। बस यहीं से सिलसिला शुरू हुआ।
जखारा गांव में लड़कियों को भी परमार ने ही प्रोत्साहित किया। घर की लड़कियों को कबड्‌डी खेलने भेजने के लिए पहले कोई भी परिवार तैयार नहीं था। कोच परमार ने घर-घर जाकर लड़कियों को कबड्‌डी खेलने के लिए तैयार किया। एक दो परिवार तैयार हो गए और लड़कियों का कबड्‌डी खेलना शुरू हो गया। जब कुछ लड़कियां नेशनल लेवल पर पहुंची तो गांव की अन्य लड़कियां भी कबड्‌डी खेलने आने लगीं। इसके बाद लड़कियों ने ऐसी मेहनत की कि करीब 10 लड़कियां अलग-अलग वर्ग में नेशनल लेवल पर पहुंची।
जखारा गांव से नीलम, निधि, शिवानी, सपना, पूजा ने जूनियर, सब जूनियर और सीनियर वर्ग में नेशनल टूर्नामेंट मेंं खेली। इसके बाद ग्रामीणों के नजरिया बदला। आज गांव के कई परिवार ऐसे हैं जो लड़कियोंं और उनकी उपलब्धि के नाम से जाने जाते हैं।
आज गांव के लोग बड़े गर्व से लड़कियों की उपलब्धि की बात बताते हैं। इतना ही नहीं लड़कियों को देखकर अब लड़के भी इस खेल से जुड़ रहे हैं और वे भी राष्ट्रीय स्तर पर उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल कर रहे हैं।

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