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नैशनल अवॉर्ड में भी पक्षपात होता है: तापसी पन्नू

Sep 29, 2017

Tapsee-Pannuतापसी पन्नू इन दिनों ‘जुड़वा 2’ के प्रमोशन में जी-जान से जुटी हैं। बॉलीवुड में उन्होंने अपना खास मुकाम बनाया है। पर जब बात अवार्ड की आती है तो वे बेबाकी से कहती हैं कि इसके लिए जिस रणनीति और कूटनीति की जरूरत होती है, वह उनके बस में नहीं। पिछले दिनों कंगना रनौत ने भी अवॉर्ड समारोह को लेकर कहा था कि सारे अवॉर्ड समारोह फर्जी होते हैं। तापसी ने नैशनल अवॉर्ड पर भी सवाल उठाए और कहा कि इसे भी पसंदीदा लोगों को खुश करने की बीमारी लग गई है। उन्होंने कहा, करीना कपूर भी कहती हैं कि वे अवार्ड नहीं रिवार्ड में यकीन करती हैं। नैशनल अवॉर्ड में भी पक्षपात होता है: तापसी पन्नूतापसी बताती हैं, ‘पिंक’ के लिए मुझे अवॉर्ड मिलने की उम्मीद लोगों ने दिलाई थी। जब ‘पिंक’ रिलीज हुई तो नामचीन क्रिटिक्स ने कहा था कि ‘पिंक’ में उन्हें मेरा काम साल भर रिलीज हुई फिल्मों की तुलना में सबसे बेहतरीन लगा। पर जब साल के अंत में बेस्ट परफॉर्मेंस फीमेल की लिस्ट जारी की गई तो उन्हीं जर्नलिस्ट की टॉप 5 लिस्ट में मेरा नाम कहीं नहीं था।
तापसी बताती हैं, ‘अवॉर्ड मिलने से दर्शकों को अचानक लगता है कि जिसे अवॉर्ड दिया गया है वह बहुत अच्छा ऐक्टर है। मुझे बेस्ट ऐक्ट्रेस के अलावा ‘पिंक’ के लिए दुनिया-जहान के अवॉर्ड मिले हैं, बस ऐक्टिंग का अवॉर्ड कहीं नहीं मिला। अगर इतनी खराब ऐक्टिंग की होती तो बाकी अवॉर्ड क्यों मिलते। बेस्ट ऐक्ट्रेस का अवॉर्ड देने में क्यों झिझक थी। मुझे लगता है… मुझे बेस्ट ऐक्टर का अवॉर्ड इसलिए नहीं मिला क्योंकि मैं ‘ए’ लिस्टर ऐक्ट्रेस नहीं थी। जब तक ‘ए’ लिस्टर ऐक्ट्रेस नहीं बन जाती तब तक मुझे ऐसे ही न्यू कैटिगरी के अवॉर्ड मिलते रहेंगे।

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