नई दिल्ली। देश में सबसे ज्यादा लोग विभिन्न प्रकार के पौष्टिक तत्व जैसे प्रोटीन, विटमिन, आयरन की कमी और टीबी के रोग से पीडि़त हैं। 46 फीसदी आबादी किसी न किसी प्रकार के कुपोषण का शिकार है जबकि 39 फीसदी आबादी तपेदिक (टीबी) से परेशान है। बीते दशक में कुपोषण 8 फीसदी बढ़ा है। भारत में दिल की बीमारियां और डायबीटीज दो बड़ी बीमारियां हैं। हृदय रोग से करीब 5.5 करोड़ लोग प्रभावित होते हैं जबकि डायबीटीज से करीब 6.5 करोड़ लोग। दोनों बीमारियों से इंसान की उत्पादकता और जीवन की गुणवत्ता प्रभावित होती है। देश के 60 करोड़ से ज्यादा लोग यानी करीब 46 फीसदी आबादी कुपोषण यानी पोषक तत्वों जैसे प्रोटीन, विटमिन, आयरन एवं अन्य तत्वों की कमी के कारण स्वास्थ्य संबंधित समस्या से जूझ रहे हैं। सुस्ती, थकान, कमजोर, ध्यान केंद्रित न कर पाना आदि समस्या कुपोषण से पैदा होती हैं। बच्चे के मानसिक और शारीरिक विकास को तो कुपोषण गंभीर रूप से प्रभावित करता है।
डायबीटीज में शारीरिक पीड़ा तो होती है लेकिन मौत कम होती है। डायबीटीज से सिर्फ करीब 3 फीसदी मौतें होती हैं। यह खुलासा मेडिकल जर्नल लांसेट में 2016 में प्रकाशित हुए ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज के डेटा से हुआ है। भारत से संबंधित डेटा डोमेस्टिक सर्वे, रजिस्ट्रीज, मौत के कारण से संबंधित डेटा से जुटाए गए थे और यूनिट लेवल एसआरएस डेटा सरकार ने मुहैया कराए थे।
कैंसर कितना गंभीर? : भले ही पिछले दशक में कैंसर के मरीजों की संख्या बहुत तेजी से 46 फीसदी बढ़ी है लेकिन सिर्फ 0.15 फीसदी भारतीय इससे पीडि़त हैं और 2016 में हुई कुल मौतों में से सिर्फ 8 फीसदी मौतें कैंसर के कारण हुईं।