भिलाई। कारगिल युद्ध में अद्भुत शौर्य का प्रदर्शन करने वाले परमवीर चक्र विजेता नायब सूबेदार संजय कुमार ने कहा कि घायल अवस्था में भी सैनिक का मनोबल ऊंचा होता है। कारगिल में हमने हौसला, मेहनत और आपसी सहयोग से फतह हासिल की। हम आठ थे जिसमें से दो शहीद हो गए और चार गंभीर रूप से घायल हो गए। पर हमने हिम्मत नहीं हारी और अंतत: जीत हमारी हुई। हमने पाकिस्तानी बंकरों पर कब्जा कर लिया। PVC संजय कुमार स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय में आईक्यूएसी सेल एवं वेटरन्स इंडिया छत्तीसगढ़ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कारगिल युद्ध की स्मृतियों का जीवन्त चित्रण करते हुए कहा कि भारतीय सेना न केवल युद्ध कौशल में बल्कि नैतिक मूल्यों में भी अपने पाकिस्तानी समकक्षों से बेहतर है। हम दुश्मन देश के सैनिक का भी सम्मान करते हैं क्योंकि वह भी अपने वतन के लिए लड़ रहा होता है। पाकिस्तानियों ने जहां अपने सैनिकों के शव ले जाने से इंकार किया और हमारे सैनिकों के शवों को क्षत विक्षत कर लौटाया वहीं हमने उनके सैनिकों के शवों का पूरे सम्मान के साथ कफन दफन किया। हममें व पाकिस्तानी सेना में यही अंतर है। हम दुश्मनों का भी सम्मान करना जानते हैं।
देशभक्ति की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि जरूरी नहीं कि देशभक्ति केवल सीमा पर ही दिखाई जाए। हम अपने अपने काम को ईमानदारी व लगन के साथ करके भी अपने देश की सेवा कर सकते हैं। फौज सीमा पर दुश्मनों को रोकती है तो देश के भीतर के लाखों करोड़ों सिविलियन्स देश को गढऩे और मजबूत करने का काम करते हैं। आप जिस भी क्षेत्र में हों, राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखते हुए ईमानदारी से अपना काम करें।
नैतिक मूल्यों के ह्रास से बढ़ रही अनुशासनहीनता : डॉ हंसा
प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला ने कहा विद्यार्थियों में नैतिक मूल्यों का ह्रास हो रहा है जिसके कारण अनुशासनहीनता बढ़ती जा रही है। भौतिकवादी युग में मूल्य शिक्षा चरित्र निर्माण के लिए आवश्यक है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुये परमवीर विजेता संजय कुमार का वक्तव्य रखा गया है। उन्होंने कहा सीमा पर तिरंगे को लहराते हम देखते हैं वह हवा के झोंकों से नहीं लहराता अपितु वीर सैनिकों की साँसों से लहराता है।
विशेष अतिथि श्रीमती रचना नायडू, संयोजिका वेटरन्स इंडिया छत्तीसगढ़ ने मूल्य शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डालते हुये कहा कि आज की शिक्षा प्रणाली लर्न टू अर्न हो गई है। यही कारण है कि राष्ट्रगान होता है तो मैं खड़ा नहीं होऊंगा, भारत माता की जय नहीं बोलूंगा, भारत तेरे टुकड़े होंगे जैसे विचार शिक्षित वर्ग से ही आ रहे हैं। कारण षिक्षा में नैतिक मूल्यों की गिरावट है। उन्होंने कहा, तिरंगा हमें हौसला देता है। जब खेल में हम जीतते हैं और राष्ट्रगान बजता है तो हमारे रौंगटे खड़ेे हो जाते हैं।
दुर्ग शहर के वरिष्ठतम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं फौजी श्री पांडेय ने कहा कि आज के दौर की सच्चाई यह है कि जब कोई हीरो आये तो पैर रखने की जगह नहीं होगी, पर सच्चे नायक हमारे सैनिक हमारे बीच में आते हैं तो हम उन्हें पहचान भी नहीं पाते। आज हम अपने घरों में चैन की नींद सोते हैं क्योंकि सरहदों में हमारे सैनिक जाग रहे होते हैं।
इस अवसर पर वेटरन्स इंडिया के जनरल सेक्रेटरी अंजनी कुमार सिंग कार्यक्रम संयोजक आई.क्यू.ए.सी. सेल प्रभारी योगेश देशमुख उपस्थित थे। कार्यक्रम को सफल बनाने में सहा.प्रा. श्वेता निर्मलकर, सहा.प्रा. शैलजा पवार, सहा.प्रा. खूशबू पाठक, सहा.प्रा. टी. बबीता उपस्थित हुये। मंच संचालन श्रीमती नीलम गांधी विभागाध्यक्ष वाणिज्य तथा धन्यवाद ज्ञापन योगेश देशमुख ने किया।