रायपुर। शहर के पंडरी बाजार में प्रणीता मेश्राम के इरादे मामूली नहीं हैं। कक्षा 12वीं में पढ़ने वाली प्रणीता, म्यूथाई खेल में इतनी निपुण हैं कि उनकी झोली में पुरस्कारों की झड़ी लग गई है। प्रणीता के पिता ठेले पर चाय बेचकर परिवार की गाड़ी चलाते हैं लेकिन बेटी के सपनों को साकार करने के लिए वह भी जी-जान से जुटे हैं। मां गायत्री भी बेटी की राह में कोई रोड़ा नहीं आने देतीं। परिवार के इसी सकारात्मक माहौल ने इस खेल प्रतिभा से खिलवाड़ नहीं होने दिया। प्रणीता शुरू में कविताएं-कहानियां लिखती रही। कथक का शौक भी प्रणीता को बचपन से ही था लेकिन, महिलाओं और युवतियों के साथ आए दिन होने वाली छेड़छाड़ की घटनाओं ने प्रणीता को गहरे तक झकझोर दिया। पांच साल पहले प्रणीता ने आत्मरक्षा के इरादे से म्यूथाई में हाथ आजमाना शुरू किया। उसकी रुचि बढ़ती गई और उसने प्रैक्टिस तेज कर दी। इसी बीच प्रणीता की मुलाकात अनीस मेमन से हुई। हीरे को जौहरी ने पहचान लिया। मेमन ने प्रणीता की प्रतिभा को धार देनी शुरू की। वह जनपद स्तरीय प्रतियोगिताओं में मुकाबिल दूसरे खिलाड़ियों को पराजय का स्वाद चखाने लगी। यहीं से प्रणीता के आगे बढ़ने के रास्ते साफ होते गए।
जनपद के बाहर राज्य व राष्ट्र स्तरीय प्रतियोगिताओं में प्रणीता ने पिछले पांच बरस में कई पदक हासिल किए। चार स्टेट चैंपियनशिप में उसने तीन बार गोल्ड व एक बार सिल्वर मेडल जीता। मई 2017 में प्रणीता ने देहरादून में आयोजित नेशनल चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता। प्रणीता ने नेशनल चैंपियनशिप में तीन बार ब्रोंज मेडल भी हासिल किया। कुछ दिनों पहले पुणे में हुई प्रतियोगिता में भी इस खिलाड़ी ने ब्रोंज हासिल किया। अमृतसर में भी प्रणीता ने पदक प्राप्त किए। ऐसे में उनके कोच अनीस मेनन बल्लियों उछल पड़े। बता दें कि प्रणीता का चयन इंटरनेशनल म्यूथाई चैंपियनशिप के लिए हो चुका है। हालांकि, धनाभाव में वह थाईलैंड नहीं जा सकीं लेकिन हाल में जब प्रणीता को दक्षिण कोरिया जाने का अवसर मिला तो चाय की दुकान चलाने वाले उनके पिता प्रकाश मेश्राम ने कर्ज लेकर उसे वहां भेजा।
प्रणीता का कहना है कि म्यूथाई खेल उनके लिए जीवन है और जीवन को जीया जाता है, उसके लिए कोई तैयारी नहीं की जाती। म्यूथाई को मंजिल मान मैं जीवन जी रही हूं। प्रणीता मंजिल की फिक्र किए बगैर रास्ता तय करने वाली खिलाड़ियों में से हैं। कोई परवाह नहीं करतीं, हर रोज सुबह और शाम की पाली में तीन-तीन घंटे के हिसाब से अभ्यास करती हैं। प्रणीता की उपलब्धियों पर मोहल्ले के वही लोग अब नाज करते हैं जो कभी उनका मजाक उड़ाया करते थे।
- मुझे नाज है बेटी पर
मैं चाय की दुकान से घर-गृहस्थी चलाता हूं। मुझे अपनी बेटी पर नाज है। वह बहुत परिश्रमी है। हमने उसे कभी निराश नहीं होने दिया। मेरा सपना है कि वह दुनिया में नाम रोशन करे।
– प्रकाश मेश्राम, प्रणीत के पिता - #mu_thai #pranita_meshram