भिलाई। स्वनामधन्य स्वयंसिद्धा ग्रुप के तत्वावधान में 8 दिसम्बर को भिलाई क्लब सिविक सेन्टर में एक गायन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है। स्वयंसिद्धा के संगीत साहित्य संस्कृति महोत्सव 2017 की पहली कड़ी के रूप में आयोजित इस संगीत प्रतियोगिता में 5 साल से ऊपर के प्रतिभागी 5 आयु वर्गों में अपने हुनर का प्रदर्शन कर पाएंगे। यह जानकारी स्वयंसिद्धा ग्रुप की निदेशक सोनाली चक्रवर्ती ने यहां एक पत्रकारवार्ता में दी। सोनाली ने बताया कि दोपहर 1 बजे शुरू होने वाली इस प्रतियोगिता के मुख्य अतिथि महापौर देवेन्द्र यादव होंगे। इस कार्यक्रम का थीम है ‘आज फिर जीने की तमन्ना है’। स्पर्धा 5-9, 10-14, 15-20, 20-25 एवं 25 वर्ष से अधिक उम्र के आयुवर्ग में होगी। संगीत साहित्य संस्कृति महोत्सव के तहत प्रत्येक तीन माह में ऐसे आयोजन किये जाएंगे। महोत्सव के तहत एक पत्रिका का भी प्रकाशन किया जाएगा जिसमें स्वयंसिद्धाओं की रचनाओं को शामिल किया जाएगा।
सोनाली ने बताया कि स्वयंसिद्धा की नींव 2010 में रखी गई। आज इसके 125 से अधिक सदस्य हैं। हमने महसूस किया कि विवाह के पश्चात महिलाएं पूरी तरह से अपने परिवार को समर्पित हो जाती हैं। वह किसी की बहू, किसी की पत्नी और किसी की मां बनकर रह जाती है। उसकी अपनी प्रतिभा को कोई स्पेस नहीं मिलता। ऐसी ही महिलाओं को एक मंच पर लाने का प्रयास किया गया।
स्वयंसिद्धा ग्रुप ने स्त्री शिक्षा, कन्या भ्रूण हत्या, बुजुर्गों की उपेक्षा, अंधविश्वास, बाल-विवाह, स्वच्छता, पर्यावरण की सुरक्षा, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, निशक्तजनों को समाज की मुख्यधारा से जोडऩे की दिशा में प्रयास किए। लाइट एंड साउंड शो द्वारा अपनी एक पहचान बनाई। मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने इन प्रयासों की सराहना की है।
स्वयंसिद्धा शहर के आयोजनों में सक्रिय रूप से शामिल होती है। नगर निगम, राज्योत्सव, सरस मेला, ब्रह्मकुमारी महिला महासम्मेलन, दुर्ग पुलिस, रक्षा टीम, महिला कमान्डो के आयोजनों में स्वयंसिद्धा ने प्रभावशाली प्रस्तुतियां दी हैं। जहां भी जरूरत पड़ती है बच्चों और पुरुषों की भूमिकाएं स्वयंसिद्धा परिवार के बच्चे और पुरुष सदस्य निभाते हैं।
सोनाली ने बताया कि स्वयंसिद्धा महिलाओं को उनके परिवार से काटकर सशक्त नहीं करती बल्कि उस समय का सदुपयोग करना सिखाती है जिसे महिलाएं गप्पे मारकर, परनिंदा कर या चुगली चपाटी कर या मोबाइल गेम्स खेलकर जाया करती थीं। अब उन्होंने समय प्रबंधन सीख लिया है। स्वयंसिद्धा से जुडऩे के बाद अधिकांश महिलाओं की सामाजिक भागीदारी बढ़ी है और परिवार में उनका स्थान बेहतर हुआ है।
स्वयंसिद्धा ग्रुप की आधी महिलाओं ने पहली बार मंच पर कदम रखा है और वे पुलकित हैं। उन्हें स्वयं नहीं पता था कि उनमें भी प्रतिभा है। आज वे बिंदास नाटक में अभिनय कर रही हैं, नृत्य कर रही हैं, गा रही हैं। उन्हें एक नई पहचान मिली है। इससे परिवार में उनकी छवि बदली है और बच्चे भी उनपर गर्व कर रहे हैं। कुछ महिलाओं को समय निकालने में दिक्कतें आईं पर उसका भी सकारात्मक समाधान सबने मिलकर ढूंढ लिया।
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