क्रोध के दौरान कई बार लोग कुछ ऐसे काम भी कर बैठते हैं, जिनके बारे में हम सामान्य परिस्थितियों में सोच भी नहीं सकते हैं। एक बार क्रोध का असर हमारे मन-मस्तिष्क पर प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से करीब 72 घंटों तक बना रहता है। इससे हृदय, गुर्दा और पाचन अंगों के साथ-साथ मानसिकता भी प्रभावित होती है। इसलिए जहां तक संभव हो क्रोध न करें।
ये बात एंगर मैनेजमेंट वर्कशॉप में मॉडरेटर डॉ. एमएस वोरा ने कही। एक योग संस्थान में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि क्रोध नकारात्मक भावों से भरा एक ऐसा विकार है, जो हमारे सोचने-समझने की शक्ति, तर्क शक्ति और निर्णय शक्ति को बाधित कर देता है। यहां तक कि इससे आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है। क्रोध पर नियंत्रण के दो बहुत आसान तरीके हैं, प्रचलन में भी हैं । विभिन्न मरीजों पर इनके परिणाम भी उत्साहवर्धक रहे हैं।
गुस्से को कंट्रोल करने का पहला तरीका है कि एक-दो गिलास पानी पी लें और दूसरा तरीका है, क्रोध व्यक्त करने के पहले मन में कम से कम बीस तक गिनती गिनकर उस शख्स का खूबसूरत चेहरा याद करें, जिसे आप दुनिया में सबसे ज्यादा प्यार करते हैं। आप पाएंगे कि इतने से समय में ही आपकी सोच काफी हद तक बदल चुकी है और अगर आपके प्यार में वाकई गहराई है तो चाहे-अनचाहे, जाने-अनजाने आपके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान भी आ जाएगी, जो सामने वाले के गुस्से को भी कम कर सकती है, बशर्ते उस मुस्कान में व्यंग्य के बजाय भोलापन और अपनेपन का एहसास हो।
ये उपाय भी कारगर
- क्रोध आने पर एकदम से प्रतिक्रिया देने से बचें।
- क्रोध दिलाने वाला व्यक्ति सामने न हो तो लंबी-लंबी सांसे लेकर फेफड़ों में ज्यादा ऑक्सीजन भरें। इससे आप बेहतर निर्णय ले सकेंगे।
- रिएक्टिव के बजाय प्रोएक्टिव (आगे की सोचने वाले) बनें। इससे प्रतिक्रिया देने में देर होगी।
- क्रोध आने पर अपने शरीर के विभिन्न अंगों (मुखमुद्रा, आंखें, मांशपेशियों आदि) में होने वाले बदलाव की ओर ध्यान दें और खुद को यकीन दिलाएं कि ये सिमटम्स आपके लिए अच्छे नहीं हैं
माफ करने की सोच विकसित करें। क्योंकि गलतियां सभी से होती हैं। आपसे भी हुई होंगी। इसलिए सोचें कि अगर आपने दूसरों को माफ किया तो दूसरे भी आपको माफ कर देंगे।