भिलाई। शहर की श्वेता पड्डा को फिल्म “कागपंथ” के लिए बेस्ट एक्ट्रेस अवार्ड प्रदान किया गया है। 45 मिनट के इस शार्ट फिल्म को 5 में से 4 अवार्ड झटकने का सौभाग्य मिला है। यह फिल्म पूर्वाग्रह से ग्रस्त समाज की सोच और उससे होने वाली त्रासदी का खूबसूरत चित्रण करती है। यहां होटल ग्रांड ढिल्लन में पत्रकारों के साथ अपनी उपलब्धि को शेयर करते हुए श्वेता कहती हैं कि फिल्म को हरियाणा इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में स्क्रीन किया गया। फिल्म के दृश्य लोगों को रुलाते रहे, हंसाते रहे और दर्शक मस्ती में झूमते नाचते भी देखे गए। फिल्म के निदेशक दिपांकर प्रकाश ने फोन पर इस प्रतिनिधि से चर्चा करते हुए कहा कि फिल्म अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल्स में जाएगी। अगले साल इसे हम कान्स में भी लेकर जाएंगे। फिल्म के जल्द प्रदर्शित होने की उम्मीद है। पत्रकारों से चर्चा के दौरान उनके साथ प्रख्यात कत्थक नृत्यांगना एवं गुरू उपासना तिवारी भी मौजूद थीं।
श्वेता ने बताया कि इस फिल्म को लेकर पूरी टीम बेहद उत्साहित हैं। फिल्म को बेस्ट शार्ट फिल्म, बेस्ट स्टोरी और बेस्ट डिरेक्शन का भी अवार्ड मिला है। पांच श्रेणियों में दिए जाने वाले अवाड्र्स में से पांच फिल्म के नाम किए गए हैं। फिल्म कागपंथ की स्टोरी व निर्देशन दीपांकर प्रकाश है।निर्माता योगेश अबी व सह निर्माता अनिल काबरा हैं। फिल्म में श्वेता पड्डा को यशपाल शर्मा व राहित पाठक के साथ काम करने का मौका मिला। फिल्म का प्रदर्शन बर्लिन फिल्म फेस्टिवल व जयपुर फिल्म फेस्टिवल में भी होना है। यह फिल्म अगले साल कांस फिल्म महोत्सव में भी जाएगी।
गृहिणी से बेस्ट एक्ट्रेस तक के अपने सफर के बारे में श्वेता ने बताया कि यह सब 2014 में शुरू हुआ। सबसे पहले उन्होंने मिसेज इंडिया का खिताब अपने नाम किया। इसके बाद मिसेज एशिया इंटरनेशनल का खिताब मिला। 2015 में साउथ एशिया गोल्डन फिटनेस अवार्ड भी जीत चुकी हैं। फिर उन्होंने मुम्बई का रुख कर लिया। कुछ सीरियल्स में काम किया। इस बीच उन्हें स्टेज शो मुगले आजम का ऑफर मिला। इसके वे 100 शोज कर चुकी हैं। जल्द ही यह शो वल्र्ड टूर पर जाएगा।
श्वेता ने कागपंथ से पहले फिल्म एली-एली में भी काम किया है। इसके अलावा उन्हें हरियाणवी, भोजपुरी फिल्मों के भी ऑफर मिले हैं। यदि छत्तीसगढ़ी फिल्म में काम करने का मौका मिलता है तो वे जरूर इसे करना चाहेंगी।
कागपंथ के बारे में श्वेता ने बताया कि यह पूर्वाग्रह से ग्रस्त लोगों के कारण समाज में उत्पन्न होने वाली समस्या को दर्शाती है। इसमें दो लोगों की आपबीती को खूबसूरती से दिखाया गया है। इसमें यह बताने की कोशिश की गई है कि किस तरह किसी एक खास किस्म की वारदातों के लिए किसी वर्ग विशेष को बिना किसी आधार के दोषी मान लिया जाता है। इसका असर पूरे समाज पर पड़ता है।