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सेल्फ डिसिप्लिन से आती है व्यवहार में कुशलता :ब्रह्मकुमारी उषा

Dec 17, 2017

भिलाई। सेल्फ डिसिप्लिन से व्यवहार में कुशलता आती है। भौतिक योग, व्यक्ति से योग, समय के साथ योग सभी योगों का सार है बैलेंस प्लस सेल्फ डिसिप्लिन। मन की अशांति का मुख्य कारण है ब्रेन के राईट और लेफ्ट दोनों भाग का इनबैलेंस होना, मानव का राईट ब्रेन का भाग इमोशनल और लेफ्ट ब्रेन का भाग लॉजिक से संबधित होता है। इसे हम सामान्य भाषा में दिल और दिमाग का कनेक्श्न कहते है। जिसका संतुलन नहीं होने से ईगो क्लेश होता है। उक्त बातें वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका एवं मैनेजमेंट ट्रेनर ब्रह्माकुमारी उषा ने प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के 80 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में आयोजित विशाल राजयोग शिविर में कहीं।भिलाई। सेल्फ डिसिप्लिन से व्यवहार में कुशलता आती है। भौतिक योग, व्यक्ति से योग, समय के साथ योग सभी योगों का सार है बैलेंस प्लस सेल्फ डिसिप्लिन। मन की अशांति का मुख्य कारण है ब्रेन के राईट और लेफ्ट दोनों भाग का इनबैलेंस होना, मानव का राईट ब्रेन का भाग इमोशनल और लेफ्ट ब्रेन का भाग लॉजिक से संबधित होता है। इसे हम सामान्य भाषा में दिल और दिमाग का कनेक्श्न कहते है। जिसका संतुलन नहीं होने से ईगो क्लेश होता है। उक्त बातें वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका एवं मैनेजमेंट ट्रेनर ब्रह्माकुमारी उषा ने प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के 80 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में आयोजित विशाल राजयोग शिविर में कहीं। मन की शांति जीवन की शक्ति शिविर को संबोधित करते हुए उन्होंने बताया कि ओम शांति का अर्थ अ से आचरण, उ से उच्चारण, म से मन के विचार है। आध्यात्मिक शक्ति क्षीण होने के कारण जीवन में क्रोध, चिड़चिड़ापन, मन में अंशाति आने लगी है। वाट्सअप से हम सारी दुनियां से कनेक्ट हो रहे हैं पर अपने आप से नहीं। निगेटिव विचारों से हमारी रातों की नींद गायब हो जाती है। कभी-कभी हमें खुद पर भी क्रोध आता है क्योंकि हमारे कर्म, वाणी और विचार अलग होते है।
उषा बहन ने कहा कि विज्ञान अपने चरम पर है। सबसे बड़ा अज्ञान है अहंकार। आज आध्यात्मिक ज्ञान की आवश्यकता है। बिना स्वार्थ के व्यक्ति कुछ भी नहीं कर पाता। वृत्ति और प्रवृत्ति का मेल जरूरी है। आज व्यक्ति का अपने कर्मेन्द्रियों के उपर अधिकार नहीं रहा, जीवन की महत्वपूर्ण क्रियाएं सोचना, बोलना और करना है, जिनमें बैलेंस नही है, इसलिए मन में द्वंद्व चलता है और अंशाति होती है। जीवन एक खेल नहीं संघर्ष बन गया है। अंहकार और स्वाभिमान के बीच संतुलन आवश्यक है। बाहर का जगत विशाल है जिसकी जानकारी लेने मे विज्ञान व्यस्त है। मनुष्य के नब्बें प्रतिशत मन की शक्ति इसी में जा रही है। आज जीवन में नकारात्मकता चरम पर आ गई है जिसके कारण ही तनाव, दुख, अश्ंााति आदि बढ़ गया है इसके लिए अब मन क ो शांत कर जीवन में शक्ति लाने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि शरीर जीवन के जीने के लिए पाँच तत्वों की मांग करता है वायु, जल, मिट्टी, आकाश, अग्रि इन पाँच तत्वों का शरीर में बैलेंस होने पर ही शरीर स्वस्थ रहेगा। हमें अभी से सम्मान, सहयोग, खुशी, प्रेम, पॉजिटिव भावनायें सभी को देना है, हम सब यह दूसरों से चाहते है। दूसरों से अपेक्षा रखने से जीवन में अशंाति आती है। प्यार और खुशी बांटने से बढ़ते हैं। संसार में प्रकृति हर जीव को दे रही है। लेने की भावना से लोभ बढ़ता है। जैसे हमारा चिंतन, वैसा हमारा जीवन। खुशी और प्रसन्नता को चेक करना है।
ब्रह्मकुमारी उषा बहन ने बताया कि कोई भी देश, धर्म, अशांति नहीं चाहता। आज हमारे जीवन में गुणों के बदले अवगुण आ गये है क्योंकि हमने अवगुणों को महत्व दिया। बचपन में सभी तत्त्वों का बैलेंस रहता है।
भिलाई सेवा केन्द्रों की मुख्य संचालिका ब्रह्माकुमारी आशा ने स्वागत भाषण में कहा कि इस ब्रह्माकुमारीज़ संस्था का एक ही लक्ष्य है कि संसार में सभी का जीवन शांति और सुख से भरपूर हो। मुख्य अतिथी भिलाई इस्पात सयंत्र के ईडी वक्र्स के रीटा बेनर्जी, ए एस पी शशि मोहन सिंह, ब्रह्माकुमारी आशा, ब्रह्माकुमारी उषा ने उद्घाटन किया। छत्तीसगढ़ चेम्बर ऑफ कॉमर्स के संरक्षक भ्राता अर्जुन दास ने ब्रह्माकुमारी उषा दीदी का शॉल और पुष्प गुच्छ देकर सम्मान किया। स्वागत गीत ब्रह्मकुमार पोषण ने प्रस्तुत किया। मंच संचालन ब्रह्मकुमारी माधुरी ने किया।

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