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एमजे कालेज में विवेकानंद जयंती : पूर्ण होता है जिज्ञासु का ज्ञान

Jan 12, 2018

भिलाई। एमजे कालेज में विवेकानंद जयंती पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। प्रबुद्ध छत्तीसगढ़ के सह संयोजक देश दीपक सिंह कार्यक्रम के मुुख्य वक्ता थे। वरिष्ठ पत्रकार दीपक रंजन दास के मुख्य आतिथ्य में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य डॉ कुबेर गुरुपंच ने की। दीपक रंजन ने इस अवसर पर कहा कि केवल जिज्ञासु का ज्ञान ही पूर्ण होता है। मन में सवाल उठेंगे तभी जवाब की तलाश होगी।भिलाई। एमजे कालेज में विवेकानंद जयंती पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। प्रबुद्ध छत्तीसगढ़ के सह संयोजक देश दीपक सिंह कार्यक्रम के मुुख्य वक्ता थे। वरिष्ठ पत्रकार दीपक रंजन दास के मुख्य आतिथ्य में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य डॉ कुबेर गुरुपंच ने की। दीपक रंजन ने इस अवसर पर कहा कि केवल जिज्ञासु का ज्ञान ही पूर्ण होता है। मन में सवाल उठेंगे तभी जवाब की तलाश होगी। भिलाई। एमजे कालेज में विवेकानंद जयंती पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। प्रबुद्ध छत्तीसगढ़ के सह संयोजक देश दीपक सिंह कार्यक्रम के मुुख्य वक्ता थे। वरिष्ठ पत्रकार दीपक रंजन दास के मुख्य आतिथ्य में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य डॉ कुबेर गुरुपंच ने की। दीपक रंजन ने इस अवसर पर कहा कि केवल जिज्ञासु का ज्ञान ही पूर्ण होता है। मन में सवाल उठेंगे तभी जवाब की तलाश होगी।इस तरह से हासिल जवाब जीवन पर्यंत याद रहता है। हमें सच्चे गुरू की तलाश करनी चाहिए। तलाश पूर्ण होने पर स्वयं को उन्हें समर्पित कर देना चाहिए। स्वामी विवेकानंद ने अपने गुरू कालीभक्त श्रीरामकृष्ण परमहंस की भी परीक्षा ली थी। संतुष्ट होने पर उन्होंने स्वयं को उनके प्रति समर्पित कर दिया था। उन्होंने कहा कि जिस भी काम में मन लगता हो वही करना चाहिए और उसे पूरी निष्ठा एवं परिश्रम के साथ करना चाहिए। इसी से सफलता मिलती है। पैसा और नाम सबकुछ इसके पीछे अपने आप चला आता है। अपनी मातृभूमि, अपनी संस्कृति और भारतीय दर्शन से उन्होंने पूरी दुनिया को अपना मुरीद बना लिया।
मुख्य वक्ता श्री देश दीपक ने श्री विवेकानंद के जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण प्रसंगों का उल्लेख करते हुए कि श्री विवेकानंद ने शिकागो में अपने संबोधन मात्र से ही सबका दिल जीत लिया था। जहां सब लोग लेडीज और जेन्टलमैन कह रहे थे, उन्होंने कहा – दुनिया भर के मेरे भाइयों और बहनों…। यह वसुधैव कुटुम्बकम के भारतीय सिद्धांतों के अनुरूप था। उन्होंने देश के युवाओं से कहा था, खूब खाओ और खूब खेलो। सक्षम बनो और 50 साल तक सबकुछ भूल जाओ और देश सेवा में जुट जाओ। यह देश फिर सोने की चिडिय़ा बन जाएगा।
उन्होंने कन्याकुमारी स्थित विवेकानंद रॉक का जिक्र करते हुए कहा कि वहां तीन सागर मिलते हैं। काफी शोर होता है। विवेकानंद तैर कर उस चट्टान तक जाते थे और देश को लेकर चिंतन करते थे। इस मनीषी ने केवल 39 वर्ष की उम्र में देह त्याग दिया। पर दुनिया आज भी उनके ओजस्वी भाषओं को याद करती है, विवेकानंद रॉक को देखने जाती है। हमें भी अपना जीवन इसी तरह जीने का प्रयत्न करना चाहिए।
आरंभ में प्राचार्य डॉ कुबेर गुरूपंच ने विवेकानंद जयंती की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए युवा दिवस के आयोजन पर प्रकाश डाला। एनएसएस प्रभारी डॉ जीपी कन्नौजे ने कार्यक्रम का संचालन किया। इस अवसर पर फैकल्टी मेम्बर्स एवं छात्र-छात्राएं मौजूद थीं।

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