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नेशनल नॉलेज नेटवर्क से जुड़े देश के 1600 संस्थान

Jan 12, 2018

इंदौर। देशभर में करीब 1600 ऐसे संस्थान हैं जो नेशनल नॉलेज नेटवर्क के सेंटर के रूप में काम कर रहे हैं। इसमें आईआईटी, एनआईटी, विश्वविद्यालय, लैब, अनुसंधान केंद्र, एम्स जैसे अस्पताल और कॉलेज जुड़े हैं। हर व्यक्ति और संस्था का फिजिकली मिलना मुश्किल है इसलिए इस नेटवर्क के जरिये ज्ञान-विज्ञान के इन केंद्रों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से जोड़ा गया है। रिसर्च एंड एजुकेशन नेटवर्क का ये मॉडल दुनिया में सबसे बड़ा नेटवर्क बन चुका है।इंदौर। देशभर में करीब 1600 ऐसे संस्थान हैं जो नेशनल नॉलेज नेटवर्क के सेंटर के रूप में काम कर रहे हैं। इसमें आईआईटी, एनआईटी, विश्वविद्यालय, लैब, अनुसंधान केंद्र, एम्स जैसे अस्पताल और कॉलेज जुड़े हैं। हर व्यक्ति और संस्था का फिजिकली मिलना मुश्किल है इसलिए इस नेटवर्क के जरिये ज्ञान-विज्ञान के इन केंद्रों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से जोड़ा गया है। रिसर्च एंड एजुकेशन नेटवर्क का ये मॉडल दुनिया में सबसे बड़ा नेटवर्क बन चुका है।
डॉ. चिदंबरम ने मंगलवार को आरआर कैट में विशेष चर्चा के दौरान यह बात कही। वे यहां आठवें भारतीय कण त्वरक सम्मेलन (इनपेक-2018) का उद्घाटन करने आए थे। रिसर्च एंड एजुकेशन नेटवर्क की उच्चस्तरीय समिति के चेयरमैन डॉ. चिदंबरम ने बताया कि इस नेटवर्क के जरिये वैज्ञानिक, इंजीनियर, डॉक्टर, शिक्षक, विद्यार्थी आदि जुड़े हैं। ये सब न केवल ज्ञान और विचार साझा कर रहे हैं बल्कि समस्याओं का समाधान भी खोज रहे हैं। हमारा ये नेटवर्क यूरोपियन ऑर्गेनाइजेशन फॉर न्यूक्लियर रिसर्च से भी जुड़ा है।
खत्म करना होगा वैज्ञानिक और समाज के बीच का अंतर
उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि डॉ. चिदंबरम ने कहा कि हमें वैज्ञानिकों और समाज के बीच का अंतर खत्म करना होगा। ज्यादा से ज्यादा अनुसंधान करने होंगे जिनसे समाज को सीधे लाभ हो और आम आदमी की जिंदगी सरल बन सके। इस समय देश में त्वरक प्रौद्योगिकी (एक्सलरेटर टेक्नोलॉजी) का 50 फीसदी उपयोग इंडस्ट्रियल और 30 फीसदी स्वास्थ्य के क्षेत्र में हो रहा है। हमें एक्सलरेटर का उपयोग बेसिक रिसर्च के लिए बढ़ाना होगा। डॉ. चिदंबरम ने वैज्ञानिकों को सलाह दी कि वे छोटे एक्सलरेटर भी बनाएं जिनसे समाज की छोटी जरूरतों को पूरा किया जा सके। उन्होंने कहा कि विभिन्न प्रकार के त्वरकों से बड़े आर्थिक लाभ के साथ खाद्य पदार्थों को लंबे समय तक खराब होने से बचाया जा सकेगा। कैंसर जैसे रोग के उपचार में भी मदद मिलेगी।
अध्यक्षता कर रहे आरआर कैट के डायरेक्टर डॉ. पीए नाइक ने केंद्र में चल रही गतिविधियों के बारे में बताया। इनपेक-2018 के सभापति और भारतीय कण त्वरक संस्था के अध्यक्ष एससी जोशी ने बताया कि चार दिवसीय सम्मेलन में विदेशी त्वरक प्रयोगशालाओं के विशेषज्ञों और प्रमुख त्वरक प्रयोगशालाओं के प्रतिनिधियों सहित करीब 430 प्रतिभागी हिस्सा लेंगे। सम्मेलन के समन्वयक एम. लाड ने प्रतिभागियों का स्वागत किया। इनपेक-2018 के सचिव डॉ. वीके सेनेचा ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया। डॉ. चिदंबरम ने त्वरक प्रौद्योगिकी की प्रदर्शनी का उद्घाटन भी किया। सम्मेलन में लगभग 400 पोस्टर प्रस्तुत किए जाएंगे। 62 आमंत्रित वार्ताएं और शोध पेश किए जाएंगे।

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