भिलाई। बचपन बचाओ आंदोलन की याचिका के बाद सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का परिपालन हो रहा है। इसलिए देश भर में दुष्कर्म के दर्ज मामलों में इजाफा हो रहा है। नाबालिगों को भगाकर शादी करने और घर बसाने वालों के खिलाफ भी अब दुष्कर्म के मामले दर्ज किए जा रहे हैं। ऐसे मामलों की संख्या कुल दुष्कर्म के मामलों के लगभग 30 फीसदी हैं। वर्ष 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने बचपन बचाओ आंदोलन की याचिका पर सुनवाई करते हुए देश के सभी प्रदेशों में नाबालिगों की गुमशुदगी के मामलों में अपहरण दर्ज कर उनकी पतासाजी करने कहा था। नाबालिगों को बरामद करने के बाद दर्ज होने वाले रेप के मामलों के चलते जिले में पिछले तीन साल में बलात्कार और छेडख़ानी के मामलों में लगभग 20 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है। हालांकि गैंग रेप और महिलाओं के क्रूरतम शोषण के मामले गिनती के ही हैं। प्रदेशभर में दुर्ग जिला बलात्कार के मामले में दूसरे स्थान पर है। पहले स्थान पर राजधानी रायपुर है।
अधिकांश मामले शादी का प्रलोभन देकर अनाचार करने का है। जिले में दर्ज अपराधों की संख्या नाबालिगों की बरामदगी के कारण भी बढ़ रही है। कई मामलों में तो ऐसा हुआ कि जिस लड़की को बरामद किया गया, उसने अपने प्रेमी से शादी भी कर ली थी और वो पारिवारिक जीवन गुजार रही थी, लेकिन उसकी बरामदगी के बाद पुलिस ने पति के खिलाफ दुष्कर्म का अपराध दर्ज किया था। जिले के थानों में दर्ज होने वाले अनाचार के मामलों में ऐसे मामलों का प्रतिशत करीब 30 फीसदी है।
पुराने मामले भी दर्ज हुए
पुरानी गुमशुदगी के मामलों में युवतियों के बरामद होने के बाद अपहृत के बयान के आधार पर अनाचार का मामला दर्ज किया गया है। इसके साथ ही पीडि़ताओं के सीधे थाने आने पर मामले दर्ज हो रहे हैं। इन्हीं कारणों से अनाचार के मामलों में बढ़ोत्तरी हुई है। जागरुकता अभियान जैसे कार्यक्रमों से इसे नियंत्रित करने का प्रयास किया जा रहा है।
– डॉ. संजीव शुक्ला, एसएसपी, दुर्ग