नई दिल्ली/मुंबई। पिछले 5 सालों में बैंक लोन फ्रॉड में तेजी से वृद्धि हुई है। वित्त वर्ष 2012-13 में 6,357 करोड़ रुपये की लोन जालसाजी की गई तो मौजूदा वित्तवर्ष में यह 17,634 करोड़ तक पहुंच गया, जबकि इसमें पीएनबी केस की रकम को शामिल नहीं किया गया है। आंकड़े बताते हैं कि फंसे कर्ज के बोझ तले दबे बैंकिंग सेक्टर की समस्या कितनी बड़ी है। बैकों के फंसे कर्ज का स्तर पिछले साल 149 अरब डॉलर तक पहुंच गया। अरबपति जूलर्स द्वारा भारत के दूसरे सबसे बड़े बैंक (पंजाब नैशनल बैंक) को 11,300 करोड़ रुपये की चपत लगाए जाने की खबर से निवेशकों को बड़ा धक्का लगा, लेकिन रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के आंकड़ों से पता चलता है कि यह समस्या इससे कहीं अधिक बड़ी है। सूचना के अधिकार कानून के तहत रॉयटर्स को मिली जानकारी के मुताबिक, 31 मार्च 2017 तक पिछले पांच सालों में सरकारी बैंकों ने 8,670 लोन फ्रॉड की जानकारी दी और इन्हें कुल 61,260 करोड़ रुपये का चूना लगा। भारत में लोन फ्रॉड उन केसों को कहा जाता है जहां ऋणधारक जानबूझकर बैंकों को धोखा देता है और बैंक को लोन नहीं चुकाता है।
देश के दूसरे सबसे बड़े सरकारी बैंक, पीएनबी ने बुधवार को कहा कि इसके दो जूनियर अधिकारियों ने एक ब्रान्च से अवैध रूप से कंपनियों को 11,300 करोड़ रुपये के लोन दिए। इनमें से अधिकतर पर जूलर नीरव मोदी का नियंत्रण है। यह भारत का सबसे बड़ा बैंक फ्रॉड है।